एनएमसीएच में हड़ताल पर जूनियर डॉक्टर, रजिस्ट्रेशन कर इलाज न करने पर विरोध में उतरे मरीज Patna News
नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु रोग विभाग की इमरजेंसी में भर्ती 13 वर्षीय किशोर की शनिवार को मौत के बाद बवाल से नाराज जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल मंगलवार को भी जारी है।
पटना, जेएनएन। डेंगू पीड़ित एक बच्चे की मौत के बाद लोगों द्वारा की गई मारपीट से आक्रोशित बिहार के दूसरे बड़े नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जूनियर डॉक्टर की हड़ताल जारी है। जूनियर डॉक्टरों के कामकाग बंद कर देने से स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा प्रभाव पड़ा है। मंगलवार को सुबह से ही अस्पताल में आए मरीज लौट जा रहे हैं। बड़ी उम्मीद लेकर अस्पताल पहुंच रहे रोगियों को मायूस होकर वापस जाना पड़ रहा है। इससे चिकित्सा व्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गई है। डॉक्टरों द्वारा बार-बार हड़ताल की जाने से मरीज और तीमारदार विरोध में उतर आए हैं। उनका कहना है कि रजिस्ट्रेशन कराने के बाद भी डॉक्टर इलाज नहीं कर रहे हैं।
लौट रहे मरीज
मंगलवार को भी इलाज न होने के कारण अस्पताल से मरीजों का लौटना जारी है। शनिवार की शाम बच्चे डेंगू पीड़ित बच्चे की मौत के बाद हुई मारपीट से नाराज डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे. मगर सबसे ज्यादा असर रविवार को पड़ा। इसके बाद सोमवार को मरीजों ने उम्मीद लगाई की हड़ताल खत्म हो जाएगी पर एेसा न हुआ। अब मंगलवार को भी डॉक्टरों ने विरोध-प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है।
डॉक्टरों ने इमरजेंसी को कराया बंद
इसके पहले सोमवार को दो सौ से अधिक डॉक्टरों के कार्यरत रहने के बावजूद पीजी छात्रों की हड़ताल पूरी तरह से सफल रही। हड़ताली पीजी छात्रों से भयभीत कार्यरत डॉक्टरों ने खुद को कार्य से अलग रखा। हड़ताली डॉक्टरों ने इमरजेंसी को बंद कर दिया। मरीज की जान बचाने की गुहार परिजन लगाते रहे। इमरजेंसी रजिस्ट्रार का कमरा भी खाली था। ओपीडी की सेवा ठप रही। करीब दो दर्जन ऑपरेशन नहीं हुए। हालांकि ओटी इंचाज डॉ. अशोक कुमार ने कहा कि गायनी में एक, आर्थो में तीन ऑपरेशन हुआ है। अन्य कोई ऑपरेशन नहीं हुआ। सोमवार को ढाई हजार से अधिक मरीजों का रजिस्ट्रेशन होने के बदले केवल 819 मरीजों का रजिस्ट्रेशन हुआ। ये मरीज जब ओपीडी पहुंचे तो इनमें से करीब दो सौ मरीजों को डॉक्टरों ने देखा।
डेंगू से पीड़ित था किशोर
बताया जाता है कि खुसरूपुर के तिलहार निवासी हृदय सिंह का 13 वर्षीय पुत्र रजनीश कुमार जो डेंगू से पीड़ित था। पिछले 6 दिनों से अस्पताल के शिशु रोग विभाग में भर्ती था। तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। अचानक से अस्पताल का लाइन कट जाने और समय पर जनरेटर के चालू नहीं होने से रजनीश की मौत हो गई। मरीज की मौत पर गुस्साए परिजनों ने जब विरोध जताना शुरू किया और डॉक्टरों के साथ गाली गलौज की तो जूनियर डॉक्टर आक्रोशित हो गए और वे मरीज के परिजनों के साथ मारपीट शुरू कर दी।