पटना : यहां के अस्पतालों में सुधार के लिए बेहतर प्रबंधन की जरूरत
पटना में पीएमसीएच, आइजीआइएमएस, एनएमसीएच, एम्स जैसे बड़े अस्पताल हैं। लेकिन पूरे प्रदेश के मरीजों का लोड इन अस्पतालों पर है।
पटना ने पिछले एक दशक में स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी तरक्की की है, लेकिन यह नाकाफी है। कई सरकारी अस्पतालों में क्षमता से अधिक मरीज आने के कारण गुणवत्ता की कसौटी पर वे खरे नहीं उतर रहे। अस्पतालों के प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की दरकार है। पटना देश के उन चंद शहरों में शुमार हैं, जहां अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद हैं।
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सबसे अच्छी खबर यह है कि दूसरे देश और महानगरों में अच्छी प्रैक्टिस और पगार को छोड़कर विशेषज्ञ डॉक्टर सूबे में लौट रहे हैं। इसका प्रभाव अब छोटे-छोटे शहरों में भी देखा जा सकता है। पटना में मेडिकल के क्षेत्र में कई महत्वकांक्षी योजनाएं चल रही हैं। सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में यहां असीम संभावनाएं हैं।
अर्बन हेल्थ केयर सेंटर पर देना होगा ध्यान
प्रारंभिक स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने की जिम्मेवारी अर्बन हेल्थ केयर सेंटर की है। शहर के सभी केंद्रों पर अनुभवी चिकित्सक हैं, लेकिन फिर भी लोग प्रारंभिक इलाज के लिए पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच), एम्स जैसे संस्थानों में पहुंच जाते हैं। इस कारण विशेषज्ञ डॉक्टरों को सर्दी-खांसी और बुखार का इलाज करना पड़ता है। इसमें बदलाव आवश्यक है। लोगों का विश्वास वापस पाने के लिए अर्बन हेल्थ केयर सेंटरों को सुविधा बढ़ानी होगी।
सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल का करना होगा प्रचार
राजधानी में हड्डी, स्त्री रोग, नेत्र आदि बीमारियों के इलाज के लिए सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल हैं, मगर इनका पूरा-पूरा सदुपयोग अभी नहीं हो रहा है। राजवंशीनगर में हड्डी, गर्दनीबाग में स्त्री रोग, राजेंद्र नगर में ईएनटी, गार्डिनर रोड में मधुमेह के इलाज की बेहतर सुविधा है। यहां संबंधित रोग के कई दशक का अनुभव रखने वाले चिकित्सक तैनात हैं। यहां काफी सुविधाएं भी मौजूद हैं। आगामी वर्षों में यहां काफी संख्या में मरीज बढ़ेंगे। इसे ध्यान में रखते हुए इन केंद्रों पर आधुनिक मशीन और जांच की सुविधा बढ़ानी होगी।
बड़े अस्पतालों का बोझ घटाना होगा
राजधानी में पीएमसीएच, आइजीआइएमएस, एनएमसीएच, एम्स जैसे बड़े अस्पताल हैं। अभी सिर्फ राजधानी ही नहीं बल्कि पूरे सूबे के मरीजों का लोड इन अस्पतालों पर है। इसे कम करने की जरूरत है। इन अस्पतालों के विकल्प में एक-दो अन्य अस्पतालों को डेवलप करने की जरूरत है। खासकर राजधानी के आसपास और सीमावर्ती क्षेत्रों में अच्छी सुविधाओं वाले अस्पताल खुलने चाहिए।
पीएमसीएच जल्द बने अंतरराष्ट्रीय स्तर का अस्पताल
पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। तीन चरणों में इसे 5000 बेड का बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस प्रोजेक्ट को लेकर काफी संजीदा हैं। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद पीएमसीएच दूसरे राज्यों और देशों के मरीजों का इलाज करने में सक्षम होगा। इस योजना को जल्द पूरा करने की जरूरत है।
निजी अस्पतालों का भी हो स्वागत
सिर्फ सरकारी अस्पतालों के भरोसे राजधानी की चिकित्सा व्यवस्था नहीं सुधर सकती। इसके लिए निजी अस्पतालों का होना भी जरूरी है। वे महंगे होते हैं, मगर इनके होने से दिल्ली-मुंबई जाकर इलाज कराने के खर्चे और परेशानी से बचा जा सकता है। इस दिशा में पहल भी हो रही है। देश के नामचीन निजी अस्पताल मसलन मेदांता, रिलायंस, पारस, राजधानी में पहले ही दस्तक दे चुके हैं। कुछ पाइपलाइन में हैं।
- डॉ. अजीत कुमार वर्मा
(डॉ. अजीत पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के प्राचार्य हैं)