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जेपी आंदोलन में हिस्‍सा लेने पोस्‍टमैन के वेश में पटना आए थे नानाजी देशमुख, पुलिस की पिटाई से टूटा था हाथ

वेश बदल पटना आए थे नानाजी देशमुख जेपी को बचाने में टूटा था हाथ संघ की मजबूती के लिए समर्पित किया पूरा जीवन लोकनायक के भी थे करीबी नानाजी ने जेपी को वचन देकर कहा था आप आंदोलन का करें नेतृत्व हम सभी आपके साथ

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 11:03 AM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 11:04 AM (IST)
जेपी आंदोलन में हिस्‍सा लेने पोस्‍टमैन के वेश में पटना आए थे नानाजी देशमुख, पुलिस की पिटाई से टूटा था हाथ
जेपी आंदोलन में हिस्‍सा लेने पटना आए थे भारत रत्‍न नानाजी देशमुख। फाइल फोटो

पटना, प्रभात रंजन। Nanaji Deshmukh Death Anniversary Jagran Special: स्वयंसेवक के रूप में अपना पूरा जीवन व्यतीत करने वाले नानाजी देशमुख का पटना से भी नाता रहा है। वे जेपी आंदोलन (JP movement in Bihar) के समय भी यहां आए थे। तब जेपी को बचाने में उनका हाथ भी टूट गया था। तब के नेताओं और बुजुर्गों को संघर्ष के वे दिन ओर नानाजी का सादगी आज भी याद है।

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जेपी आंदोलन चरम पर था तो पटना आए थे नानाजी

बिहार विधान परिषद (Bihar Legislative Assembly) के सदस्य व पटना विश्वविद्यालय (Patna University) के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. रामवचन राय (Retired Pro Dr Ramvachan Rai) बताते हैं, देश में कांग्रेस (Congress) की निरंकुश सत्ता के खिलाफ जेपी (Jay Prakash Narayan) ने आवाज उठाई थी। आंदोलन चरम पर था। इस आंदोलन में हिस्‍सा लेने के लिए नानाजी पटना आए थे।

इनकम टैक्‍स गोलंबर के पास जीप की बाेनट पर बैठ गए

पटना के कदमकुआं स्थित महिला चरखा समिति (Mahila Charkha Samitee, Kadamkuan, Patna) से सिर पर पगड़ी बांधकर, हाथ में लाठी लेकर और आंखों पर काला चश्मा लगा कार्यकर्ताओं के साथ आगे बढ़ रहे थे। पुलिस प्रशासन ने जुलूस को रोकने के लिए अश्रु गैस और लाठीचार्ज किया, इसके बावजूद भीड़ आगे बढ़ती गई। इनकम टैक्स गोलंबर पर भीड़ में से अचानक नानाजी देशमुख जीप के बोनट पर कूदकर बैठ गए, जिसे देख सभी हतप्रभ हो गए थे।

नानाजी के बिहार में प्रवेश पर थी रोक, तो वेश बदलकर पहुंचे

नानाजी के बिहार में प्रवेश पर रोक थी, पर वे इसकी अवहेलना कर दिल्ली से ट्रेन की आरएमएस बोगी में पोस्टमैन की पोशाक पहनकर पटना पहुंच गए। इसके बाद उन्होंने आंदोलन में अपनी भूमिका निभाई। पुलिस जवानों ने जब जेपी व उनके कार्यकर्ताओं पर लाठियां बरसानी शुरू की तो जेपी को बचाने के लिए नानाजी देशमुख ने अपना हाथ आगे कर उन्हें बचा लिया था। इसमें उनका हाथ भी टूट गया था। जेपी ने उस घटना के बाद कहा था कि अगर नानाजी देशमुख व हैदर अली मेरी सुरक्षा में नहीं होते तो मैं मर गया होता। नानाजी ने 12 अप्रैल 1974 को जेपी को वचन देकर कहा था कि आप आंदोलन का नेतृत्व करें, हम सभी आपके साथ हैं।

संघ के समर्पित कार्यकर्ता थे नानाजी

नानाजी देशमुख का जन्म महाराष्ट्र (Maharashtra) के हिंगौली (Hingauli) जिले के कंडोली (Kandoli) गांव में 11 अक्टूबर 1916 को हुआ था। उन्हें पद्म विभूषण वे भारत रत्न से भी अलंकृत किया गया था। उनका निधन 27 फरवरी 2010 को मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के सतना (Satna) जिले में हुआ। नानाजी का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार (Dr. Kesha Baliram Hedgewar) से गहरा संबंध रहा। 1940 में हेडगेवार के निधन के बाद आरएसएस (RSS) को मजबूती प्रदान करने में नानाजी ने अपना भरपूर योगदान रहा। उन्होंने पूरा जीवन संघ के नाम समर्पित कर दिया था।


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