Move to Jagran APP

महागठबंधन की नाव को मझधार में ले जा रहे मांझी, नहीं मिल रहे घटक दलों के सुर-ताल

लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित हार के बाद बिहार में महागठबंधन की नाव फंसी हुई नजर आ रही है। सालभर बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं किंतु घटक दलों के सुर-ताल अलग-अलग हैं।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Sat, 15 Jun 2019 01:18 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jun 2019 02:41 PM (IST)
महागठबंधन की नाव को मझधार में ले जा रहे मांझी, नहीं मिल रहे घटक दलों के सुर-ताल
महागठबंधन की नाव को मझधार में ले जा रहे मांझी, नहीं मिल रहे घटक दलों के सुर-ताल

पटना [अरविंद शर्मा]। लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित हार के बाद बिहार में महागठबंधन की नाव फंसी हुई नजर आ रही है। सालभर बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं, किंतु घटक दलों के सुर-ताल अलग-अलग हैं। गठबंधन की गांठ खुलती जा रही है। सबसे बड़े घटक दल के प्रमुख नेता तेजस्वी यादव दो हफ्ते से 'गायब' हैं। इस बीच, सहयोगी दलों को सीटें बांटने की बेताबी है। न लोकसभा चुनाव में हार की संयुक्त समीक्षा, न आगे के लिए समन्वय।

loksabha election banner

35 सीटें मांगी है हमने, रालोसपा भी पीछे नहीं 

खास बात कि हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) प्रमुख जीतनराम मांझी ने विधानसभा की 35 सीटें अपने लिए तय कर ली हैं। रालोसपा भी पीछे क्यों रहती। उपेंद्र कुशवाहा को भी 27 सीटों से कम नहीं चाहिए। करीब 10 दिन पहले इफ्तार की दावतों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आत्मीय तरीके से मेल-जोल बढ़ाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री मांझी ने तो महागठबंधन के नेता पर 'प्रहार' भी शुरू कर दिया है। 

तेजस्‍वी पर भी कर रहे हैं प्रहार

महागठबंधन के सबसे बुजुर्ग एवं अनुभवी नेता मांझी सियासी व्यवहार के साथ-साथ बयानों से भी तेजस्वी पर प्रहार कर रहे हैं। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष के अज्ञातवास पर तंज कसा है। कहा है कि हार के सदमे से उबरने के लिए वह कहीं रिफ्रेश होने गए हैं। दो कदम आगे बढ़कर मांझी ने लालू प्रसाद के सियासी उत्तराधिकारी को अपरिपक्व और बच्चा बताया है। खुद से तुलना की है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी की उम्र कम है। वह लालू प्रसाद और मेरी तरह परिपक्व नहीं हैं। उम्र का हवाला देकर पूर्व सीएम ने नेता प्रतिपक्ष की सियासी समझदारी पर भी सवाल खड़ा किया है। दो-दो सीटों से पराजित होकर उपेंद्र कुशवाहा भी दोहरे सदमे में हैं। उनके अगले कदम का इंतजार है। 

फिर डोल रहा मांझी का मन

कांग्रेस से सियासी सफर की शुरुआत और नीतीश कुमार की कृपा से 2014 में बिहार की सत्ता संभालने वाले जीतनराम मांझी की गतिविधियां और बेबाक अभिव्यक्तियां बता रही हैं कि महागठबंधन का माहौल उन्हें रास नहीं आ रहा है। उनका मन फिर डोल रहा है। तीन और चार जून के बीच 24 घंटे में सीएम नीतीश कुमार से दो-दो बार मुलाकात का बहाना भले ही इफ्तार की दावत हो सकता है, किंतु मिलन का तरीका और सियासत का हाल संकेत कर रहा है कि उन्हें नए कुनबे की तलाश है। आना-जाना शुरू हो चुका है। आगे का सफर अभी बाकी है। 

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.