बिहार के राष्ट्रीय आंदोलन में मध्यम वर्ग की रही अहम भूमिका
बिहार राज्य अभिलेखागार निदेशालय मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग का आयोजन
पटना। बिहार राज्य अभिलेखागार निदेशालय, मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग की ओर से मंगलवार को वरिष्ठ इतिहासकार प्रो. बीबी मिश्र स्मृति व्याख्यान का आयोजन बिहार अभिलेख भवन में किया गया। इस दौरान 'औपनिवेशिक बिहार में प्रांतीय सरकार की कार्यप्रणाली 1937-1939' विषय के साथ ही प्रो. बीबी मिश्र के व्यक्तित्व व उनकी कृतियों पर प्रकाश डाला गया।
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए अभिलेखागार निदेशक डॉ. महेंद्र पाल ने कहा कि प्रो. बीबी मिश्र के कार्यो की सूची काफी लंबी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पटना विवि इतिहास विभाग के प्रो. डॉ. माया शंकर ने कहा कि हमारा वर्तमान हमारे अतीत पर टिका है। बिहार के इतिहास को सही रूप से प्रस्तुत करने की जरूरत है। बिहार के राष्ट्रीय आंदोलन में मध्यम वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। मध्यम वर्ग ही समाज की दशा एवं दिशा को निर्धारित करता है। माया शंकर ने 1935 के अधिनियम के पारित होने की परिस्थितियों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि 1937-39 में एक नया प्रयोग था नया बिहार बनाने का। वही उन्होंने 1937 में चुनाव के बाद विभाजन की परिस्थितियों पर भी प्रकाश डाला। कहा कि नये बिहार के निर्माण के लिए इतिहास से प्रेरणा लेने की जरूरत है। ललित नारायण विवि दरभंगा के पूर्व विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग के प्रो. डॉ. रत्नेश्वर मिश्र ने प्रो. बीबी मिश्र के व्यक्तित्व पर कहा कि वे इतिहास के बड़े विद्वान थे। भागलपुर विवि के कुलपति होने के बावजूद उनका व्यक्तित्व काफी सरल रहा। उनमें पद की लालसा कभी नहीं रही। प्रो. बीबी मिश्र ने अंग्रेजी न्याय व्यवस्था की सराहना भी की थी। उन्होंने अपनी पुस्तक में लिखा था कि वे व्यवस्था सुधार विरोधी नहीं थे। लोगों के कल्याण की बात थी। वही उन्होंने अंग्रेजों की औपनिवेशिक पद्धति की आलोचना भी की। प्रो. रत्नेश्वर ने बीबी मिश्र की पुस्तक 'ज्यूडिशियल एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ द ईस्ट इंडिया कंपनी', 'सेलेक्ट डाक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधी मूवमेंट इन चंपारण 1917-18' पुस्तकों पर प्रकाश डाला।
प्रांतीय सरकार स्वायतता की दिशा में पहला प्रयोग
समारोह के दौरान मगध विवि के इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. मनीष सिन्हा ने औपनिवेशिक बिहार में प्रांतीय सरकार की भूमिका पर कहा कि प्रांतीय स्वायतता की दिशा में यह पहला अनुप्रयोग था। जब सरकार के विरूद्ध खड़ी पार्टियां स्वयं सरकार बनाकर शासन का उत्तरदायित्व अपने हाथ में ले रही थीं। उन्होंने श्रीकृष्ण सिंह के नेतृत्व में गठित मंत्रिमंडल की चर्चा करते हुए कहा कि उस समय के विधेयकों में खासकर बिहार कृषि आयकर अधिनियम 1938, चंपारण कृषक संशोधन अधिनियम 1938, बिहार मद्य निषेध अधिनियम 1938 को लागू कराने में कई तरह के गतिरोध तत्कालीन सरकार के सामने आए। नव बिहार के निर्माण की दिशा में यह पहला प्रयास था।
भविष्य को प्रभावित करती हैं इतिहास की घटनाएं
मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग बिहार सरकार के विशेष सचिव डॉ. उपेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि इतिहास लेखन पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं होना चाहिए। उन्होंने अपने इतिहास से सबक लेने की बात कही। मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अपर सचिव हिमांशु राय ने कहा कि इतिहास की घटनाएं भविष्य को प्रभावित करती हैं। आधुनिक राजनीति की वर्तमान प्रवृत्तियां भी इन्हीं वर्षो में जन्म लीं। मंच का संचालन डॉ. अशोक कुमार रंजन, धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रश्मि किरण ने किया। मौके पर सहायक अभिलेख निदेशक उदय कुमार ठाकुर सहित कॉलेज के छात्राओं, शोधार्थी मौजूद थे।