NirbhayaVerdict: निर्भया के दोषी बिहार के अक्षय को मिली मौत, गांववाले हैं ज्यादा नाराज
NirbhayaVerdict निर्भया के दोषियों में शामिल बिहार के औरंगाबाद जिले के रहनेवाले अक्षय ठाकुर को भी चार दोषियों के साथ फांसी पर लटका दिया गया। उसके गांव में इसे लेकर आक्रोश है।
औरंगाबाद [मनीष कुमार / सत्यप्रकाश]। देश में दिल्ली निर्भया गैंग रेप के खिलाफ आक्रोश का दर्द के बीच दोषी अक्षय ठाकुर के गांव में फांसी की सजा को लेकर आक्रोश की चिंगारी थी। अक्षय को फांसी की सजा को लेकर गांव के हर पुरुष और महिलाओं के आंखों में गुस्सा और आक्रोश दिखा। फांसी की सजा से ग्रामीणों की आंखे लाल दिखी। गांव के जिस घरों के दरवाजे पर युवक या नौजवान या बुजुर्ग बैठे थे केवल अक्षय के फांसी के बारे में चर्चा कर रहे थे।
ग्रामीणों में यह भी चर्चा हो रही थी की पत्नी के द्वारा औरंगाबाद कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की गई है फांसी की सजा टल भी सकती है। नवीनगर से टंडवा होते हरिहरगंज तक जाने वाली मुख्य पक्की सड़क के किनारे झारखंड की सीमा पर अक्षय का गांव करमा लहंग है। इस मुख्य पथ से गांव में ग्रामीण टोला संपर्क योजना के तहत पीसीसी सड़क है जो अक्षय के घर को जोड़ती है।
निर्भया कांड में अक्षय को फांसी की सजा से गांव में सन्नाटा पसरा रहा। गांव की गली में वीरानगी छायी रही। गांव से बाहर मुख्य पथ पर मध्य विद्यालय के पास के घरों के दरवाजे पर उदास बैठे पुरुष और महिलाएं फांसी की सजा पर चर्चा करते रहे।
जीवन की आखिरी पन में जीवन जी रही लखिया देवी ने कहा कि फांसी के सजा गलत होइत हई। ऊ निर्दोष हई। हमनी ओकर जीवन अच्छा से जानित ही। ओइसन व्यवहार न हलई जइसन आरोप में फांसी सुनावल गेलई हे।
लाठी के सहारे गांव की तरफ जा रहे एक बुजुर्ग ने कहा कि फांसी की सजा विकल्प नहीं था। इस सजा के अलावा भी कोई सजा दिया जा सकता था। अक्षय के दरवाजे पर खड़े कुछ युवकों में इस तरह का आक्रोश दिखा मानों वे किसी को पीट बैठेगें।
युवकों ने फांसी की सजा के लिए मीडिया को भी दोषी ठहरा रहे थे। कहा कि घटना के बाद मीडिया ने दोषियों को सजा के लिए काफी तुल दिया। मीडिया ने यह कभी नहीं दिखाया अथवा बताया कि अक्षय निर्दोष है। अक्षय के घर के आसपास के घरों के सामने रही महिलाएं उदास दिखीं। हर की जुबाने खामोश दिखी।