National Doctor's Day 2020: जब मंदिर के दरवाजे थे बंद, दिल खोलकर बैठे रहे ये धरती के 'भगवान'
National Doctors Day 2020 कोरोना के संक्रमण काल में जहां मन्दिरों में भगवान बंद थे वहीं धरती के भगवान यानि हमारे डॉक्टर्स पूरी निष्ठा से कोरोना मरीजों का इलाज करने में तत्पर हैं
पटना, जेएनएन। National Doctor's Day 2020: कोरोना काल में हर चीज के बंद होने की नौबत आई, खुले रहे तो केवल अस्पताल। जब हर मंदिर के दरवाजे बंद रहे तो भगवान 'डॉक्टर' के रूप में मानवता की रक्षा के लिए लगातार तत्पर रहे। कोरोना अस्पताल के तौर पर चिह्नित नालंदा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एनएमसीएच) के नोडल पदाधिकारी और औषधि विभाग के सह प्राध्यापक डॉ. अजय कुमार सिन्हा ने मार्च महीने से अबतक न तो कोई छुट्टी ली और न ही साप्ताहिक अवकाश। वह लगातार हर रोज मरीजों की सेवा में हैं।
डॉ. अजय कहते हैं- 'मार्च में एनएमसीएच के कोरोना अस्पताल घोषित होने के साथ ही मुझे नोडल पदाधिकारी की जिम्मेदारी सौंपी गयी। पूरी टीम को विश्वास में लेकर मोर्चे पर तैनात हुआ। डरे-सहमे आने वाले मरीजों का आत्मविश्वास बढ़ाते हुए इलाज शुरू किया। मरीजों से दोस्ती की। उन्हें अपना फोन नंबर दिया। दिन-रात में मरीज के आने वाले फोन पर भी उनकी हरसंभव मदद की। इलाज में जुटे डॉक्टरों, नर्सों व कर्मियों के बीच खुद को रोल मोडल के रूप में पेश करने की चुनौती थी।
प्राचार्य, अधीक्षक, विभागाध्यक्ष की उम्मीदों पर भी खरा उतरना था। घर में बुजुर्ग मां, पत्नी, पुत्र-पुत्री से जुड़ी अपनी जवाबदेही के बीच मैंने मरीज को महत्व दिया। घर वालों ने भी हमेशा मुझे मरीजों की सेवा के लिए प्रोत्साहित किया। मरीज जब एनएमसीएच से डिस्चार्ज होकर खुशी-खुशी घर लौटते हैं तब वो पल मेरे लिए अनमोल होता है। सबकी मेहनत से स्वस्थ्य हुआ मरीज एनएमसीएच की टीम को महत्वपूर्ण होने का गौरवपूर्ण अहसास कराता है।'
98 दिन से लगातार रात नौ बजे तक कर रहे ड्यूटी
कोरोना काल में संक्रमण का सबसे अधिक खतरा डॉक्टरों को ही है। बावजूद धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर दिन-रात सेवा में जुटे हैं।
पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) के प्राचार्य डॉ. विद्यापति चौधरी ने 98 दिनों में अब एक भी छुट्टी नहीं ली है। वह एमबीबीएस व पीजी के छात्रों के अध्यापन के साथ-साथ ओपीडी में मरीजों की उपचार में डटे रहे।
वह बताते हैं कि कोरोना संक्रमण को लेकर घर में परिवार व बच्चे चिंतित रहते हैं। घर का माहौल यह होता है कि वहां बाहर से जाने पर सीधे इंट्री नहीं मिलती। रात नौ या साढ़े नौ बजे घर पहुंचने पर सीधे स्नानघर में प्रवेश होता है। जहां कपड़ा धोने के लिए डालने के बाद खुद गर्म पानी से स्नान कर घर में प्रवेश पाते हैं। तमाम चुनौतियों के बाद वह लगातार अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद हैं।