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पटनाः समझी रेडीमेड कपड़ों की जरूरत, बनाया खुद का ब्रांड और ....

पटना की आबादी बहुत बड़ी है। लगातार बढ़ भी रही है। दूसरी अच्छी चीज कि यहां के लोगों के पास परचेजिंग पॉवर (खरीद क्षमता) भी है।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Mon, 06 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 06 Aug 2018 06:00 AM (IST)
पटनाः समझी रेडीमेड कपड़ों की जरूरत, बनाया खुद का ब्रांड और ....

कंकड़बाग निवासी टेक्सटाइल इंजीनियर विष्णु जालान की पहचान एक सफल कपड़ा व्यवसायी के रूप में है। 48 वर्षीय विष्णु जालान पिछले दस वर्षों से पटना में कारोबार कर रहे हैं, उनका यह पुश्तैनी कारोबार 200 साल पुराना है । जो बनारस सहित देश में कई शहरों में फैला है। वर्तमान में गीता प्रेस-ऋषिकेष में सेवारत पिता सत्य नारायण जालान की प्रेरणा से वे व्यवसायी बनें। पत्नी रूपा जालान के साथ पटना में खुद के बूते व्यवसाय शुरू किया। असर यह कि दस साल के अंदर उन्होंने 150 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से और करीब 400 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार दिया।

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बकौल विष्णु जालान- मेरे कारोबार का मकसद सिर्फ पैसा कमाना नहीं है, बल्कि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार देना है। इस अवधि में अपने शोरूम की संख्या एक से तीन कर पांच लाख लोगों को जालान शॉप से जोड़ा। ग्राहक बढ़ेंगे तो काम बढ़ेगा, और काम बढ़ेगा तो रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। मैंने पटना की स्थानीय मैन्यूफैक्चारिंग यूनिटों में निर्मित रेडीमेड को तरजीह दी। कारोबार के साथ प्यार बांटता रहता हूं। परिवार से बिछड़ी बच्चियों को कपड़ा, पुस्तकें देकर जन्मदिन मना लेता हूं।

जालान शॉप से जुड़कर बदल गई दुनिया
विष्णु जालान से लाभान्वित होने वाले कासिफ कहते हैं, मैं सिलाई का काम करता हूं। वंडर्स टेलर नाम से एक दुकान थी। मैं जालान शॉप से जुड़ा। विष्णु जालान की ओर से मुझे शोरूम में ही जगह दी गई। सिलाई का काम इतना मिला कि अब मेरे पास 18 मशीनें हैं। काम लगातार बढ़ रहा है। अब तक 20 लोगों को मैं रोजगार दे चुका हूं। कभी सोचता भी नहीं था कि मेरी जिंदगी में ऐसा दिन भी आएगा। मेरी नजर में विष्णु जालान व्यापारी से ज्यादा एक अच्छे इंसान हैं।

 

कपड़े के लिए पटना है बड़ा बाजार
पटना की आबादी बहुत बड़ी है। लगातार बढ़ भी रही है। दूसरी अच्छी चीज कि यहां के लोगों के पास परचेजिंग पॉवर (खरीद क्षमता) भी है। यही वजह है कि यहां ऑर्गनाइज्ड रिटेल शोरूम तेजी से खुल रहे हैं। करीब-करीब हर परिधान कंपनी का यहां कम से कम एक शोरूम तो है ही। इसके बाद भी लोकल कपड़े का बाजार फल -फूल रहा है। मेरा इस व्यवसाय में पॉजिटिव अनुभव है।

बढ़ा रहा हूं उम्मीद की तरफ कदम
विष्णु जालान कहते हैं, पटना में दस साल पहले मैंने कपड़े का कारोबार शुरू किया। शुरुआत से ही बार कोडिंग को अपनाया। वाजिब दाम रखा। बाजार मूल्य से करीब 30 फीसद कम कीमत पर कपड़ा उपलब्ध कराया। हर ग्राहक को पक्की रसीद देता हूं। सोच यह कि पटना कपड़ा व्यापार का हब बन सके और बिहार का पैसा बिहार में रहे। सरकार भी इस दिशा में सक्रिय है। लुधियाना की कपड़ा इकाइयों को बिहार में यूनिट लगाने के लिए प्रेरित कर रही है। मेरी राय है कि सूरत, मुंबई, अहमदाबाद की कपड़ा इकाइयों को भी आमंत्रित करना चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो वह दिन दूर नहीं जब पटना कपड़ा का हब बन जाएगा।

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