बिहार में वैक्सीन से वंचित रह जाएंगे कई कोरोना याेद्धा, पोल खुलने के डर से नाम ही नहीं दे रहे पटना के अस्पताल
कोरोना से जंग में जीत के लिए अब वैक्सीन के इंतजार का काउंटडाउन शुरू है। जल्दी ही यह उपलब्ध हो जाएगा। इसे सबसे पहले डॉक्टरों व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को दिया जाएगा। लेकिन अपनी पोल खुलने के डर से पटना के कई अस्पताल उनके नाम ही नहीं दे रहे हैं।
पटना, पवन कुमार मिश्र। Bihar CoronaVirus Vaccine Update वैश्विक महामारी कोरोना (CoronaVirus) से बचने के लिए हर शख्स को वैक्सीन (Corona Vaccine) का इंतजार है। सभी चाहते हैं कि उन्हें वैक्सीन मिले। सरकार कोरोना चेन तोड़ने के लिए पहले चिकित्साकर्मियों व अन्य कोरोना योद्धाओं को सुरक्षित करना चाहती है। वहीं कई निजी अस्पतालों व जांच केंद्रों के डॉक्टरों व चिकित्साकर्मियों में कई ऐसे भी हैं जिन्हें सरकार की मुफ्त वैक्सीन नहीं मिल पाएगी। कारण यह कि ऑन कॉल डॉक्टरों व प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों के सहारे इलाज का धंधा करने वाले अस्पताल संचालक उनकी जरूरी जानकारियां सिविल सर्जन कार्यालय को मुहैया नहीं करा रहे हैं। उन्हें डर है कि ऐसा नहीं हो कि वे जिन डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों की जानकारी सिविल सर्जन कार्यालय को दें, दूसरे संस्थानों से भी उन्हीं के नाम दे दिए जाएं। ऐसे में आशंका है कि बहुत से फ्रंट वॉरियर्स को सबसे पहले कोरोना वैक्सीन नहीं मिल पाएगी।
390 निजी संस्थानों में से अभी आधे नहीं दी जानकारी
सिविल सर्जन डॉ. विभा कुमारी सिंह के अनुसार जिले में 73 सरकारी संस्थानों में काम करने वाले डॉक्टर, पारा मेडिकल व कर्मचारियों की सूची मिल गई है। कुछ संस्थानों के डाटा में कुछ त्रुटि है, जिसे एक-दो दिन में दूर कर लिया जाएगा। इसके विपरीत जिन 390 निजी अस्पतालों व जांच केंद्रों से उनके कर्मचारियों की सूची मांगी गई है, उनमें आधे से अधिक ने जानकारी नहीं मुहैया कराई है। ऐसे में जो लोग छूट जाएंगे, उन्हें पहले चरण में वैक्सीन मुहैया कराना मुश्किल होगा।
इलाज व जांच करने वाले बहुत से केंद्र पहले ही बाहर
डॉक्टरों के अनुसार पटना में छोटे बड़े निजी अस्पतालों, जांच केंद्रों व क्लीिनकों की संख्या पांच हजार से अधिक है। इसमें से स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें निदान केंद्रों से जानकारी मांगी है, जिन्होंने सिविल सर्जन कार्यालय में पंजीयन कराया है। ऐसे संस्थानों की संख्या करीब 200 है। वहीं 190 ऐसे संस्थान है जिन्होंने हाईकोर्ट में मामला होने के कारण क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीयन नहीं कराया है, लेकिन वहां मरीजों की संख्या ठीकठाक है। ऐसे में तमाम छोटे-मोटे निजी अस्पतालों व जांच केंद्रों के कर्मचारियों को वैक्सीन की सुरक्षा नहीं मिल पाएगी और वे कोरोना की चेन तोड़ने के कार्य में सेंध लगाते रहेंगे।