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बिहार में 10 हजार से अधिक निजी स्कूल हो गए बंद, 50 हजार से अधिक शिक्षक झेल रहे बेरोजगारी की मार

Bihar Lockdown News कोरोना संक्रमण और लाकडाउन ने बिहार के निजी स्कूलों और कोचिंग संस्‍थानों की कमर तोड़ दी है। शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले सामान्य स्कूलों में आज सन्नाटा पसरा है। देखिए निजी स्‍कूलों के एसोसिएशन से बातचीत पर आधारित रिपोर्ट

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Tue, 08 Jun 2021 10:31 PM (IST)Updated: Tue, 08 Jun 2021 10:31 PM (IST)
बिहार में 10 हजार से अधिक निजी स्कूल हो गए बंद, 50 हजार से अधिक शिक्षक झेल रहे बेरोजगारी की मार
बिहार में लॉकडाउन ने तोड़ी निजी स्‍कूलों की कमर। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। Bihar CoronaVirus Lockdown News: कोरोना संक्रमण और लाकडाउन ने बिहार के निजी स्कूलों और कोचिंग संस्‍थानों की कमर तोड़ दी है। शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले सामान्य स्कूलों में आज सन्नाटा पसरा है। कोरोना के कारण प्रदेश में 10 हजार से अधिक निजी स्कूल बंद हो गए हैं। इन स्कूलों में पढ़ाने वाले 50 हजार से अधिक शिक्षक बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। उनके समक्ष परिवार के भरण पोषण का संकट आ खड़ा हुआ है। ढेर सारे शिक्षकों ने तो अपना पेशा ही बदल कर दूसरा रोजगार शुरू कर दिया है।

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शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले हो रहे परेशान

एसोसिएशन ऑफ पब्लिक स्कूल्स के अध्यक्ष डॉ. सीबी सिंह का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण राज्य की स्थिति काफी गंभीर हो गई है। शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को आर्थिक रूप से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

वर्तमान में 50 से 60 फीसद अभिभावक ही दे रहे फीस

एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष एके नाग का कहना है कि कोरोना संक्रमण एवं लाकडाउन का सबसे ज्यादा असर स्कूलों पर पड़ा है। वर्तमान में जो स्कूल चल रहे हैं और आनलाइन क्लास करा रहे हैं। उनके अभिभावक भी पूर्ण रूप से फीस नहीं जमा कर रहे हैं। वर्तमान में 50 से 60 फीसद अभिभावक ही फीस दे रहे हैं।

ग्रामीण इलाके के स्‍कूलों पर पड़ा ज्‍यादा खराब असर

बिहार पब्लिक स्कूल एंड चिल्डेन वेलफेयर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ. एसएम सोहेल का कहना है कि कोरोना के कारण राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश स्कूल बंद हो गए हैं। इनमें से 50 फीसद स्कूल प्राथमिक स्तर के हैं। सबसे बुरा हाल इन स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों एवं वहां काम करने वाले कर्मचारियों का है। दो-चार कमरे में चलने वाले स्‍कूल तो शायद अब दोबारा खुल भी नहीं पाएं। ग्रामीण इलाके के शिक्षकों के साथ एक ही अच्‍छी बात है कि उनका पेट किसी तरह भर जा रहा है। शहर में जो स्‍कूल बंद हो गए, उनके शिक्षकों के लिए चुनौती अधिक बड़ी है।


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