बिहार के 450 से अधिक अंचलों में तैयार माडर्न रिकार्ड रूम सुस्ती में फंसा, पैसे वापस करने का निर्देश
माडर्न रिकार्ड रूम आम लोगों के काम नहीं आ रहे हैं। दावे के मुताबिक माडर्न रिकार्ड रूम में पिछले साल से ही काम शुरू हो जाना था। वह अब तक नहीं हुआ। उपकरण की खरीद के लिए दी गई राशि का कई जिलों ने समय पर उपयोग नहीं किया।
राज्य ब्यूरो, पटना : साढ़े चार सौ से अधिक अंचलों में तैयार माडर्न रिकार्ड रूम आम लोगों के काम नहीं आ रहे हैं। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का दावा था कि इनके बनते ही रैयतों की परेशानी कम हो जाएगी। यहां जमीन से जुड़े 28 तरह के दस्तावेज जल्द मिल जाएंगे। दावे के मुताबिक माडर्न रिकार्ड रूम में पिछले साल से ही काम शुरू हो जाना था। वह अब तक नहीं हुआ।
माडर्न रिकार्ड रूम की हालत का जायजा लेने के समीक्षा बैठक हुई थी। उसमें मंत्री रामसूरत राय और अपर मुख्य सचिव बृजेश मेहरोत्रा के अलावा अन्य बड़े अधिकारी शामिल थे। कहा गया कि उपकरण की खरीद के लिए दी गई राशि का कई जिलों ने समय पर उपयोग नहीं किया। कई जिलों में इस मद की राशि की तमादी हो गई। विभागीय अधिकारियों ने निरीक्षण में पाया कि कुछ जिलों से रुपये नहीं लौटाए गए, लेकिन उपकरणों की खरीद भी नहीं हुई। बैठक में तय किया गया कि जिन जिलों में उपकरणों की खरीद नहीं हुई, वहां से रुपये वापस लिए जाएं। निदेशालय अपने स्तर से खरीद करे। उसे माडर्न रिकार्ड रूम में भेजे।
क्या है माडर्न रिकार्ड रूम
केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त खर्च पर इसका निर्माण हुआ है। लक्ष्य है कि जमीन से जुड़े सभी रिकार्ड यहां रखे जाएं। रैयतों को जिस किसी दस्तावेज की जरूरत हो, मामूली शुल्क लेकर उन्हें उपलब्ध कराए जाएं। राज्य में पांच सौ 34 अंचल हैं। साढ़े चार सौ से अधिक अंचलों में भवन बनकर तैयार हैं। बाकी अंचलों में भी निर्माण की प्रक्रिया चल रही है।
चार कंप्यूटर, एक आपरेटर
जिन माडर्न रिकार्ड रूम के लिए उपकरणों की खरीद हो भी गई है, उनके लिए पर्याप्त कार्य बल उपलब्ध नहीं कराया गया है। एक माडर्न रिकार्ड रूम के लिए चार कंप्यूटर की खरीद की गई है। सिर्फ एक आपरेटर दिया गया है।