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बिहार में एनडीए ने लिया शराबबंदी का संकल्प, बाहर विरोध करने वालों ने भी समर्थन में उठाया हाथ

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि शराबबंदी कानून बिहार के लिए वरदान साबित हुआ है। वही लोग इसका विरोध करते हैं जिन्हें इसके सकारात्मक असर का अंदाजा नहीं है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून लागू रहेगा। विरोध करने का कोई असर नहीं होगा।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 05:39 PM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 05:39 PM (IST)
बिहार में एनडीए ने लिया शराबबंदी का संकल्प, बाहर विरोध करने वालों ने भी समर्थन में उठाया हाथ
शराबबंदी कानून का समर्थन में संकल्प के बाद हाथ उठाते सदस्य।

राज्य ब्यूरो, पटना: एनडीए से जुड़े चारों दलों के विधायकों-विधान परिषद सदस्यों ने शराबबंदी कानून का समर्थन करते हुए इसे जारी रखने का संकल्प लिया। बाहर विरोध करने वालों ने भी समर्थन में हाथ उठाया। बैठक में शामिल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह कानून बिहार के लिए वरदान साबित हुआ है। वही लोग इसका विरोध करते हैं, जिन्हें इसके सकारात्मक असर का अंदाजा नहीं है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून लागू रहेगा। इसके छिटपुट विरोध का उन पर कोई असर नहीं है। 

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सोमवार को विधानसभा परिसर स्थित सेंट्रल हाल में एनडीए के विधायकों की बैठक हुई। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान विधायकों से कहा कि वे हाथ उठाकर इस कानून का समर्थन करें। सभी विधायकों के हाथ उठ गए। मुख्यमंत्री का संबोधन समाप्त हुआ। भाजपा के विधान परिषद सदस्य संजय मयूख ने सलाह दी कि  शराबबंदी के समर्थन में उठे विधायकों के हाथ की फोटोग्राफी भी हो। फोटो के लिए विधायकों के हाथ दूसरी बार उठे। फोटोग्राफर बाहर से बुलाए गए।

शराबबंदी से अपराध हुआ कम

मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी की बड़ी उपलब्धि सामाजिक बदलाव है। यह हर क्षेत्र में नजर आ रहा है। अपराध और दुर्घटना की संख्या कम हुई है। पारिवारिक विवाद कम हुआ है। लोगों की सेहत भी सुधरी है। उन्होंने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव का बिना नाम लिए इशारे में कहा-लोग क्या क्या बोल रहे हैं। यही लोग हैं, जो शराबबंदी के लिए गांधी मैदान में आयोजित मानव श्रृंखला में हमसे सट कर फोटो खिंचवा रहे थे। कुमार ने कहा कि जहरीली शराब पीने से होने वाली मौतों को लेकर दलील दी जा रही है कि कानून को खत्म किया जाए। शराबबंदी है तो शराब पीने की क्या जरूरत है। लोग जहरीली शराब पीएंगे तो मौतें भी होंगी। हालांकि, इस तरह के हादसे उन राज्यों में भी होते हैं, जहां शराब पर कोई पाबंदी नहीं है। 

कटोरिया के विधायक को नसीहत

कटोरिया की भाजपा विधायक निक्की हेम्ब्रम का कहना था कि आदिवासियों का एक तबका शराब के कारोबार से जीविका चलाता है। इस कानून से उन्हें परेशानी हो रही है। क्षेत्र भ्रमण के दौरान ये लोग शिकायत करते हैं। मुख्यमंत्री ने उन्हें बीच में ही यह कह कर रोका कि शराब के कारोबार पर आश्रित आदिवासी आबादी न्यूनतम है। सरकार के पास सर्वे रिपोर्ट है। ऐसे लोगों के लिए रोजगार के वैकल्पिक उपाय किए गए हैं। अगर विधायक के पास इस कानून के असर में आने के बाद इस वर्ग के बेरोजगार हुए लोगों की सूची है तो सरकार को उपलब्ध करा दें। उन्हें रोजगार के साधन दिए जाएंगे।

तीन दिन पहले विरोध, आज समर्थन

बैठक में लोगों की नजर भाजपा के उन विधायकों पर थी, जो शराबबंदी कानून को लागू करने में पुलिस की भूमिका की सार्वजनिक आलोचना कर रहे थे। विधायक कुंदन सिंह और हरिभूषण ठाकुर बचौल इसी श्रेणी के हैं। कुंदन सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि वे शराबबंदी कानून का समर्थन करते हैं। यह जरूरी है। बचौल कुछ नहीं बोले। लेकिन, समर्थन में हाथ उठाने वालों में वह भी शामिल थे। 


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