लोकसभा चुनाव: महागठबंधन में RJD की दबंगई जारी, किचकिच से फायदे में NDA
लोकसभा चुनाव को ले सीटों के बंटवारे में राजद का महागठबंधन के घटक दलों पर दबाव बना हुआ है। इसका फायदा राजग को मिलता दिख रहा है। क्या है मामला जानिए इस खबर में।
पटना [सुभाष पांडेय]। सीटों के बंटवारे में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की दबंगई के चलते महागठबंधन के सहयोगी दल दो-फाड़ बंटे दिखाई दे रहे हैं। कांग्रेस, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) को अभी तक पता नहीं है कि उन्हें कहां-कहां से चुनाव लडऩा है। इस बीच कांग्रेस सुप्रीमो राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस के नेताओं के साथ दिल्ली में बैठक की है। कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस महागठबंधन में रहने या नहीं रहने को लेकर बड़ा फैसला ले सकती है। महागठबंधन की इस किचकिच ने चुनाव मैदान में उतरने से पहले ही राजग को बढ़त दिला दी है।
खत्म नहीं हुआ सीटों का झगड़ा
बिहार में पहले और दूसरे चरण के नामांकन का काम पूरा होने के बाद भी महागठबंधन में सीट बंटवारे का झगड़ा खत्म नहीं हुआ है। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) की तीन सीटों को अगर छोड़ दिया जाए तो महागठबंधन में अभी तक यह भी तय नहीं हो पाया है कि वाल्मीकिनगर, पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी और झंझारपुर में कौन सी सीट पर किस दल का प्रत्याशी चुनाव लड़ेगा। कभी किसी सीट के लिए कांग्रेस की ओर से दबाव बढ़ा दिया जाता है तो कभी राजद की ओर से।
कई सीटों को ले राजद बना रहा दबाव
पहले तय हुआ कि वाल्मीकिनगर से रालोसपा चुनाव लड़ेगी। राजद की ओर से अब्दुल बारी सिद्दीकी के लिए दरभंगा सीट पर दावा ठोक दिए जाने के बाद कांग्रेस ने इस सीट के लिए दबाव बढ़ा दिया है। कांग्रेस को ब्राह्मण वर्ग को प्रतिनिधित्व देने के लिए कोई एक सीट चाहिए। भाजपा से आए कीर्ति झा आजाद के लिए कांग्रेस दरभंगा को सबसे अधिक मुफीद मान रही है। दो दिन पहले तय हुआ कि रालोसपा अब वाल्मीकिनगर के बदले पश्चिमी चंपारण से चुनाव लड़ेगी, लेकिन इस सीट पर राजद का भी अभी तक दावा बना हुआ है।
पप्पू के पैंतरे से पैदा हुआ ताजा विवाद
मधेपुरा के सांसद पप्पू यादव के लिए भी शुरू में कांग्रेस ने राजद पर दबाव बढ़ाया था, लेकिन लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव की कड़ी आपत्ति के बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। पप्पू के नए पैंतरे के बाद अब ताजा विवाद पैदा हो गया है। पप्पू ने मधेपुरा में राजद प्रत्याशी शरद यादव के खिलाफ चुनाव लडऩे का एलान कर दिया है। उसके बाद राजद की ओर से पप्पू यादव पर दबाव बनाने के लिए सुपौल की सीट मांगी जाने लगी है। सुपौल से पप्पू की पत्नी रंजीत रंजन कांग्रेस से सांसद हैं।
वीआइपी की सीटों पर अभी भी पर्दा
वीआइपी को तीन सीटें देने का महागठबंधन ने एलान कर दिया है, लेकिन वह कौन-कौन सी सीट पर चुनाव लड़ेगी यह तय नहीं हो सका है। कहा जा रहा है कि सहनी के लिए खगडिय़ा सीट तय की गई है, किंतु अन्य दो सीटों पर अभी भी पर्दा है।
कांग्रेस में शत्रुघ्न की ज्वाइनिंग टली
इसी तरह पटना साहिब की सीट को लेकर भी सहमति बनने में देरी हुई। लालू प्रसाद चाहते थे कि शत्रुघ्न सिन्हा उनके सिंबल पर चुनाव लड़ें, लेकिन शत्रुघ्न को समझाया गया कि राजद के सिंबल पर सवर्ण वोट नहीं देंगे। उन्हें गुरुवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलकर पार्टीकी सदस्यता लेनी थर, लेकिन यह मामला भी फिलहाल खटाई में पड़ गया है।
महागठबंधन की कलह का लाभ राजग को
इस तरह करीब एक दर्जन सीटों पर महागठबंधन मोदी विरोधी वोटों की गोलबंदी करने में नाकाम साबित हो रहा। इसका शुरुआती लाभ राजग को मिलता दिख रहा है।