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बिहार में एक डायरी से बाहर बाहर आ रहे 400 साल पुराने राज, अकबर के मंत्री टोडरमल ने लिखा था इसे

पांच सौ साल पुरानी डायरी से सामने आ रहा बिहार का अतीत बिहार के राज्य अभिलेखागार में रखी टोडरमल की डायरी का अंग्रेजी में किया जा रहा अनुवाद गांव-कस्बे से लेकर राजस्व के स्रोत तक का जिक्र नदी-पहाड़ तक का पता हैं या गुम हो गए सब पता चलेगा

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Mon, 22 Feb 2021 08:31 AM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 06:07 AM (IST)
बिहार में एक डायरी से बाहर बाहर आ रहे 400 साल पुराने राज, अकबर के मंत्री टोडरमल ने लिखा था इसे
बिहार की राजधानी पटना में हो रहा टोडरमल की डायरी का अनुवाद। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, प्रभात रंजन। Jagran Special Story: एक डायरी! करीब पांच सौ साल पुरानी। इसके पन्नों में है उन गांव-कस्बों का पता, जहां शायद आज आलीशान इमारतें बन चुकी हों या शहर बस चुके हों। डायरी के पीले पड़ चुके पन्नों को केमिकल डालकर सुरक्षित रखा गया है। इनमें है नदी-नाले, आहर-पोखर से लेकर पहाड़-पत्थर तक का पता। अब वे अस्तित्व में हैं या नहीं, हैं भी तो किस स्वरूप में, यह जानना बड़ा रोचक होगा। इसमें दर्ज है मौजूदा बिहार (Bihar) के भागलपुर (Bhagalpur) का अतीत। यह डायरी है अकबर (King Akbar) के नौ रत्नों में शुमार टोडरमल (TodarMal) की। फिलहाल यह डायरी पटना (Patna) स्थित बिहार राज्‍य अभिलेखागार (Bihar State Archives) में सुरक्षित रखी गई है।

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फारसी में लिखी इस डायरी का हो रहा अनुवाद

टोडरमल की इस डायरी में तब के भागलपुर परगना का पूरा खाका है। भू-राजस्व व्यवस्था देने वाले टोडरमल के कई दस्तावेजों का अनुवाद भी हुआ है, लेकिन भागलपुर परगना पर उनके कार्यों का यह अब तक का पहला आधिकारिक दस्तावेज है। इससे आज तक पर्दा इसलिए नहीं उठ सका, क्योंकि इसमें दर्ज अंक और अक्षरों को पढ़ सकने वाला नहीं मिल रहा था। पटना स्थित राज्य अभिलेखागार में सुरक्षित फारसी में लिखी इस डायरी का अब अंग्रेजी अनुवाद किया जा रहा है।

राष्‍ट्रीय अभिलेखागार के सहायक निदेशक कर रहे अनुवाद

इस डायरी के अनुवाद का बीड़ा उठाया है राष्ट्रीय अभिलेखागार, नई दिल्ली के सहायक निदेशक मुजफ्फर-ए-इस्लाम ने, जिन्होंने बताया कि इसकी तिथि को लेकर असमंजस है। पन्नों पर अलग-अलग तिथि दर्ज है। अभी दो-तीन पेज का अनुवाद हो सका है। पूरी डायरी को पढऩे व शोध करने के बाद ही वास्तविक तस्वीर सामने आएगी। डायरी आंकड़ों पर आधारित हैं। सामान्य तौर पर कह सकते हैं कि एक तरह की चित्रलिपि है, जिसके माध्यम से गणना की गई है।

नक्‍शों और आंकड़ों पर आधारित है यह डायरी

प्रारंभिक अध्ययन में यह पता चल रहा है कि इसमें भागलपुर परगना के मौजे, गांव-कस्बे के साथ उपजाऊ और बंजर भूमि, नदी, नाले, पहाड़ों तक की जानकारी है। यह नक्शे और आंकड़ों पर आधारित है। तब का भागलपुर परगना बहुत विस्तृत भू-भाग में था। इसमें यह भी जानकारी है कि कहां से कैसे राजस्व की प्राप्ति की जा सकती है।

1589 के आसपास लिखी गई यह डायरी

यह डायरी करीब 400 पेज की है, जिस पर रकबाबंदी 1001 फसली लिखा है। फसली मतलब फसलों के हिसाब से वर्ष गणना। यह व्यवस्था अकबर ने बनाई थी। प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक यह 1589 के आसपास की है, गणना के बाद और स्पष्ट होगा। डायरी के पेज नंबर 152 पर 1862 एडी लिखा हुआ है, जिसमें ब्रिटिश शासन में डिप्टी कलेक्टर को इसे संरक्षित करने का आदेश दिया गया है। इससे पता चलता है कि ब्रिटिशकाल में यह डायरी हाथ लगी, जिसे संरक्षित किया गया। इसकी जिल्द पर अंग्रेजी में टोडरमली डायरी लिखा है। राज्य अभिलेखागार की पुराभिलेखापाल डॉ. रश्मि किरण ने कहा कि यह डायरी अभिलेखागार में संरक्षित थी।

साल के अंत तक काफी काम पूरा होने की उम्‍मीद

बिहार राज्य अभिलेखागार, पटना के निदेशक डॉ. महेंद्र पाल ने बताया कि इस डायरी के अनुवाद के लिए अरबी-फारसी के कई विद्वानों से संपर्क किया, लेकिन समाधान नहीं निकला। फिर कैबिनेट सचिव संजय कुमार के परामर्श के बाद दिल्ली अभिलेखागार के सहायक निदेशक मुजफ्फर-ए-इस्लाम से संपर्क किया। वे कई अनुवाद कर चुके हैं। उन्होंने हामी भर दी। उम्मीद है कि इस साल के अंत तक इससे महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकेंगी।


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