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Navratra Special: बिहार के देवी मंदिर में आपस में बात करती हैं मूर्तियां! यहां नहीं होती कलश स्‍थापना

डुमरांव के राज-राजेश्वरी मंदिर में निस्तब्ध निशा में मूर्तियां करती हैं बातें! तंत्र साधना के लिए प्रख्यात है मंदिर यहां नहीं होती है कलश की स्थापना भवानी मिश्र ने लगभग चार सौ वर्ष पहले इस मंदिर की स्थापना की थी

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Sun, 18 Apr 2021 01:28 PM (IST)Updated: Sun, 18 Apr 2021 01:28 PM (IST)
Navratra Special: बिहार के देवी मंदिर में आपस में बात करती हैं मूर्तियां! यहां नहीं होती कलश स्‍थापना
डुमरांव का राज-राजेश्‍वरी मंदिर और इनसेट में मां की प्रतिमा। जागरण

डुमरांव (बक्सर), रंजीत कुमार पांडेय। विज्ञान भले ही मंगल और चांद पर आशियाने बसाने के सपने देख रहा हो लेकिन धार्मिक स्थलों में आज भी ऐसे कई गूढ़ रहस्य छिपे हैं, जिनके बारे में विज्ञान तह तक नहीं पहुंच सका। जहां विज्ञान पीछे हो जाता है और वहां सिर्फ विश्वास आगे रहता है। बक्सर के डुमरांव में तंत्र साधना के प्रसिद्ध राज-राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मंदिर में स्थापित मूर्तियां सच्चे इंसानों की तरह आपस में बातें करती हैं। निस्तब्ध निशा में मूर्तियां की आपस में फुसफुसाहट सुनी जाती है, तंत्र साधना के लिए भी यह मंदिर प्रख्यात है।

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राज राजेश्‍वरी मंदिर में पूरी होती है हर मनोकामना

शारदीय एवं वासंतिक नवरात्र में कलश स्थापित कर शक्ति स्वरूपा की पूजा-अर्चना की पुरानी परंपरा है, लेकिन डुमरांव नगर के लाला टोली मोहल्ला में स्थापित इस तांत्रिक मंदिर में कलश स्थापित नहीं होता है एवं न ही आम देवी-देवताओं की तरह मंदिरों में तरह पूजा-पाठ होती है। तंत्र साधना के लिए प्रख्यात इस राज-राजेश्वरी मंदिर में साधकों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

मंदिर में स्थापित है तीन महाविद्याएं

राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मंदिर के प्रति साधकों की आस्था यूं ही नहीं है। बल्कि इस मंदिर में प्रधान देवी राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी के साथ ही बगलामुखी देवी,  तारा माता के अलावे पांचों भैरव में दत्तात्रेय भैरव, बटुक भैरव, अन्नपूर्णा भैरव, काल भैरव व मातंगी भैरव की प्रतिमा स्थापित की गई है। इस मंदिर में काली, त्रिपुर भैरवी, द्युमावती, तारा, छिन्नमस्तिका, षोड़सी, मातंगड़ी, कमला, उग्र तारा, भुवनेश्वरी आदि दस महाविद्याएं भी हैं।    

चार सौ साल पुराना है मंदिर का इतिहास

जाने-माने तांत्रिक भवानी मिश्र द्वारा लगभग चार सौ वर्ष पहले इस मंदिर की स्थापना की गई थी। तब से आज तक इस मंदिर में उन्हीं के परिवार के सदस्य पुजारी की भूमिका निभाते है। मंदिर के मुख्य पुजारी पं.किरण प्रकाश मिश्रा ने बताया कि पूर्णत: तांत्रिक इस मंदिर में कलश स्थापना नहीं कराया जाता है। इस मंदिर में बगलामुखी राज राजेश्वरी माता को सूखे मेवे का प्रसाद ही चढ़ाया जाता है।   

रात में मूर्तियों से आती है आवाज

राज राजेश्वरी, त्रिपुरसुंदरी मंदिर की सबसे अनोखी मान्यता यह है कि निस्तब्ध निशा में यहां स्थापित मूर्तियों से बातचीत की आवाज आती है। मध्य रात्रि में नागरिक जब यहां से गुजरते है, तो उन्हें मूर्तियों की आवाज सुनाई पड़ती है। मंदिर के पुजारी पं. किरण मिश्र ने इस बात की पुष्टि की है। नगर के कई लोगों ने भी रात में मंदिर से कानाफूसी होने की आवाज सुनने की बात कही है। ऐसा लगता है मानो निस्तब्ध निशा में मूर्तियां आपस में बात करती हैं।


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