नरक निवारण चतुर्दशी व्रत से कट जाते हैं सभी पाप, भगवान शिव को इन उपायों से करें खुश
Narak Nivaran Chaturdashi शिवपुराण के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन पर्वतराज हिमालय ने पुत्री पार्वती की शादी के लिए शिव के पास भेजा था प्रस्ताव बिहार व खासकर मिथिलांचल में धूमधाम से मनाया जाता है यह पर्व भगवान शिव की उपासना से खत्म होते हैं सभी पाप
पटना, जागरण संवाददाता। Narak Nivaran Chaturdashi Vrat: माघकृष्ण चतुर्दशी 30 जनवरी दिन रविवार को पूर्वाषाढ़ नक्षत्र व हर्षण व सर्वार्थ सिद्धि योग में नरक निवारण चतुर्दशी व्रत मनाया जाएगा। यह योग पूरे दिन रहेगा। ऐसे में श्रद्धालु पूरे दिन व्रत कर भगवान शिव की पूजा अर्चना करेंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्ष में कुल 24 चतुर्दशी होते हैं। इनमें नरक निवारण चतुर्दशी का अपना विशेष महत्व है। व्रत से पाप कर्म के बुरे प्रभाव से मुक्ति मिलती है। यह पर्व बिहार के अन्य हिस्सों के साथ ही मिथिलांचल में अधिक महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है।
भगवान शिव और रुद्राभिषेक का विशेष लाभ
नरक निवारण चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु भगवान महादेव की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर व्रत रखते हैं और सूर्यास्त के बाद बेर खाते हैं। ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा ने धार्मिक ग्रंथों के हवाले से बताया कि नरक निवारण चतुर्दशी व्रत भगवान महादेव को अत्यंत प्रिय है। इस दिन श्रद्धालु भगवान शिव का पार्थिव पूजन, जलाभिषेक व रुद्राभिषेक करने के साथ महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं। इस दिन भगवान शिव अपने भक्तों पर पर विशेष प्रसन्न होते हैं।
इसी दिन तय हुआ था शिव-पार्वती का विवाह
शिवपुराण के अनुसार इसी दिन पर्वतराज हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती की शादी का प्रस्ताव भगवान शिव के पास भेजा था, यानी इसी दिन भगवान शिव का विवाह तय हुआ और महाशिवरात्रि को इनका विवाह संपन्न हुआ था । इस व्रत को करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। व्रत में शिव पूजा के दौरान बेलपत्र, बेर चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। व्रत का पारण मिथिला पंचांग के अनुसार शाम 05:23 बजे के बाद होगा। वहीं बनारसी पंचांग के तहत संध्या 05:25 बजे के बाद किया जाएगा।
शिव पूजन शुभ मुहूर्त
- चतुर्दशी तिथि: सुबह 06:37 बजे से शाम 03:39 बजे तक
- अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11:41 बजे से 12:25 बजे तक
- चौघड़िया मुहूर्त: 01:25 बजे से 02:47 बजे तक