Move to Jagran APP

New Year 2020 Challenges of Bihar: बहुत हुए काम पर कम नहीं चुनौतियां, नई उम्‍मीद जगातीं उपलब्धियां

New Year 2020 Biggest Challenges of Bihar साल 2020 बिहार में नई संभावनाएं जगा रहा है। हालांकि चुनौतियां भी कम नहीं हैं। आइए डालते हैं स्थिति पर एक नजर।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 01 Jan 2020 12:49 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jan 2020 10:17 PM (IST)
New Year 2020 Challenges of Bihar: बहुत हुए काम पर कम नहीं चुनौतियां, नई उम्‍मीद जगातीं उपलब्धियां
New Year 2020 Challenges of Bihar: बहुत हुए काम पर कम नहीं चुनौतियां, नई उम्‍मीद जगातीं उपलब्धियां

पटना [जेएनएन]। गिरती कानून व्‍यवस्‍था को ले चर्चाओं में रहे तथा नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) सूचकांक 2019 में पीछे छूट गए बिहार में नया साल चुनौतियां लेकर आया है। हालांकि, नई उम्‍मीद जगाती उपलब्धियां भी कम नहीं हैं। बीते साल कई क्षेत्रों में बड़े काम हुए, नए साल में उनमें और बेहतरी की उम्‍मीद है।

loksabha election banner

कानून-व्‍यवस्‍था के क्षेत्र में बड़ी चुनौती

बीता साल बिहार में कानून व्‍यवस्‍था की भयावह तस्‍वीर पेश कर गया। आला अधिकारी आंकड़ों की दुहाई दे अपराध कम होने के दावे करते रहे, लेकिन भीड़ की उन्‍मादी हिंसा व दुष्‍कर्म की अनेक ऐसी घटनाएं हुई, जिनसे पूरा देश हिल गया। महिला अपराध के अलावा राज्‍य में हत्‍या व लूट आदि सहित गंभीर प्रकृति के अपराध भी चर्चा में रहे। नए साल में इनसे निबटना बड़ी चुनौती है।

पूरे साल चर्चा में रहीं महिला अपराध की घटनाएं

साल के अंतिम दौर में पूर्णिया की एक घटना सिहरन पैदा कर गई। वहां पंचायत के तालिबानी फैसले पर एक महिला को बुरी तरह पीटा गया, फिर पिटाई के जख्‍मों पर मिर्च पाउडर डाल तड़पने के लिए छोड़ दिया गया। उसे बचाने गई बेटी को भी पकड़कर केरोसिन तेल डाल जिंदा जलाने की कोशिश की गई। निराशाजनक बात यह है कि पुलिस ऐसी किसी घटना से ही इनकार कर रही है। जबकि, स्‍थानीय लोग इसकी पुष्टि कर रहे हैं।

ज्‍यादा दिन नहीं हुए, जब बक्‍सर में एक युवती की जली लाश मिली थी। पहले तो इसकी तुलना हैदराबाद में वेटनरी लेडी डॉक्‍टर से दुष्‍कर्म के बाद जिंदा जला देने की घटना से की गई। घटना ने पूरे देश में सिहरन पैदा कर दी। हालांकि, बाद में पुलिस ने उद्भेदन किया तो यह पिता द्वारा ऑनर किलिंग का मामला निकला। बक्‍सर की यह घटना दुष्‍कर्म व हत्‍या का मामला भले ही नहीं रहा हो, लेकिन राज्‍य पूरे साल ऐसे मामलों से शर्मसार होता रहा। अधिकांश मामलों में पुलिस अनुसंधान की गति निराशजनक है।

नीति आयोग के एसडीजी सूचकांक में पीछे छूटा बिहार

2019 में बिहार का नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) सूचकांक में पीछे छूट जाना बड़ी घटना रही। इस सूचकांक में सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय मानकों पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाता है। रिपोर्ट के अनुसार 70 अंकों के साथ केरल शीर्ष पर है। केंद्र शासित प्रदेशों में 70 अंकों के साथ चंडीगढ़ भी शीर्ष स्थान पर है। हिमाचल प्रदेश दूसरे स्थान पर जबकि आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर हैं। सूची में बिहार के साथ ही झारखंड और अरुणाचल प्रदेश भी खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शुमार हैं।

सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में चुनौतियाें का नया साल

स्‍पष्‍ट है कि नया साल सामाजिक, अार्थिक व पर्यावरणीय क्षेत्रों में बड़ी चुनौतियां लेकर आ रहा है। कुपोषण और लैंगिक असमानता अब भी समस्या है। गरीबी की हालत यह है कि बड़ों को छोड़ दें, मासूम बच्‍चे तक कुपोषण के शिकार हैं। बीते 26 जुलाई को महिला व बाल विकास मंत्री स्‍मृति इरानी ने संसद को देश में बच्‍चों के कुपोषण की गंभीर स्थिति से अवगत कराया था। राष्‍ट्रीय परिवार स्‍वास्‍थ्‍य सर्वे रिपोर्ट के अनुसार मंत्री ने बताया था कि बिहार में पांच साल तक के 48.3 फीसद बच्‍चे कुपोषण के कारण उम्र के हिसाब से बौने हो गए हैं। बौने बच्‍चों की यह संख्‍या देश में सर्वाधिक है। यह आंकड़ा राज्‍य में गरीबी के कारण भोजन के अभाव की तस्‍वीर पेश करता है। ऐसे में नए साल में विभिन्‍न सामाजिक-आर्थिक योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए बहुत कुछ करने की बड़ी चुनौती है।

