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पटना: नौकरी छोड़ शुरू किया बिजनेस, दूसरों को भी दे रहे रोजगार

1997 में भारत सरकार के ऑपरेशन ग्रीन के तहत शशि मोहन फ्रोजन उत्पादों के बिहार के पहले सोल्ड डिस्ट्रीब्यूटर बने।

By Krishan KumarEdited By: Published: Mon, 30 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 01 Aug 2018 07:16 PM (IST)
पटना: नौकरी छोड़ शुरू किया बिजनेस, दूसरों को भी दे रहे रोजगार

पटेल नगर निवासी बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के पूर्व उपाध्यक्ष 55 वर्षीय शशि मोहन एक सफल उद्यमी तो हैं ही, प्रयोगधर्मी भी हैं। एमबीए करने के बाद सीमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में नौकरी मिल गई। बाद में नौकरी छोड़ वे प्रयोगधर्मी उद्यमी बने। उस बिजनेस में हाथ आजमाया जो बिल्कुल नया था। 1997 में भारत सरकार के ऑपरेशन ग्रीन के तहत शशि मोहन फ्रोजन उत्पादों के बिहार के पहले सोल्ड डिस्ट्रीब्यूटर बने।

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इसके बाद वेल्वेट कंपनी ने भारत में पहली बार पाउच में शैंपू पेश की। इसके भी बिहार के पहले वितरक शशि मोहन बने। आगे क्रीम फील्ड वेफर्स, प्रिंटिंग प्रेस, मछली पालन का भी व्यापार शुरू किया। फिलहाल मछली पालन और फ्रोजन उत्पादों का कारोबार चल रहा है। बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स से जुड़ कर भी उन्होंने बतौर महामंत्री एवं उपाध्यक्ष कई नये आयाम गढ़े हैं।

शशि मोहन कहते हैं, डॉक्टर की फीस और स्वतंत्रता सेनानी की पेंशन से परहेज रखने वाले मेरे पिता डॉ. ब्रह्मदेव नारायण सिन्हा को जब मेरी नौकरी लगने की खबर मिली तो बोले- नौकरी आसान राह है, अपना पेट भर सकते हो। काम ऐसा करो जिससे कम से कम पांच लोगों को रोजगार दे सको। उन्हीं की प्रेरणा से मैं उद्यम की राह चला। आंध्र प्रदेश जाकर मत्स्य पालन का प्रशिक्षण लिया। अररिया में 15 एकड़ में तालाब बना मत्स्य पालन शुरू किया। असर यह कि मेरा काम देख अब कई लोग आसपास मछली पालन शुरू कर चुके हैं। मेरे कारोबार से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से करीब 40 लोगों को रोजगार भी मिला है।

शशि मोहन ने दी मुझे नई राह
कभी मैं साइकिल से चलता था। शशिमोहन की प्रिंटिंग प्रेस में काम करता था। अर्जुन ठाकुर कहते हैं- शशि बाबू मुझे आगे बढ़ाना चाहते थे। मुझे स्कूटर दिया। बेटे को कंप्यूटर दिया। अलग प्रिंटिंग प्रेस लगाने में मेरी पूरी मदद किए। अब कारोबार पांच करोड़ रुपये के करीब पहुंच चुका है। स्कॉर्पियो से चलता हूं। जहानाबाद से एमपी का चुनाव लड़ा, 12764 मत मिले, अरवल विधानसभा चुनाव लड़ा 7910 वोट मिले। सबकुछ सपने जैसा है। अगर शशि बाबू मदद नहीं करते तो शायद यहां तक नहीं पहुंचता।

मत्स्य पालन और फ्रोजन में व्यापक संभावनाएं
शशि मोहन कहते हैं, पटना में मत्स्य पालन में व्यापक संभावनाएं हैं। यहां अब भी 40 फीसद मछली बाहर से आती है। बाजार दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। मत्स्य पालन कर हम लोगों की जरूरत पूरी कर सकते हैं। फ्रोजेन उत्पादों में मटर, ब्रोकली, गाजर, गोभी, फ्रेंचबीन जैसे उत्पादों के वितरक का काम भी चला रहा हूं। मेरा अनुभव है कि इन दोनों व्यवसाय के लिए कोल्ड चेन का होना जरूरी है। पटना में मुझे इसकी कमी दिखाई दे रही है।

बढ़ाई जाएं शीतगृहों की संख्या
पटना में शीतगृह कम हैं, इनकी संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। इससे फ्रोजन और मत्स्य व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। लोगों को सहूलियत होगी ओर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। मैं इसके लिए संबंधित लोगों के बीच जागरूकता अभियान चला रहा हूं जिससे यह व्यापार और समृद्ध हो सके। तालाब में मछली पालन से जल संरक्षण का मकसद भी पूरा होता है। मत्स्य पालन के लिए प्रयोगशाला और अनुसंधान केंद्र की भी जरूरत है। वर्तमान मत्स्य निदेशक निसार अहमद इस दिशा में सक्रिय हैं, जिससे उम्मीद बंधी है।

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