पटना: रिटायरमेंट के बाद भी कॉलेज में निशुल्क क्लास लेते हैं सुदीप्तो अधिकारी
प्रो. अधिकारी सितंबर 2014 में पटना विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हुए। इसके बाद भी उन्होंने कक्षा जाना नहीं छोड़ा। हर दिन वह अपने पूर्व के कार्यक्रम की तरह कक्षा नियमित रूप से लेते रहे।
प्रो. सुदीप्तो अधिकारी 2011 में पटना विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके हैं। तब उन्होंने विश्वविद्यालय में प्रवेश, परीक्षा और परिणाम को सुचारू कराया। कुलपति रहते हुए उन्होंने पटना विश्वविद्यालय के कर्मियों के लिए छठे वेतनमान का लाभ दिलाया। तब सरकार इसके खिलाफ थी। इसके बावजूद उन्होंने आदेश जारी किया। वह पटना विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग में विभागाध्यक्ष और संकायाध्यक्ष भी रहे हैं। आज इनके पढ़ाए काफी छात्र देश-विदेशों में अपनी सेवा दे रहे हैं।
प्रो. अधिकारी सितंबर 2014 में पटना विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हुए। इसके बाद भी उन्होंने कक्षा जाना नहीं छोड़ा। हर दिन वह अपने पूर्व के कार्यक्रम की तरह कक्षा नियमित रूप से लेते रहे। आज भी वे पटना विश्वविद्यालय में अपनी निशुल्क सेवा दे रहे हैं।
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उन्होंने लगभग आधा दर्जन किताबें लिखीं, जो आज देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती हैं। इसमें भारतीय भौगोलिक विचारधारा, आधुनिक भारत का राजनीतिक भूगोल और जेंडर इक्विटी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट पुस्तक काफी प्रचलित हुई। इन पुस्तकों को शोध छात्र भी रेफरेंस बुक के रूप में उपयोग करते हैं।
प्रो. अधिकारी का 1975 में भारतीय पुलिस सेवा के लिए भी चयन हुआ था। लेकिन वह पुलिस सेवा में नहीं गए। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में टेंपररी शिक्षक के रूप में ही नौकरी जारी रखी। उनका एकमात्र उद्देश्य रहा छात्रों को उनके अनुसार मुकाम देना। इसमें वह हमेशा लगे रहे।
कक्षा में दिखता है अनुशासन
प्रो. सुदीप्तो अधिकारी की कक्षा में अनुशासन देखते ही बनता है। वे जब पढ़ा रहे होते हैं, तो कक्षा में पूरी तरह शांति होती है। नियमित रूप से साढ़े 12 बजे से उनकी कक्षा आरंभ होती है। छात्र इनकी कक्षा भी कभी मिस भी नहीं करते। यहीं नहीं कक्षा के बाद भी छात्र अपने जरूरत के अनुसार उनसे जानकारी लेते रहते है। छात्रों के हर सवाल का जवाब वह बहुत संजीदा रूप में देते हैं।
शोध को दे रहे मजबूती
पटना विश्वविद्यालय में प्रो. अधिकारी शोध को मजबूती दे रहे हैं। उन्होंने पटना की भौगोलिक स्थिति से लेकर कई समसामयिक मुद्दों को लेकर भी शोध किया है। राजधानी में बंगाली समाज की जीवन धारा को लेकर शोध किया। वर्तमान में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के एक बड़े प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं। बॉर्डर लैंड मैनेजमेंट प्रोजेक्ट के माध्यम से वह स्थानीय जीवन स्तर को जानने की कोशिश में जुटे हैं।
विश्वविद्यालयों को आजादी की जरूरत
प्रो. सुदीप्तो अधिकारी कहते हैं कि वर्तमान समय में बिहार में विश्वविद्यालयों पर सरकार की ओर से पूरी तक अंकुश लगाया दिया गया है। विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को मंत्रियों के यहां बैठना पड़ता है। इसके कारण यहां के विश्वविद्यालय काफी पिछड़े हुए हैं। अब पश्चिम के विश्वविद्यालय हमसे काफी बेहतर स्थिति में आ गए हैं। वहां की गुणवत्ता के सामने हमारी पहचान दब जा रही है। आज सभी कुलपतियों को किसी भी कार्य के लिए सरकार की ओर मुंह ताकना पड़ता है, जबकि विश्वविद्यालयों को इसलिए स्वायतता दी गई थी कि उच्च शिक्षा में सरकार की ओर से किसी तरह की परेशानी नहीं हो। सरकार के कार्यों से विश्वविद्यालयों पर अंकुश नहीं लगे लेकिन आज यह स्थिति पूरी तरह उल्टी हो गई है। स्वायतता पूरी तरह छिन ली गई है। विश्वविद्यालय कोई भी निर्णय खुद से नहीं ले सकता।
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