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मास्टरप्लान पर होगा काम तो स्मार्ट दिखेगा पटना

पटना में दिन-प्रतिदिन वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन पूर्व की सड़कों की चौड़ाई सीमित है।

By Krishan KumarEdited By: Published: Sat, 21 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 21 Jul 2018 06:00 AM (IST)
मास्टरप्लान पर होगा काम तो स्मार्ट दिखेगा पटना

नलिनी रंजन, जागरण संवाददाता

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राजधानी राज्य का आईना होती है, यदि आईने पर ही गंदगी हो तो पूरे राज्य की सूरत बदरंग लगती है। पटना धीरे-धीरे ही सही अपने दाग धो रहा है। पिछले 10-15 सालों में इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में खूब काम हुआ है। कई पुलों का निर्माण हुआ है। सड़कें चौड़ी हुई हैं। शहर में कई बेहतरीन इमारतें बनी हैं, जो शहर की खूबसूरती में चार चांद लगा रही हैं। स्मार्ट सिटी में चयन के बाद कई योजनाओं की घोषणा भी हुई है। उम्मीद है, जल्द ही ये मूर्त रूप लेंगी। 21वीं सदी के शुरुआती वर्षों में जहां बिजली कटना आम बात थी, वहीं अब 22-23 घंटे तक बिजली मिल रही है।

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पटना विद्युत आपूर्ति प्रतिष्ठान के महाप्रबंधक दिलीप कुमार सिंह कहते हैं, पटना की विद्युत संरचना को लगातार मजबूत किया जा रहा है। शहर में 52 पावर सब स्टेशन हैं। पांच एमवीए के पावर ट्रांसफॉर्मरों को हटाकर 10-10 एमवीए का लगा दिया गया है। पावर सब स्टेशनों की क्षमता 1350 एमवीए हो गई है। शहर में बिजली की अधिकतम मांग 610 मेगावाट तक हो रही है। शहर की विद्युत संरचना को सुदृढ़ करने के 17 नये पावर सब स्टेशन का निर्माण किया जा रहा है।

राजधानी के विकास में एक बड़ा रोड़ा सरकारी विभागों के बीच तालमेल की कभी भी रही है। नतीजतन बिना प्लान के राजधानी तेजी से बढ़ती गई। शहर की सड़कें, नगर निगम के साथ-साथ पथ निर्माण विभाग, सांसद, विधायक, डूडा आदि के माध्यम से बन रही हैं, लेकिन किसी का तालमेल एक-दूसरे से नहीं होने के कारण सबकुछ अव्यवस्थित है।

नहीं हुआ मास्टरप्लान का अनुपालन
नालंदा खुला विवि के पूर्व कुलपति प्रो. जितेंद्र सिंह कहते हैं, पटना में किसी भी मास्टर प्लान का अनुपालन नहीं हुआ है। वर्ष 1980 के आसपास पटना का मास्टर प्लान बना था, लेकिन इसका भी अनुपालन नहीं हुआ। दो वर्ष पूर्व भी प्लान बना, लेकिन अनुपालन नहीं हो रहा है। लोग मनमाने तरीके से अपना निर्माण कर रहे हैं। ड्रेनेज नहीं है। कोई रोक-टोक नहीं है। पुराने तालाब भर कर घर बन गए। जब तक राजनीतिक एवं प्रशासनिक तंत्र जब तक मजबूत नहीं होगा, व्यवस्थित विकास संभव नहीं है। यहां टाउन प्लानर, आर्किटेक्ट की भी कमी है। हम आउटसोर्स पर ज्यादा भरोसा करते हैं, जो गलत है।

जलजमाव दूर करने के लिए बनाना होगा प्लान
निगम की सशक्त स्थायी समिति के सदस्य विकास कुमार मेहता बताते हैं कि राजधानी में जलजमाव सबसे बड़ी समस्या है। इसके लिए सरकार को विशेष प्लान के तहत राजधानी के सभी नालों को एक-दूसरे से लिंक करना होगा। साथ ही पुरानी सभी बड़ी नहरों को अतिक्रमणमुक्त कर गहराई तक सफाई करानी होगी। साथ ही कंकड़बाग और बाईपास के दक्षिणी इलाके के लिए नाला और संप हाउस की अतिरिक्त व्यवस्था कर जल निकासी की व्यवस्था कर काफी हद तक इस समस्या से निजात दिलाई जा सकती है।

बनाने होंगे वेंडिंग जोन
किसी भी शहर के फुटपाथ पर यदि दुकानदारों का कब्जा हो तो उसका विकास कभी संभव नहीं है। ऐसे में पटना की बेहतरी के लिए यहां वेंडिंग जोन की सबसे बड़ी जरूरत है। राजधानी में लगभग 13 हजार वेंडर हैं, जो फुटपाथ पर अपनी दुकान चलाते हैं। इससे सड़कों पर अतिक्रमण तो होता ही है, साथ ही कचरा व गंदगी की भी समस्या होती है। उप मेयर विनय कुमार बताते हैं कि शहर को व्यवस्थित करने के लिए वेंडिंग जोन बहुत जरूरी है। वेंडरों को व्यवस्थित कर शहर के सौंदर्यीकरण के प्रयास में कदम बढ़ाया जा सकता है।

नालों को पाटकर बनानी होगी सड़क
महानगर योजना समिति के उपाध्यक्ष सतीश कुमार बताते हैं कि शहर में दिन-प्रतिदिन वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन पूर्व की सड़कों की चौड़ाई सीमित है। ऐसे में अब वैकल्पिक सड़कों की जरूरत दिख रही है। ऐसे में नगर निगम क्षेत्र में करीब एक दर्जन लंबे और चौड़े नाले हैं, जिन्हें व्यवस्थित रूप से पाट कर सड़क की कमी दूर की जा सकती है।

पेयजल के लिए बनाना होगा ठोस प्लान
शहर में उच्च, मध्य एवं निम्नवर्गीय परिवार रहते हैं। पेयजल सभी की बुनियादी जरूरत है। उच्च आय वर्ग वाले परिवार अपने स्तर से घरों में पेयजल की व्यवस्था कर लेते हैं, लेकिन मध्य और निम्न आयवर्गीय परिवार को पेयजल के लिए भटकना पड़ता है।

राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार घोष बताते हैं कि नगर निगम क्षेत्र में लगभग 70 वर्ष पुरानी जलापूर्ति पाइपलाइन है। अधिकतर जगहों पर लीकेज के कारण प्रदूषित पानी लोगों के घरों तक पहुंच रही है। इससे लोग बीमार हो रहे हैं। ऐसे में शहर में पेयजल के लिए ठोस व्यवस्था करनी होगी। इसके मानकों की भी समय-समय पर जांच होनी चाहिए। इससे लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब होगी।

भवन निर्माण पर देना होगा ध्यान
शहर की पहचान बेहतर पार्क और व्यवस्थित भवन निर्माण से भी की जाती है। ऐसे में राजधानी में पार्कों को विकसित करने के साथ-साथ भवन निर्माण की प्रक्रिया पर भी नजर रखनी होगी। शहर में धड़ल्ले से भवन निर्माण हो रहा है। इसमें मानकों का भी अनुपालन नहीं हो रहा है। ऐसे में समय-समय पर अभियान चलाकर जांच करने की भी जरूरत है। मास्टरप्लान का अनुपालन राजधानी को व्यवस्थित और खूबसूरत बनाएगा।

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