कोरोना के कारण पटना के महावीर मंदिर को 10 करोड़ का नुकसान, जानें कहां खर्च होती है ये रकम
कोरोना महामारी के कारण उत्तर भारत के सबसे धनी मंदिरों में शुमार पटना के हनुमान मंदिर को करीब 10 करोड़ रुपए तक का नुकसान हो चुका है। इस मंदिर के पैसे का इस्तेमाल किन कार्यों में होता है इसे जानकर आपको खुशी होगी।
पटना, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी का असर लोगों के साथ शहर के मंदिरों पर भी हुआ। पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर समेत राज्य के अन्य मंदिर संक्रमण के कारण बंद कर दिए गए हैं। महावीर मंदिर की आय का स्रोत नैवेद्यम का काउंटर लोगों के लिए खुला है पर मंदिर बंद होने से आमदनी भी प्रभावित हुई है। महावीर मंदिर की आमदनी से पटना के महावीर वात्सल्य, महावीर कैंसर संस्थान, आरोग्य संस्थान समेत अन्य अस्पतालों का संचालन होता है। इसके अलावा समाज की भलाई के लिए कई तरह के कार्य मंदिर की ओर से होते हैं।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए देंगे 10 करोड़ रुपए
भगवान राम की नगरी अयोध्या में इस मंदिर की ओर से राम रसोई का संचालन होता है, जहां हर रोज सैकड़ों लोग मुफ्त भोजन ग्रहण करते हैं। महावीर मंदिर की ओर से अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए 10 करोड़ रुपए चंदा देने की बात कही गई है। इसमें दो करोड़ रुपए हर साल दिए जाने हैं। मंदिर के न्यास सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि मंदिर के द्वार बंद होने से आमदनी प्रभावित हुई है। इसके कारण थोड़ी परेशानी हो रही है। मंदिर से जुड़े पुजारी, कर्मचारियों का वेतन प्रतिमाह समय से दिया जा रहा है। इसमें कोई कटौती नहीं की जा रही है।
प्रतिमाह लगभग दो करोड़ 70 लाख का बिकता है नैवेद्यम
तिरुपति मंदिर के तर्ज पर बनने वाला नैवेद्यम प्रसाद वहां के कुशल कारीगरों द्वारा पटना में तैयार किया जाता है। नैवेद्यम प्रसाद के संचालक आर शेषाद्री ने बताया कि आम दिनों में प्रतिमाह लगभग दो करोड़ 70 लाख रुपये की बिक्री नैवेद्यम की होते रही है। वहीं, मंदिर बंद होने से आमदनी भी प्रभावित हुई है। शेषाद्री ने बताया कि कोरोना की पहली लहर में प्रदेश में लाकडाउन लगा था। मई 2020 से जुलाई तक मंदिर बंद होने से लगभग साढ़े पांच करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था वहीं दूसरी लहर में भी लगभग तीन करोड़ रुपये। कुल मिलाकर देखें तो कोरोना की वजह से मंदिर को लगभग 10 करोड़ रुपए का नुकसान कोविड की वजह से होता दिख रहा है।
काउंटर तो खुले, लेकिन बिक्री पहले जैसी नहीं
इस वर्ष 2022 में छह फरवरी तक मंदिरों को बंद करने का निर्णय सरकार की ओर से लिया गया है। हालांकि, नैवेद्यम काउंटर सुबह आठ से शाम आठ बजे तक खुला है, लेकिन मंदिर बंद होने से बिक्री प्रभावित हुई है। नैवेद्यम को बनाने से लेकर बेचने तक की प्रक्रिया में 60 लोग हैं। इसमें से 25-26 लोग नैवेद्यम काउंटर पर शिफ्ट के अनुसार कार्य करते हैं।
एक जनवरी को अधिक हुई थी बिक्री
वर्ष 2022 के शुभारंभ पर पहली जनवरी को इस बार नैवेद्यम की बिक्री लगभग 10 हजार 65 किलो हुई थीं। वहीं, बीते वर्ष की बात करें तो 2021 में एक जनवरी को आठ हजार पांच सौ किलो की बिक्री हुई थी। बीते वर्ष कोरोना का प्रभाव अधिक होने के कारण बिक्री पर असर पड़ा था। वहीं, आम दिनों में मंदिर खुले होने पर प्रत्येक मंगलवार को साढ़े पांच हजार किलो एवं प्रत्येक शनिवार को साढ़े तीन हजार किलो की बिक्री होती थी, अब मंदिर बंद होने से प्रत्येक मंगलवार को लगभग 877 किलो एवं शनिवार को 550 किलो की बिक्री नैवेद्यम की हो रही है। प्रतिकिलो नैवेद्यम की बिक्री तीन सौ रुपये किलो है। वहीं, कुछ वर्षो से 288 रुपये प्रति किलो नैवेद्यम की बिक्री होती थी।
छह से लेकर 20 जनवरी तक नैवेद्यम की बिक्री
- छह जनवरी - 418 किलो
- सात जनवरी - 469 किलो
- आठ जनवरी - 501 किलो
- नौ जनवरी - 345 किलो
- 10 जनवरी - 403 किलो
- 11 जनवरी - 838 किलो
- 12 जनवरी - 310 किलो
- 13 जनवरी - 363 किलो
- 14 जनवरी - 293 किलो
- 15 जनवरी - 526 किलो
- 16 जनवरी - 421 किलो
- 17 जनवरी - 477 किलो
- 18 जनवरी - 900 किलो
- 19 जनवरी - 423 किलो
- 20 जनवरी - 417 किलो