मेनका गांधी ने कहा - बिहार में इतनी संख्या में नीलगायों की हत्या, देश के लिए कलंक
गया पहुंची केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि बिहार में 250 नीलगाय को बच्चों सहित मौत के घाट उतारना ब्रिटिश शासनकाल में भी नहीं हुआ था, यह देश के लिए कलंक है।
पटना [वेब डेस्क]। बिहार के मोकामा जिले के कुछ इलाकों में नीलगाय के शिकार करने पर दिल्ली से लेकर पटना तक में सियासी संग्राम मचा हुआ है। इस मामले में दो केंद्रीय मंत्री आमने-सामने हैं। जहां एक ओर केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने इस मामलेे पर आपत्ति जतायी है, वहीं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसे सही ठहराया है।
गया पहुंची केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि बिहार में 250 नीलगाय को बच्चों सहित मौत के घाट उतारना ब्रिटिश शासनकाल में भी नहीं हुआ था। इसके लिए हैदराबाद से शिकारियों को बुलाया गया था, लेकिन एेसा नीतीश कुमार के शासनकाल में हुआ है। उन्होंने कहा कि जिसने इसकी इजाजत दी, वो निर्दयी है और इतनी संख्या में जानवरों की हत्या करना, यह देश के लिए कलंक है।
वहीं इस मामले के बारे में बिहार में सत्ताधारी दल जेडीयू का कहना है कि हमने केंद्र सरकार से नीलगायों के मारने के इस मुहिम की अनुमति ले ली थी। किसानों द्वारा मेहनत से उगाई गई फसलों को बर्बाद करने वाली नीलगायों के खिलाफ मोकामा टाल में 'ऑपरेशन नीलगाय' शुरू किया गया है।
इस मामले में जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार की पहल पर हैदराबाद से आई शूटरों की विशेष टीम मोकामा में नीलगायों के सफाये और उन्हें जंगली इलाकों में खदेड़ने के अभियान में जुटी हुई है।
मोकामा टाल इलाके में बीते 3 दिनों में ढाई सौ से अधिक नीलगायों को मारा जा चुका है और एक हजार से अधिक नीलगायों को जंगली इलाकों में खदेड़ा जा चुका है। किसानों की परेशानी को देखते हुए नीलगायों को मारे जाने और खदेड़ने के लिए शुरू किया गया ऑपरेशन अभी भी जारी है।
बता दें कि पटना जिलाे के मोकामा टाल क्षेत्र में नीलगायों का आतंक ज्यादा है। इनके सैकड़ों झुंड यहां की दलहनी, खरीफ व रबी फसलों के अलावा सब्जियों की खेती को भी बर्बाद कर देती हैं। हैदराबाद से आई शूटरों की टीम इनको मारने के साथ-साथ जंगली इलाकों में भी खदेड़ने के अभियान में लगी हुई है।
हैदराबाद के शूटर नवाब शफात अली खान और उनके सहयोगी पिछले 4 दिनों से मोकामा इलाके में ऑपरेशन नीलगाय में जुटे हुए हैं। ढाई सौ से अधिक नीलगाएं मोकामा, घोसवरी, पंडारक और बाढ़ प्रखंडों के टाल इलाकों में मारी जा चुकी हैं। साथ ही दो हजार से अधिक को जंगलों की तरफ खदेड़ा जा चुका है।
शूटर नवाब शफात अली खान बताते हैं कि बिहार में नीलगायों का प्रभाव गंगा के मैदानी इलाकों में ज्यादा है। यहां उर्वर भूमि के कारण बेहतर फसल होती है।
उन्होंने बताया कि मादा नीलगायों नहीं मारा जा रहा है, सिर्फ नर नीलगायों को निशाना बनाया जाता है। शूटर कहते हैं कि नीलगायों को मारना मकसद नहीं है। हमारा मकसद नीलगायों को आबादी वाले मैदानी हिस्से से जंगली इलाकों में खदेड़ कर इन्हें संरक्षित करना है।शूटर नवाब शफात अली खान बिहार में मुख्य वन्यजीव संरक्षक के सलाहकार होने के साथ-साथ आदमखोर जंगली जानवरों के उन्मूलन के लिये अधिकृत व्यक्ति हैं।
अब इस मामले पर सियासी संग्राम मच गया है और मोदी सरकार के दो मंत्री आपस में भिड़ गये हैं। केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने पर्यावरण मंत्रालय पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि ये संरक्षित जानवर हैं। इन्हें नहीं मारना चाहिए। पर्यावरण मंत्रालय ने पता नहीं कैसे अनुमति दे दी है?
दूसरी ओर मेनका के बयान पर पर्यावरण मंत्री ने पलटवार करते हुए कहा कि किसने क्या कहा है। मैं उस पर प्रतिक्रिया नहीं देता। अगर राज्य सरकार प्रस्ताव भेजती है तो मैं मंजूरी देता हूं। जेडीयू प्रवक्ता ने कहा कि हमने कोई गलती नहीं की है। केंद्र सरकार से अनुमति ले ली थी सरकार ने।