बम के लिए नहीं, बुद्धि के लिए प्रसिद्ध है मिथिला : विनोद नारायण झा
चेतना समिति की ओर से आयोजित सात दिवसीय चेतना रंग उत्सव का शुभारंभ
पटना। चेतना समिति की ओर से आयोजित सात दिवसीय चेतना रंग उत्सव का शुभारंभ विद्यापति मार्ग स्थित विद्यापति भवन में शनिवार को किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री विनोद नारायण झा, दैनिक जागरण के स्थानीय संपादक मनोज कुमार झा, विधान परिषद सदस्य विजय नारायण मिश्र, समिति के अध्यक्ष विवेकानंद झा, सचिव उमेश मिश्र और समिति के संगठन सचिव सतीश चंद्र झा ने दीप प्रज्जवलन कर किया। इसके बाद आशुतोष मिश्र आचार्य और निराला ने 'जय जय भैरवि असुर भयाउनि..' गीत प्रस्तुत किया गया। इस मौके पर लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री ने कहा कि मिथिला शस्त्र के लिए नहीं शास्त्र के लिए जाना जाता है। मिथिला बम के लिए नहीं, बुद्धि के लिए प्रसिद्ध हुआ।
मंत्री ने कहा कि चेतना समिति जल, जीवन और हरियाली पर नाटक लिखेगी। कला, संस्कृति विभाग इन नाटकों के मंचन के लिए सुविधा उपलब्ध कराएगा। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को अपने विरासत के महत्व को समझना चाहिए, ताकि हमारी समृद्ध परंपरा विलुप्त न हो जाए। मनोज कुमार झा ने कहा कि मिथिला चेतना रंग उत्सव जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों के मौके पर सभागार में कम लोगों की उपस्थिति संतोषप्रद नहीं है। हमें इस विषय पर चिंता करने की जरूरत है कि ज्ञान की अंधी दुनिया में हम सिर्फ अपने बच्चों को डॉक्टर और इंजीनियर बनाना चाहते हैं। मिथिला की उस मिठास को नई पीढ़ी तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है। इसके लिए ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार करना होगा। बच्चों में हमें इस संस्कृति को लेकर अभी से रुचि पैदा करनी होगी। युवा वर्ग को बताना होगा कि मिथिला की पेंटिंग और साहित्य अपने आप में पूरी कहानी है। संस्कृति की धार बनी रहनी चाहिए। उमेश मिश्र ने कहा कि चेतना समिति मैथिली कला, भाषा और संरक्षण के लिए हमेशा से प्रयत्नशील रही है। चेतना समिति के इस कार्य में सबने सहयोग दिया है।
नाटक से समाज पर पड़ता है गहरा प्रभाव
विजय कुमार मिश्र ने कहा कि नाटक से समाज पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। राज्य की योजनाओं को नाटक के माध्यम से दिखाया जाना चाहिए। उन्होंने लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के मंत्री विनोद नारायण झा से आग्रह किया कि ऐसे नाटकों का मंचन करवाया जाये। चेतना समिति के अध्यक्ष विवेकानंद झा ने कहा कि नाटक से ज्यादा बढि़या संप्रेषण की कोई और विधा नहीं है। मिथिला में बच्चों के लिए बाल कला है और बाल साहित्य भी है, लेकिन बच्चों के लिए उपयोगी रचना का अभाव है। इस मौके पर दिनेश चंद्र झा, सतीश चंद्र झा, रामसेवक राय, प्रेम लता मिश्र, डॉ. रामानंद झा रमण, किशोर कुमार चौधरी, जगत नारायण चौधरी, अंबरीश कांत, मनोज मनुज, रघुवीर मोची, महारूद्र झा, जगतनारायण ठाकुर भी उपस्थित थे।
सात दिनों तक होगा नाटकों का मंचन
रंग उत्सव के तहत 20 दिसंबर तक मिथिला की संस्कृति से जुड़े नाटकों का मंचन हर रोज किया जाएगा। पहले दिन 'कोइली बिनु बगिया उदास' नाटक का मंचन विद्यापति भवन में किया गया। रविवार से नाटकों का मंचन रोजाना शाम पांच बजे से कालिदास रंगालय में किया जाएगा। हर दिन दो नाटक प्रदर्शित किए जाएंगे।