बिहार में शराबबंदी पर सरकार को मिला सुशील मोदी का साथ, भाजपा के दूसरे नेताओं से अलग है राय
Bihar Politics बिहार में शराबबंदी के मसले पर भाजपा नेताओं का अलग रुख जदयू को रास नहीं आ रहा है। इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी के बयान ने जदयू के साथ ही बिहार सरकार को राहत दी है।
पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Politics: बिहार में शराबबंदी के मसले पर भाजपा नेताओं का अलग रुख जदयू को रास नहीं आ रहा है। इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता, राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी के बयान ने जदयू के साथ ही बिहार सरकार को राहत दी है। सुशील मोदी ने कहा कि नालंदा में जहरीली शराब से मरने की घटना दुखद है, लेकिन ऐसी त्रासदी से पूर्ण मद्यनिषेध का कोई संबंध नहीं। जिन राज्यों में शराबबंदी लागू नहीं, वहां अक्सर बिहार से ज्यादा बड़ी घटनाएं हुई हैं। आपको बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दिनों कहा था कि शराबबंदी को वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता है।
स्पीडी ट्रायल के जरिए मिलेगा न्याय
मोदी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में 2011 में जहरीली शराब पीने से 167, महाराष्ट्र में 2015 में 102 और 2019 में यूपी-उत्तराखंड में 108 लोगों की जान गई। इनमें से किसी भी राज्य में शराबबंदी लागू नहीं। 2016 को हवाला देकर मोदी ने लिखा कि जब जहरीली शराब पीने से गोपालगंज में 19 लोगों की मौत हुई थी, तब राज्य सरकार ने स्पीडी ट्रायल के जरिये पांच साल के भीतर 13 लोगों को दोषी सिद्ध कराया। इनमें से नौ को फांसी और चार महिलाओं को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। नालंदा और जहरीली शराब से मौत की सभी घटनाओं में स्पीडी ट्रायल का रास्ता अपना कर ही पीडि़तों को न्याय दिलाया जा सकता है।
जानलेवा है शराबबंदी कानून, सुधारवादी कदम है जरूरी : कांग्रेस
इधर, शराबबंदी कानून को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर नीतीश सरकार को कठघरे में खड़ा किया और मांग की है कि शराबबंदी कानून में सुधारवादी कदम उठाए जाने जरूरी हैं। सरकार को इस कानून की समीक्षा करनी चाहिए थी। कांग्रेस मीडिया सेल के अध्यक्ष राजेश राठौड़ ने सोमवार को कहा कि पुलिस के भय से जहरीली शराब पीने वाले समय पर अस्पताल नहीं पहुंच सके और उनकी मौत हो गई। समय पर यदि ऐसे लोगों को डाक्टरी सुविधा मिल गई होती तो इनकी जान बचाई जा सकती थी।
शराबबंदी कानून के कारण ही मर रहे लोग
कांग्रेस नेता ने कहा कि शराबबंदी कानून की वजह से ही स्वजन अपने बीमार को अस्पताल नहीं ले जा सके। यह कानून लोगों को नशे से बचाने का था, लेकिन इससे लोगों की जान जा रही है। यह कानून आज अपने रास्ते से भटक गया है। उन्होंने मांग की कि सरकार को अपने शराबबंदी कानून की नए सिरे से समीक्षा करनी चाहिए, ताकि लोगों की जान बचाई जा सके।
नालंदा में जहरीली शराब से मरने की घटना अत्यंत दुखद है, लेकिन ऐसी त्रासदी से पूर्ण मद्यनिषेध का कोई संबंध नहीं है। जिन राज्यों में शराबबंदी लागू नहीं है, वहां अक्सर बिहार से ज्यादा बड़ी घटनाएँ हुईं। पश्चिम बंगाल में 2011 में जहरीली शराब पीने से 167, महाराष्ट्र में 2015 में 102 और 2019 में यूपी-उत्तराखंड में 108 लोगों की जान गई। इनमें से किसी राज्य में शराबबंदी लागू नहीं है। - Sushil Kumar Modi (@sushilmodi) 17 Jan 2022
वर्ष 2016 में जब जहरीली शराब पीने से गोपालगंज में 19 लोगों की मौत हुई थी, तब राज्य सरकार ने स्पीडी ट्रायल के जरिये पांच साल के भीतर 13 लोगों को दोषी सिद्ध कराया। इनमें से 9 को फांसी और 4 महिलाओं को उम्र कैद की सजा सुनायी गई। नालंदा और जहरीली शराब से मौत की सभी घटनाओं में स्पीडी ट्रायल का रास्ता अपना कर ही पीड़ितों को न्याय दिलाया जा सकता है। - Sushil Kumar Modi (@sushilmodi) 17 Jan 2022