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बिहार में रसोई गैस की आंच से जल रहा सब्सिडी का बटुआ, 983 का सिलेंडर Subsidy मात्र 79 रुपये

रसोई गैस के मामले में पानी सिर के ऊपर बहने लगा है। इसके उलट सब्सिडी की राशि तेजी से छोटी हुई है। हैरानी यह कि पिछले छह वर्षों में कामर्शियल की तुलना में घरेलू रसोई गैस की कीमत अधिक बढ़ी है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Thu, 09 Sep 2021 05:01 PM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 05:01 PM (IST)
बिहार में रसोई गैस की आंच से जल रहा सब्सिडी का बटुआ, 983 का सिलेंडर Subsidy मात्र 79 रुपये
300 रुपये से अधिक मिलने वाली गैस सब्सिडी अब मात्र 79 रुपये हो गई है। सांकेतिक तस्वीर।

दिलीप ओझा, पटना: महंगाई तो परछाईं की तरह पीछा करती ही रहती है लेकिन रसोई गैस के मामले में पानी सिर के ऊपर बहने लगा है। इसके उलट सब्सिडी की राशि तेजी से छोटी हुई है। हैरानी यह कि पिछले छह वर्षों  में कामर्शियल की तुलना में घरेलू रसोई गैस की कीमत अधिक बढ़ी है। वर्ष 2015 के जनवरी से अब तक  सिलेंडर की कीमत 541.50 रुपये बढ़ चुकी है जबकि इसी अवधि में सब्सिडी की राशि 299.22 रुपये कम हो गई है। जाहिर है रसोई गैस की आंच से सब्सिडी का बटुआ जलने लगा है। 

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राहत की उम्मीद पर पानी

वर्ष 2015 के जनवरी में एक घरेलू सिलेंडर 441.50 रुपये में मिलता था। अब एक सिलेंडर की कीमत 983.00 रुपये हो गई है। इस तरह से रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 541.50 रुपये बढ़ गई है। वर्ष 2015 के जनवरी में प्रति सिलेंडर 378.88 रुपये सब्सिडी मिलती थी जो अब घटकर मात्र 79.26 रुपये रह गई है। इस तरह से सब्सिडी की राशि में प्रति सिलेंडर 299.62 रुपये की कमी आई है। गैस एजेंसी मालिकों का कहना है कि वर्ष 2015 की तुलना में अब साल भर में रसोई गैस के मद में एक परिवार को करीब 10 हजार रुपये से भी अधिक खर्च करने पड़ रहे हैं। 

माह-कीमत 14.2 किलो, सब्सिडी, कीमत -कामर्शियल सिलेंडर-19किलो

  • जनवरी 2015-441.50 रु, 378.88 रु, 1566.50रु
  • जनवरी 2016-768.88, 321.95,1465.11रु
  • जनवरी2017-749.00, 229.00, 1321.00रु
  • जनवरी-2018-818.00, 320.60, 1447.00रु
  • जनवरी2019-783.00रु,396.22,1388.00रु
  • जनवरी2020-816.00, 243.97, 1438.00रु
  • जनवरी2021-792.50रु, 79.26, 1538.50रु
  • सितंबर2021-983.00, 79.26, 1909.50रु

सब्सिडी पर भ्रम की स्थिति

उपभोक्ताओं को सब्सिडी देने के क्या मानक निर्धारित किए गए हैं, यह एजेंसी मालिक भी नहीं बता पा रहे हैं। बिहार एलपीजी वितरक संघ के महासचिव डाक्टर रामनरेश सिन्हा ने कहा कि सब्सिडी की राशि मुख्यालय तय करता है। इसका मैसेज तो मिलता है लेकिन किस तरह से सब्सिडी की राशि तय की जाती है, इसकी जानकारी नहीं है। उधर तेल एवं गैस कंपनियों की ओर से कहा गया कि सब्सिडी की राशि तय करना और इसे उपभोक्ताओं के खाते में डालने की व्यवस्था क्षेत्रीय कार्यालयों के अधीन नहीं है। यह सरकार तय करती है।

कामर्शियल से भी महंगा घरेलू सिलेंडर

कामर्शियल सिलेंडर पर भी महंगाई की गाज गिरी है, हालांकि यह घरेलू सिलेंडर की तुलना में कम है। जनवरी 2015 में 19 किलो वाले कामर्शियल सिलेंडर की कीमत पटना में 1566.50 रुपये थी जो अब 1909.50 रुपये हो गई है। इस तरह से करीब छह वर्ष में कामर्शियल सिलेंडर 343 रुपये महंगा हुआ है। इसी अवधि में घरेलू सिलेंडर की कीमत 541.50 रुपये बढ़ गई है। इस तरह से कामर्शियल की तुलना में घरेलू रसोई गैस सिलेंडर 288.50 रुपये अधिक महंगा हुआ है। 


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