आयुष्‍मान से जुड़े 763 अस्‍पताल, स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में बड़ी चुनौती

बात स्‍वास्‍थ्‍य की करें तो सरकार सबके लिए स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा उपलब्‍ध कराने की दिशा में काम कर रही है। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से राज्‍य के 193 निजी अस्‍पताल जुड़ चुके हैं। बिहार के सरकारी और प्राइवेट कुल 763 अस्पतालों में आयुष्मान के तहत पात्र लाभार्थियों को मुफ्त इलाज की सुविधा दी जा रही है। स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में बीते साल की यह बड़ी उपलब्धि है। इसके बावजूद बीते साल एक्‍यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्राेम (AES) से सैकड़ों बच्‍चों की मौत का सिलसिला जारी रहा। कैंसर व टीवी से मौत में भी वृद्धि हुई। अस्‍पतालों को आयुष्‍मान योजना से जोड़ने के साथ लोगों, खासकर गरीबों को इसका लाभ भी मिले, यह नए साल की बड़ी चुनौती है।

उद्योग से जोड़ा जा रहा जल-जीवन-हरियाली अभियान

बिहार में नवाचार जारी है। इसी क्रम में जल-जीवन-हरियाली अभियान को उद्योग से भी जोडऩे का प्रयास कार्यरूप लेने वाला है। राज्य में कागज उद्योग को बढ़ावा दिया जाना भी निर्णित हो चुका है। सरकार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति 2016 में संशोधन कर रही है। इस कदम का स्वागत इसलिए होना चाहिए कि कुछ खास चीजों को छोड़कर स्थानीय स्तर पर बनी वस्तुओं का ही इस्तेमाल करने का प्रावधान इसमें होगा। सम्मिलित प्रयास से बिहार नए साल में नए प्रतिमान गढ़ते हुए नया मुकाम अवश्य रचेगा।

बड़ी उम्‍मीद जगाते बिजली व पानी के क्षेत्र में हुए काम

बात बिजली व पानी की करें तो इस क्षेत्र में हुए काम नए साल के लिए बड़ी उम्‍मीद जगाते हैं। सरकार बिजली उत्‍पादन की नई संभावनाएं भी तलाश रही है। उम्‍मीद है कि नए साल में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के सात निश्‍चय में शामिल घर-घर नल का जल पहुंचाने की योजना को नया मुकाम मिलेगा। बिहार में दो बड़ी कंपनियों ने चीनी के साथ-साथ इथनॉल बनाने का प्रस्‍ताव दिया है। इनमें से एक को राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद (एसआइपीबी) ने हरी झंडी प्रदान कर दी है। पश्चिम चंपारण के मगध सुगर मिल प्रा. लिमिटेड के इस प्रस्‍ताव पर काम हुआ तो चीनी एवं इथनॉल के साथ-साथ बिजली का भी उत्पादन होगा। पटना के दूसरे प्रस्ताव में भी चीनी और इथनॉल के साथ-साथ बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा।

राज्‍य में पुलों व सड़कों को दुरुस्‍त करने की चुनौती

राज्‍य के विकास में बिजली व पानी के साथ सड़कों का योगदान भी अहम है। बिहार सड़क, पुल-पुलियाें की कमी से जूझ रहा है। इस बीच साल के अंतिम दौर में भभुआ में उत्तर प्रदेश व बिहार को जोड़ने वाला कर्मनाशा नदी पर बना पुल अचानक टूट गया है। पुल पर शुक्रवार की देर रात से वाहनों का परिचालन बंद है। इस कारण बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और झारखंड से वाया उत्तर प्रदेश देश की राजधानी दिल्ली का संपर्क टूट गया है। इस पुल के क्षतिग्रस्त पिलरों को तोड़कर दोबारा बनाने में एक वर्ष का समय लगेगा। उम्‍मीद है कि नए साल के उत्‍तरार्ध तक यह काम पूरा हो जाएगा।

पुलों के आईने में बिहार को देखें तो मध्य और उत्तर बिहार की लाइफलाइन महात्मा गांधी सेतु पहले से जर्जर दशा में है, सालों से इसकी मरम्मत हो रही है। पटना को पूर्वी बिहार से जोडऩे वाले राजेंद्र सेतु पर भी बड़े वाहन प्रतिबंधित हैं। आरा में कोईलवर रेल सह सड़क पुल की सेहत भी अच्छी नहीं है। पटना में नवनिर्मित जेपी सेतु पर आजकल भारी वाहनों का दबाव है, इसके भी क्षतिग्रस्त होने की आशंका भी जताई जा रही है। पुल-पुलिया व सड़कें विकास की रीढ़ हैं। उनका इस तरह क्षतिग्रस्त होना व्यवस्था की निंद्रा को उजागर करता है। उम्‍मीद है कि नए साल में यह नींद टूटेगी।

