आकाशीय बिजली गिरने से पहले मोबाइल पर आ जाएगा मैसेज, PU के छात्र ऐसे बचाएंगे आपकी जान
आकाशीय बिजली गिरने की जानकारी के लिए पटना विश्वविद्यालय के भूगर्भ शास्त्र विभाग में केंद्र बनाने की योजना है। यहां से मोबाइल पर मैसेज भेजकर किया जाएगा सतर्क।
पटना, जेएनएन। पटना विश्वविद्यालय के छात्र आकाशीय बिजली (ठनका) गिरने से पहले संभावित क्षेत्र के लोगों को मैसेज कर आगाह करेंगे। इसके लिए भूगर्भ शास्त्र विभाग में एक केंद्र बनाने की योजना है, जहां से संबंधित क्षेत्र के लोगों के मोबाइल पर मैसेज भेजकर सतर्क किया जा सकेगा।
जानकारी पहुंचा बचाई जा सकती है जान
भूगर्भ शास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. अतुल आदित्य पांडेय ने बताया कि बिजली गिरने का स्थान और समय ज्ञात करने की तकनीक फिलहाल विकसित नहीं हुई है। मौसम विभाग बादलों की प्रकृति को देखकर अनुमान लगाता है कि अगले कुछ घंटे में कहां व्रजपात होगा। इससे संबंधित जानकारी एप व बुलेटिन के माध्यम अपडेट की जाती है। इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाकर जानमाल के नुकसान को कम किया जा सकता है।
उत्तर बिहार में वज्रपात के अनुकूल भौगोलिक स्थिति
दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के प्रोफे सर प्रो. प्रधान पार्थ सारथी ने कहा कि नेपाल से सटे उत्तर बिहार के इलाके वज्रपात के रेड जोन में आते हैं। यहां हर साल वज्रपात के सबसे ज्यादा मामले आते हैं। हिमालय और गंगा के तटीय क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति के कारण बिजली गिरने की सबसे ज्यादा संभावना रहती है। ज्यादातर बिजली निचले और मध्यम ऊंचाई के बादल होने पर गिरती है। बादल जितना नीचे रहेगा, बिजली गिरने की संभावना उतनी अधिक रहेगी।
गीले और खुले स्थान पर गिरती है बिजली
प्रो. सारथी के अनुसार गीले और खुले स्थान पर ही ठनका गिरता है। शहर में ठनका गिरने के मामले कम आते हैं। जागरूकता से जानमाल का नुकसान कम किया जा सकता है। मौसम विभाग संभावित क्षेत्रों की जानकारी कई माध्यम से साझा करता है। यह सूचना अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। बारिश होने पर खुले स्थान और पेड़ के नीचे कतई ना रहें। आसपास मकान दिखे तो वहां छिपें। मोबाइल का उपयोग कतई न करें। इसे स्विच ऑफ कर दें।