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Muzaffarpur Shelter Home Case: बच्चियों के लिए दहशत था ब्रजेश ठाकुर, मधु देती थी पूरा साथ

Muzaffarpur Shelter Home Case बच्चियों से यौनशोषण के आरोपी ब्रजेश ठाकुर को उम्रकैद की सजा मिली है। बच्चियों के लिए दहशत था ब्रजेश ठाकुर और मधु उसका पूरा साथ देती थी।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 03:42 PM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 07:58 AM (IST)
Muzaffarpur Shelter Home Case: बच्चियों के लिए दहशत था ब्रजेश ठाकुर, मधु देती थी पूरा साथ
Muzaffarpur Shelter Home Case: बच्चियों के लिए दहशत था ब्रजेश ठाकुर, मधु देती थी पूरा साथ

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। Muzaffarpur Shelter Home Case: बालिका गृह मामले का मास्टरमाइंड ब्रजेश ठाकुर था। समाज की नजरों में पत्रकार, अखबार का मालिक, नेता व एनजीओ संचालक, लेकिन अंदर से कुछ और ही। चालाक इतना कि एनजीओ से कोई रिश्ता नहीं और अखबार में नाम का पत्रकार। संवाददाताओं को मान्यता देने वाली कमेटी का सदस्य भी था। उससे भी तेज-तर्रार थी, उसकी खास राजदार शाइस्ता परवीन उर्फ मधु। दोनों ने ही बालिका गृहकांड के पूरे 'खेल' को रचा। सफाई में एक-दूसरे से कोई खास संबंध नहीं होने की बात करने से नहीं चूकते थे। 

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यूं तो ब्रजेश ठाकुर की ओर से कोर्ट में इस बात को लेकर मशक्कत की गई कि उसका बालिका गृह संचालन करने वाली एनजीओ सेवा संकल्प व विकास समिति से कोई लेना-देना नहीं था। लेकिन, पुलिस व सीबीआइ दोनों ने उसे ही एनजीओ का वास्तविक संचालक बताया। 

लड़कियों के लिए किसी दहशत से कम नहीं था

बालिका गृह में हेड सर के नाम से ब्रजेश को सभी संबोधित करते थे। लड़कियों के लिए यह नाम किसी दहशत से कम नहीं था। उसे तब बुलाया जाता था, जब किसी लड़की की पिटाई की जाती थी। लड़कियों ने कहा कि नशीली दवा खिलाने के बाद ब्रजेश उसे हवस का शिकार बनाता था। 

मधु के सहारे चलता था पाप का साम्राज्य

मधु पूरे प्रकरण में रहस्यमय रही। ब्रजेश के पाप का साम्राज्य उसके ही सहारे चलता था। वह बेहद शातिराना अंदाज में काम को निपटाती थी। वह ब्रजेश की जितनी बड़ी राजदार थी, उतनी ही बड़ी प्लानर भी थी। कांड में संलिप्तता सामने आने के बाद पुलिस व सीबीआइ उसे महीनों तलाश नहीं कर पाई थी।

वह सीबीआइ के सामने भी तब आई, जब उसने इसकी प्लानिंग कर ली थी। कचहरी जैसे सार्वजनिक स्थान पर सीबीआइ अधिकारी को बुलाकर अपने को पेश करना इसी का हिस्सा था। मकसद अपने को कानूनी रूप से सुरक्षित करना था। 


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