पर्यावरण के क्षेत्र  में बिहार का प्रदर्शन बेहतर

साल 2019 कई उपलब्धियां भी दे गया। बात पर्यावरण की करें तो हरित आवरण के राष्ट्रीय औसत के सापेक्ष बिहार का प्रदर्शन बेहतर हो चुका है। कुछ जिलों में भले ही वन क्षेत्र में कमी आई हो, लेकिन संपूर्ण बिहार का आकलन करें तो वन क्षेत्र में वृद्धि दर्ज की गई है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर द्वारा अभी जारी आइएसएफआर (इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट) 2019 में बिहार की यह उपलब्धि दर्ज है। इस समय राज्य का 15 फीसद हिस्सा हरा-भरा है। 2020 के अंत तक इसे 17 फीसद तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

नीति आयोग की रिपोर्ट में पर्यावरणीय मानक में बिहार ने हाल के दिनों में शानदार प्रदर्शन किया है। रिपोर्ट के मुताबिक जल, स्वच्छता, उद्योग और नवाचार में बड़ी सफलता के कारण 2018 के मुकाबले 2019 में भारत का समग्र अंक 57 से बढ़कर 60 हो गया है।

स्‍कूली से लेकर उच्‍च शिक्षा तक के क्षेत्र में बदलाव शुरू

स्कूली शिक्षा में गुणात्मक बदलाव का दौर शुरू हो चुका है। पंचायत स्तर पर मॉडल हाईस्कूल खोलने पर सरकार का फोकस है। 12वीं तक लड़कों व लड़कियों को शिक्षा पंचायत स्तर पर मुहैया कराने पर कार्य तेजी से चल रहा है। अबतक 6500 से ज्यादा माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय खोले जा चुके हैं। जबकि, 2950 स्कूलों को माध्यमिक विद्यालय में अपग्रेड किया गया है, जहां अप्रैल से नौवीं कक्षा की पढ़ाई शुरू होगी। 10वीं और 12वीं का पाठ्यक्रम, आइटीआइ कोर्स और परीक्षा का पैटर्न में गुणात्मक बदलाव लाने की तैयारी भी है। इसी तरह उच्च शिक्षण एवं तकनीकी संस्थानों के विद्यार्थियों में नए इनोवेशन और शोध को प्रमोट किया जा रहा है। नए साल में इस दिशा में उल्‍लेखनीय काम होने की उम्‍मीद है।

उच्‍च शिक्षा में गुणात्‍मक सुधार बड़ी चुनौती

उच्‍च शिक्षा की बात करें तो प्रदेश के शिक्षण संस्थान विश्वस्तरीय तो दूर, राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में भी टिक नहीं पा रहे हैं। यह बड़ी चुनौती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस क्षेत्र में ठोस पहल की है। चंद्रगुप्त इंस्टीच्यूट ऑफ मैनेजमेंट, चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, आर्यभट नॉलेज यूनिवर्सिटी तथा पटना में निफ्ट जैसे राष्ट्रीय स्तर से संस्थान स्थापित हुए हैं। वहीं सेंटर फॉर रिवर स्टडीज, सेंटर फॉर मास कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म और स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी जैसे संस्थान खोलने की सरकार मंजूरी दे चुकी है। ऐसे राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों को खोलने के पीछे नीतीश सरकार का मकसद यह है कि बिहार के मेधावी युवाओं को रोजगार दिलाने वाली शिक्षा मिले। यही वजह है कि मौजूदा सरकार युवाओं को रोजगारपरक शिक्षा के साथ-साथ उनके कौशल विकास पर भी फोकस कर रही है।

कई क्षेत्रों में हुए बड़े काम, नए साल में और बेहतरी की उम्‍मीद

उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी कहते हैं कि वर्ष 2019 राज्य सरकार ने पेयजल, स्वच्छता, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य और बिजली जैसे कई सेक्टर में उल्लेखनीय प्रगति की, जिससे बिहार परफॉर्मर से ऊपर उठ गया। यह रिपोर्ट विरोधी दलों की अनर्गल बयानबाजी को आईना दिखाती है। नये साल में हम और बेहतर काम करेंगे, जिससे बिहार के लोगों के जीवन में और खुशहाली आएगी।

चुनौतियां के बीच उम्‍मीदें बरकरार

बहरहाल, चुनौतियां कम नहीं, लेकिन उम्‍मीदें बरकरार हैं। इन्‍हीं उम्‍मीदों के बल पर मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार बिहार की विकास यात्रा में सहयोगी बनने की अपील कर रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.