पटना में 'वर्चुअल ब्लड बैंक’ से जीवन बांट रहे मुकेश हिसारिया
उनकी पहल का असर है कि आज देश और दुनिया के करीब 150 समूहों से उनका वर्चुअल ब्लड बैंक जुड़ा है। व्हाट्स ऐप से भी रक्तदाताओं को जोड़कर रखा है। खुद के 14 ग्रुप हैं। हर ग्रुप में 256 सदस्य हैं।
कहते हैं रक्तदान महादान होता है। ये किसी की भी जिंदगी को बचा सकता है। कई बार ऐसा होता है कि रक्त की कमी के चलते व्यक्ति की जान भी चली जाती है। समाज के लिए रक्त की आवश्यकता को समझते हुए बिहार के महेंद्रू के रहने वाले मुकेश हिसारिया वर्चुअल ब्लडबैंक खड़ा करके लोगों के लिए उम्मीद बने हुए हैं।
मुकेश की पहचान एक समाजसेवी और रक्तदाता के रूप में है। 46 वर्षीय मुकेश पिछले 27 सालों से रक्तदान के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। सोशल मीडिया की मदद से वे न केवल पटना बल्कि देश के कई हिस्सों में रहने वाले हजारों जरूरतमंदों को रक्त मुहैया करा चुके हैं।
उनकी पहल का असर है कि आज देश और दुनिया के करीब 150 समूहों से उनका वर्चुअल ब्लड बैंक जुड़ा है। व्हाट्स ऐप से भी रक्तदाताओं को जोड़कर रखा है। खुद के 14 ग्रुप हैं। हर ग्रुप में 256 सदस्य हैं। देश में किसी भी जगह खून की जरूरत होने पर एक मैसेज से संदेश 30 हजार लोगों के मोबाइल तक पहुंच जाता है। इसके बाद स्वत: अस्पताल के निकटवर्ती क्षेत्र के साथी रक्तदान के लिए पहुंच जाते हैं।
मुकेश कहते हैं, 1991 में अपनी मां के इलाज के लिए वेल्लौर के सीएमसी अस्पताल गया। वहां जब खून की जरूरत हुई तो रक्तदान का ख्याल आया। मां का ऑपरेशन सफल रहा और घर लौटने के पहले वहां रक्तदान किया। रक्तदान के बाद जो कार्ड मिला उसे पटना आकर वेल्लौर जा रहे एक मरीज को दे दिया ताकि खून के लिए उसे वहां परेशान नहीं होना पड़े।
उन्होंने कहा, 'कभी यह सोचा नहीं था कि हमारी छोटी सी पहल इतना आगे तक जाएगी। तीन दोस्त गोपी, संजय और मनोज साथ थे। गप करते हुए तय हुआ कि रक्तदान के क्षेत्र में कुछ करना है। फिर साल भर में एक-दो बार रक्तदान से काम शुरू हुआ। दूसरे लोग जुड़ते चले गए फिर ऑरकुट, फेसबुक और व्हाट्स ऐप से होते हुए रक्तदाताओं का कारवां सा बन गया। वर्चुअल ग्रुप के माध्यम से अब तक 13,000 से अधिक लोगों को खून उपलब्ध कराया जा चुका है।'
एक मैसेज से पहुंचे चार रक्तदाता
तारीख: 30 जून। समय : सुबह 9:10 बजे। पटना-कोलकाता जन शताब्दी एक्सप्रेस में सफर के दौरान मुकेश हिसारिया के मोबाइल की घंटी बजी। आवाज आई मैं दिल्ली अपोलो हॉस्पिटल से बलजीत कौर बोल रही हूं। लंदन में रहने वाले रसपाल सिंह का यहां लिवर ट्रांसप्लांट हो रहा है। उनकी बहन राजवीर कौर लिवर डोनेट कर रही हैं, लेकिन ए पॉजिटिव खून की जरूरत है।
मुकेश ने संदेश को अपने वाट्सएप ग्रुप पर डाल दिया। लगभग एक घंटे बाद ही मोबाइल पर मैसेज आया कि फरीदाबाद से चार लोग अपोलो अस्पताल में रक्तदान के लिए पहुंच गए हैं।
ब्लड बैंक की स्थापना की कोशिश
मुकेश कहते हैं, शुरुआत में रक्तदान करने पर मां ही टोकती थी। कहती थी कि तुम्हारे ही शरीर में सबसे ज्यादा खून हो गया है। पत्नी ने भी शुरुआत में थोड़ा विरोध किया मगर बाद में प्रभावित होकर वह खुद इस मुहिम से जुड़ गई।
मुकेश कहते हैं, सरकार के पास 39 ब्लड बैंक हैं फिर भी लोगों को खून के लिए परेशान होना पड़ता है। हमारी टीम के सिर्फ एक मैसेज पर सैकड़ों की संख्या में रक्तदान के लिए लोग दौड़ जाते हैं। रक्तदाताओं की संख्या इतनी है कि उसे संभालने के लिए संसाधन कम पड़ते हैं। हम चाहते हैं कि हमारी संस्था वैष्णो देवी सेवा समिति का अपना ब्लड बैंक हो। हमारा सपना है, देश भर में थैलेसीमिया और हीमोफीलिया के पीड़ितों को मुफ्त खून सुलभ हो सके।
इसके लिए राज्य सरकार से कई बार आग्रह किया गया है कि पटना में सिर्फ 3000 वर्गफीट जगह उपलब्ध करा दे। बाकी भवन और उपकरण हमारी संस्था खुद लगवा लेगी। 18 सितंबर 2017 को मुख्यमंत्री के संवाद कार्यक्रम में अपनी बात कह चुके हैं।