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बिहार में फर्जी तरीके से बेचे जा रहे जमीन के नक्‍शे, प्राथमिकी दर्ज कराने में जुटी सरकार

बिहार सरकार अभी तैयारी ही कर रही जालसाजों ने शुरू कर दिया जमीन का कारोबार अवैध तरीके से नक्शा बेचने की शिकायत मिलने पर निदेशक भू-अभिलेख एवं परिमाप जय सिंह ने अपर समाहर्ताओं को कहा है कि वे अपने क्षेत्र में ऐसी शिकायतों की जांच करें

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 01:11 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 01:11 PM (IST)
बिहार में फर्जी तरीके से बेचे जा रहे जमीन के नक्‍शे, प्राथमिकी दर्ज कराने में जुटी सरकार
फर्जीवाड़ा करने वाले किए जाएंगे गिरफ्तार। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, राज्य ब्यूरो। सरकार जमीन का नक्शा बेचने की तैयारी कर रही है। लोगों को कहा गया है कि वे ऑनलाइन नक्शा खरीदें। नक्शे की ऑफलाइन बिक्री के लिए अंचलों में मशीनें भी लगाई गई हैं। उधर बाजार में यह नक्शा उपलब्ध हो गया है। सरकारी नक्शे की खरीद जैसी किसी औपचारिकता की जरूरत नहीं है। ऑनलाइन-ऑफलाइन कुछ नहीं। बस, दुकान के सामने खड़े हो जाइए। अपने मौजा का नाम बताइए। भुगतान के बाद नक्शा आपके हाथ में आ जाएगा। इसी काम के लिए सरकार के करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं। अवैध तरीके से नक्शा बेचने की शिकायत मिलने पर  निदेशक भू-अभिलेख एवं परिमाप जय सिंह ने अपर समाहर्ताओं को कहा है कि वे अपने क्षेत्र में ऐसी शिकायतों की जांच करें। थाना में प्राथमिकी दर्ज कराएं।

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सीतामढ़ी जिले में दर्ज हुई पहली प्राथमिकी

अवैध ढंग से नक्शा बेचने के खिलाफ पहली प्राथमिकी सीतामढ़ी जिला के डुमरा थाना में दर्ज कराई गई है। डुमरा के अंचलाधिकारी चंद्रजीत प्रसाद की ओर से दर्ज प्राथमिकी में दुकानदार रवींद्र कुमार एवं स्टाफ सूरज कुमार पर अवैध ढंग से नक्शा बेचने का आरोप लगाया गया है। अंचलाधिकारी ने दुकानदार और स्टाफ को थाना के हवाले कर दिया। उनके मुताबिक दुकानदार के पास जमीन का नक्शा बेचने का कोई लिखित आदेश नहीं था। मामले में गवाह उन लोगों को बनाया गया है, जो उस समय नक्शा खरीद रहे थे। दुकान से 105 नक्शे भी जब्त किए गए।

अब होगी राज्य भर में जांच

निदेशक, भू अभिलेख एवं परिमाप जय सिंह ने अपर समाहर्ताओं को निदेश दिया है कि वे पूरे राज्य में नक्शों की अवैध बिक्री की जांच करें। असल में नक्शों की अवैध बिक्री से सरकार के खजाने पर चपत पड़ रही है। राज्य सरकार ने आनलाइन नक्शा बेचने की तैयारी की है। किसी मौजे का एक नक्शा डेढ़ सौ रुपये में रैयत के घर पहुंचाने की तैयारी अंतिम चरण में है। इसके लिए डाक विभाग के अलावा बैंकों से करार किया गया है। मोटी रकम खर्च कर अंचल कार्यालयों में नक्शा बेचने के लिए बड़ी प्लाटर मशीनें लगाई गई हैं। यहां नकद भुगतान के आधार पर कोई रैयत नक्शे की खरीद कर सकते हैं। आशंका यह है कि अगर अवैध कारोबारी बाजार में उतर गए तो सरकार को नुकसान होगा।


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