चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग में 10 अक्टूबर से आरंभ होगा नवरात्र
- नाव पर होगा माता का आगमन, हाथी पर होगी विदाई।
- नाव पर होगा माता का आगमन, हाथी पर होगी विदाई
- 09 दिनों का होगा नवरात्र, मां के नौ रूपों की होगी पूजा
- 19 अक्टूबर को मनेगा विजयादशमी का पर्व
दुर्गा देवी के नौ रूपों की पूजा का त्योहार शारदीय नवरात्र 10 अक्टूबर से शुरू होगा। बुधवार के दिन चित्रा नक्षत्र में एवं वैधृति योग शारदीय नवरात्र आरंभ होकर 19 अक्टूबर दिन शुक्रवार को विजयादशमी के दिन संपन्न होगा। कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा ने कहा कि नवरात्र में माता अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए नाव पर सवार होकर शुभता लेकर आएंगी। वहीं माता की विदाई हाथी पर होगी। जिसके कारण पूरे भारत में आने वाले वर्ष में वृष्टि के आसार होंगे। पंडित झा ने कहा कि नवरात्र के मौके पर पहले दिन यानि 10 अक्टूबर को कलश स्थापना भी चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग में होगी। कलश स्थापना के समय विष्णु, भगवान शिव, नवग्रह सहित सभी देवी-देवताओं की पूजा करने का विधान है। श्रद्धा और विश्वास के साथ कलश-स्थापना कर मां की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
कलश स्थापना के मुहूर्त
प्रात:काल - 6:18 बजे से 10:11 बजे तक
गुली काल मुहूर्त- सुबह 10:09 बजे से11:36 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 11:36 बजे से 12:24 बजे तक
कन्या पूजन का विशेष महत्व
पंडित राकेश झा ने भगवती पुराण के अनुसार बताया कि नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। नवरात्र में छोटी कन्या माता का स्वरूप होती है। तीन वर्ष से लेकर नौ वर्ष की कन्याओं का पूजन करना नवरात्र में शुभ और फलदाई होता है। झा ने कहा कि एक कन्या की पूजा करने से एश्वर्य, दो कन्या की पूजा से भोग और मोक्ष, तीन कन्याओं के पूजन करने से धर्म, अर्थ व काम, चार कन्या की पूजन करने से राजपद की प्राप्ति, पांच कन्या की पूजन करने से विद्या, यश, छह कन्या की पूजन करने से सिद्धि, सात की पूजन करने से राज सुख, आठ कन्या पूजन से संपदा और नौ कन्या की पूजन करने से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।
राशि के अनुसार करें मां की आराधना
मेष - रक्त चंदन, लाल पुष्प और सफेद मिष्ठान अर्पित करें।
वृष - पंचमेवा, सुपारी, सफेद चंदन, पुष्प अर्पित करें।
मिथुन - केला, पुष्प, धूप से पूजा करें।
कर्क - बतासा, चावल, दही का अर्पण करें।
सिंह - तांबे के पात्र में रोली, चंदन, केसर, कपूर के साथ आरती करें
कन्या - फल, पान का पत्ता, गंगाजल मां को करें अर्पित।
तुला - दूध, चावल, चुनरी और घी के दीपक जलाएं।
वृश्रि्वक - लाल फूल, गुड़, चावल, चंदन के साथ पूजा करें।
धनु - हल्दी, केसर, तिल का तेल, पीला पुष्प अर्पित करें
मकर - पुष्प, चावल, कुमकुम अर्पण करें।
कुंभ - पुष्प , सरसो तेल का दीपक और फल अर्पित करें।
मीन - हल्दी, चावल, पीला फूल, केले के साथ पूजन करें।
नवरात्र में मां के विभिन्न स्वरूप की होगी पूजा
नवरात्र के मौके पर मां के विविध स्वरूप की पूजा होगी। जिसमें पहले दिन प्रतिपदा पर मां शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्माचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवें दिन स्कंधमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन मां कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, नौंवे दिन मां सिद्धिदात्री के साथ मां के नौ रूपों की पूजा होगी। पक्ष की प्रतिपदा तिथि से विजया दशमी तक होती है माता की आराधना होगी।