Bihar: जातीय जनगणना पर NDA में एक राय नहीं, BJP के कुछ नेताओं ने कहा गैर-जरूरी, JDU एकमत नहीं
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार का सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जातीय जनगणना पर मिला था। उसमें भाजपा प्रतिनिधि के तौर पर राज्य के मंत्री जनक राम भी शामिल थे लेकिन भाजपा के दूसरे नेता इस मांग को अब भी गैर-जरूरी बता रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, पटना : जातिगत जनगणना को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दलों में मतभेद कायम है। इस मांग पर जोर देने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार का सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिला था। उसमें भाजपा प्रतिनिधि के तौर पर राज्य के मंत्री जनक राम भी शामिल थे, लेकिन भाजपा के दूसरे नेता इस मांग को अब भी गैर-जरूरी बता रहे हैं। इधर जदयू के भीतर भी जातिगत जनगणना को लेकर एक राय नहीं बन पा रही है। भाजपा के अधिसंख्य नेता इस मसले पर चुप हैं, लेकिन केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और पूर्व मंत्री डा. सीपी ठाकुर ने इसकी जरूरत को पूरी तरह खारिज कर दिया है।
सीपी ठाकुर ने कहा कि जातियों की नहीं, अमीरों और गरीबों की गणना होनी चाहिए। नागरिक सुविधाओं का विकास होना चाहिए। उनके मुताबिक जातिगत जनगणना से समाज में विभाजन होगा। इसके लिए प्रधानमंत्री पर दबाव बनाने की रणनीति गलत है। सीपी ठाकुर अभी भाजपा संगठन में किसी महत्वपूर्ण पद पर नहीं हैं। गिरिराज सिंह ने इस मांग को राजनीतिक लाभ से जोड़ दिया है। उन्होंने किसी दल या व्यक्ति का नाम नहीं लिया। कहा कि जनगणना समाज के हित के लिए हो। कुछ लोग राजनीतिक लाभ के लिए इसकी मांग कर रहे हैं।
जदयू में भी एक राय नहीं
दिलचस्प यह है कि जातिगत जनगणना की मांग की अगुवाई कर रहे नीतीश कुमार के जदयू में भी इस मसले पर एक राय नहीं है। केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह इस मांग का समर्थन नहीं कर रहे हैं। यह कह कर कि केंद्र और राज्य की सरकारें अब सबके कल्याण के लिए योजनाएं बनाती हैं। जाति और धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता है। ऐसे में जातिगत जनगणना गैर-जरूरी है। उधर जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की मांग है कि जातिगत जनगणना में एकदम से देरी नहीं होनी चाहिए।