टिकट के पैसे रिफंड पाने के लिए एप डाउनलोड किया और पटना के इंजीनियर का बैंक खाता हो गया खाली
मुजफ्फरपुर के रहने वाले और फिलहाल पटना में नौकरी कर रहे एक इंजीनियर ने फ्लाइट की टिकट बुक कराई। आनलाइन भुगतान करने पर उनके खाते से टिकट का पैसा कट गया और टिकट बुक हो गया। इसके बाद टिकट का रिफंड पाने के चक्कर में बड़ी ठगी हो गई।
पटना, जागरण संवाददाता। मुजफ्फरपुर के रहने वाले और फिलहाल पटना में नौकरी कर रहे एक इंजीनियर ने फ्लाइट की टिकट बुक कराई। आनलाइन भुगतान करने पर उनके खाते से टिकट का पैसा कट गया और टिकट बुक हो गया। हालांकि, थोड़ी ही देर बाद उनका टिकट खुद ब खुद कैंसल होने का मैसेज आ गया। इंतजार करने के बाद भी टिकट का पैसा रिफंड नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने उस ट्रैवल एजेंसी का नंबर सर्च करना शुरू किया, जिससे टिकट बुक कराया था। गूगल के जरिए मिले एक नंबर पर उन्होंने फोन किया। इसके बाद उनके साथ बड़ा धोखा हो गया।
एनी डेस्क एप डाउनलोड कर उड़ाए 25 हजार रुपए
साइबर अपराधी हर दिन किसी न किसी के खाते में सेंध लगा रहे है। इस बार इंजीनियर के खाते से ही रकम उड़ा दी गई। एनी डेस्क एप डाउनलोड कराकर साइबर अपराधी ने इंजीनियर आरफिन के खाते से 25 हजार 4 सौ रुपये उड़ा लिए। पीडि़त ने इस मामले में बुद्धा कालोनी थाने में लिखित शिकायत की है। पुलिस मामले की छानबीन में जुटी है।
पटना की निजी कंपनी में कार्यरत हैं आफरिन
इंजीनियर मूल रूप से मुजफ्फरपुर के निवासी है, जो पटना में निजी कंपनी में इंजीनियर है। उन्होंने कुछ दिन पहले ट्रैवेल्स कंपनी की वेबसाइट से पांच हजार रुपये का फ्लाइट का टिकट बुककराया था। पैसा कट गया और कुछ देर बाद टिकट कैंसिल भी हो गया। उन्हें लगा कि पैसा रिफंड होकर उनके खाते में आ जाएगा। पैसा रिफंड नहीं हुआ तो उन्होंने ट्रैवेल्स एजेंसी का नंबर लिया। नंबर पर फोन किया और पैसा रिफंड के सिलसिले में बात करनी शुरू की।
गूगल सर्च में किसी शातिर का नंबर मिल गया
इंटरनेट से लिया गया वह नंबर किसी शातिर का था। इस बात से वे बेखबर थे। शातिर ने उनसे रूपये रिफंड कराने के लिए एनी डेस्क एप डाउनलोड कराया। इंजीनियर ने जैसे ही अपने खाते का डिटेल एनी डेस्क एप पर डाला मोबाइल हैक हो गया। कुछ देर बाद उनके अकाउंट से 25 हजार चार सौ रुपए की निकासी हो गई।
आप रखें इन बातों का ध्यान
- किसी भी सरकारी या निजी संस्थान का संपर्क नंबर डायरेक्ट गूगल सर्च से लेने की बजाय उस संस्था की वेबसाइट से लें।
- गूगल सर्च में सही और गलत दोनों ही तरह के नतीजे आने की रहती है उम्मीद। जालसाज अपने मोबाइल नंबर और ईमेल आइडी को करते हैं प्रोमोट।
- ट्विटर और फेसबुक पर भी किसी संस्थान से संपर्क करते वक्त यह चेक कर लें कि उनका ट्विटर आइडी वेरिफाइड है। बहुत से बैंक और एयरलाइंस एजेंसी के नाम पर इंटरनेट प्लेटफार्म पर फेक आइडी भरी पड़ी है। ये लोगों को ठगने का काम करते हैं।