नीतीश की दो टूक: हर जगह दिखे पुलिस, पेट्रोलिंग बढ़ाएं; हर हाल में हो क्राइम कंट्रोल
पुलिस पेट्रोलिंग को लेकर ढुलमुल रवैया रखने वाले पुलिसकर्मियों की अब खैर नहीं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को समीक्षा बैठक में पुलिस पेट्रोलिंग को लेकर सख्त हिदायत दी।
पटना, जेएनएन। पुलिस पेट्रोलिंग को लेकर ढुलमुल रवैया रखने वाले पुलिसकर्मियों की अब खैर नहीं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को मुख्य सचिव, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव व डीजीपी सहित आला पुलिस अधिकारियों के साथ सूबे में विधि-व्यवस्था और अपराध की स्थिति की समीक्षा बैठक में पुलिस पेट्रोलिंग को लेकर सख्त हिदायत दी। इस कार्य के लिए उच्च स्तर पर जवाबदेही भी तय की गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर जगह दिखनी चाहिए पुलिस। पुलिस पेट्रोलिंग की संख्या को बढ़ाएं। हर हाल में क्राइम कंट्रोल हो।गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने संयुक्त रूप से मुख्यमंत्री की बैठक में हुए निर्णयों की जानकारी दी।
डीआईजी, एसपी व डीएसपी करेंगे पेट्रोलिंग की जांच
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि पुलिस पेट्रोलिंग में लापरवाही की जांच उच्च स्तर के अधिकारी करें। इस क्रम में रेंज डीआईजी को यह जवाबदेही दी गई कि तीस दिन में तीन दिन वह पेट्रोलिंग की जांच करें। एसपी चार दिन और डीएसपी पांच दिन पुलिस पेट्रोलिंग की जांच करेंगे। डीजीपी ने कहा कि पटना के लिए माइक्रो लेबल पर योजना तैयार की जा रही है। पुलिस पेट्रोलिंग वाले वाहन में जीपीएस लगाया जा रहा है, ताकि नियंत्रण कक्ष से उनके मूवमेंट की जानकारी हासिल हो सके। पुलिस के रिस्पांस टाइम को कम करने की कोशिश है।
लापरवाह पुलिस के अधिकारियों की पहचान को कैैंप करेंगे आला अधिकारी
मुख्यमंत्री की बैठक में तय हुआ लापरवाह पुलिसकर्मियों व अफसरों को चिह्नित किए जाने को ले आला पुलिस अधिकारी फील्ड में कैंप करेंगे। आईजी स्तर के अधिकारी महीने में 10 दिनों तक अपने से संबद्ध अनुमंडल पुलिस मुख्यालय में कैंप करेंगे। निरीक्षण के दौरान उन्हें वहां रात्रि विश्राम कर पूरी व्यवस्था देखनी है। केस क्यों लंबित है और कौन लापरवाह है, यह देखना है। वहीं डीआईजी को महीने में दस दिन अंचल मुख्यालय में कैंप करना है। एसपी और डीएसपी को यह सूची बनानी है कि कौन पुलिस कर्मी लापरवाह है अपने काम के प्रति। काम नहीं करने वाले को फील्ड से हटाकर दूसरे काम में लगाया जाएगा। वैसे 20 एसडीपीओ की सूची मिल भी गई है।
अनुसंधान के लंबित मामलों को सुलझाने के लिए अतिरिक्त डीएसपी
पुलिस मुख्यालय ने यह आंकड़ा जुटाया है कि पूरे सूबे के थानों में 1.40 लाख मामले अनुसंधान को लंबित हैैं। चार साल में लंबित मामलों की संख्या कई गुणा बढ़ गई है। सुपरविजन रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाने की वजह से मुकदमा आगे नहीं बढ़ रहा। इस बात को ध्यान में रख मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में यह फैसला लिया गया कि वैसे सभी एसडीपीओ जिनके यहां लंबित मामले अधिक हैैं, के अधीन एक डीएसपी स्तर के अधिकारी की तैनाती की जाएगी। वह अनुसंधान का काम संभालेंगे। इसी तरह थाने में एसएचओ के अधीन दो अतिरिक्त एसएचओ का पदस्थापना इस कार्य के लिए किया जाएगा।
बिहार के थानों में होगी मैनेजर की बहाली
अब बिहार में पुलिसिया व्यवस्था पर नजर रखने के लिए थानों में मैनेजर की बहाली होगी। सीएम ने विधि व्यवस्था को लेकर हुई समीक्षा बैठक में मैनेजर की बहाली के निर्देश दिए। डीजीपी ने कहा कि बिहार के थानों में मैनेजर (प्रबंधक) की बहाली होगी। थानों के रखरखाव से लेकर वाहनों के मेंटेनेंस का काम मैनेजर के जिम्मे होगा, ताकि पुलिस अफसरों को विधि व्यवस्था में किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी। मैनेजर के लिए एमबीए या उसके समकक्ष की डिग्री मान्य होगी।
आईजी-डीआईजी भी क्षेत्र में करेंगे कैंप
बैठक में यह भी कहा गया कि आईजी अब माह के 10 दिन अनुमंडल में रहेंगे। इसी तरह, डीआईजी भी माह में 10 दिन क्षेत्र में समय गुजारेंगे। यही नियम एसपी-डीएसपी पर भी लागू होगा। डीजीपी ने कहा कि बढ़ते अपराध पर काबू पाने के लिए पूरे बिहार को जोन में बांट कर चिह्नित किया गया है। जांच में यह बात सामने आई है कि पटना और मुजफ्फरपुर जोन में अपराध काफी बढ़ गए हैं। इन दोनों जाेनों में सबसे ज्यादा अपराध की घटनाएं हो रही हैं। अपराधों पर नियंत्रण के लिए कई रणनीति बनाई गई है।
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