रेलवे अस्पताल में डॉक्टरों व कर्मियों की कमी, आइसीयू में जाने से बच रहे डॉक्टर
दानापुर रेलवे अस्पताल को 80 बेड का कोविड स्पेशल अस्पताल बना दिया गया है
पटना। दानापुर रेलवे अस्पताल को 80 बेड का कोविड स्पेशल अस्पताल बना दिया गया है। यहां कोरोना संक्रमित रेलकर्मियों के इलाज की विशेष व्यवस्था की गई है। अधिकांश बेड पर ऑक्सीजन सुविधा है। आइसीयू में कोरोना से संक्रमित गंभीर रोगियों के रखने की व्यवस्था की गई है। रेलवे की ओर से इलाज को अत्याधुनिक उपकरण लगाए गए हैं। ये इंतजाम तो सकारात्मक पहलू हैं पर अस्पताल कई समस्याओं से भी जूझ रहा है। इससे मरीज एवं डॉक्टर दोनों को परेशानी है।
सबसे अधिक परेशानी डॉक्टरों की कमी को लेकर है। अस्पताल में मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी को छोड़ दें तो मात्र 13 डॉक्टर ही तैनात हैं। उनमें से तीन डॉक्टर प्रशासनिक कार्यो में ही व्यस्त रहते हैं। बाकी बचे 10 डाक्ॅटरों में तीन कोरोना संक्रमण की आशंका में क्वारंटाइन पर चले गए हैं। पांच डॉक्टर अनुबंध पर रखे गए हैं। डॉक्टरों की कमी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। कुछ चिकित्सकों के क्वारंटाइन पर जाने के कारण डॉक्टर आइसीयू में जाने से डरने लगे हैं। हालांकि मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी आइसीयू व आइसोलेशन वार्ड में घूमते रहते हैं। रात में आइसीयू में मात्र दो नर्स ही रहती हैं। इतना ही नहीं पूरे अस्पताल के लिए एक ही आया है।
: मरीज के स्वजन की शिकायत पर भी आइसीयू नहीं जा रहे थे डॉक्टर :
बख्तियारपुर स्टेशन पर तैनात सुरेश यादव के परिजनों ने बताया कि उसके चाचा की दोनों किडनी खराब हो चुकी हैं। उन्हें इलाज के लिए दानापुर रेल अस्पताल के कोरोना वार्ड में लाया गया है। रात में ऑक्सीजन का स्तर 46 तक पहुंच गया था। बार-बार डॉक्टर के पास आइसीयू में चलकर रोगी का इलाज करने को कहा जा रहा था। डॉक्टर नहीं पहुंचे। जब इसकी शिकायत मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरके वर्मा से की गई तो वे खुद ही अस्पताल पहुंच गए और मरीज के लिए इलाज बेहतर इंतजाम कराए।
अस्पताल से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि अस्पताल में 46 नर्स हैं जिनमें 5 से अधिक बीमार अथवा संक्रमित हैं। तीन डाक्टर संक्रमित अथवा क्वारंटाइन पर हैं। दो सफाईकर्मी कोरोना संक्रमित हो चुकी हैं। कुल मिलाकर 15 से अधिक डॉक्टर अथवा पारा मेडिकलकर्मी क्वारंटाइन में हैं अथवा कोरोना संक्रमित हैं। नर्सो से भी अधिक कमी आया की है। एक ही आया पूरी रात अस्पताल में ड्यूटी करती हैं। : पीपीई किट को लेकर हो रही है अधिक परेशानी :
वर्तमान में जो पीपीई किट अस्पताल प्रबंधन की ओर से मिल रही है वह आरामदायक नहीं है। पायजामा-कुर्ता होने के कारण इसे साड़ी पर पहनने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। पीपीई किट खोलते समय संक्रमण का खतरा भी रहने लगा है।
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यहां डॉक्टरों की कमी है परंतु रेलकर्मियों के इलाज में कहीं से कोताही नहीं बरती जा रही है। डॉक्टरों व नर्सो की बहाली के लिए दो-दो बार विज्ञापन निकाला गया है। शीघ्र ही इनकी कमी दूर कर ली जाएगी।
- डॉ. आरके वर्मा, मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी।