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Bihar Lockdown: हरियाणा से पटना तक का ये पैदल सफर, रूह कंपा देगी इनकी बेबसी की दास्‍तान

Bihar Lockdown घर लौटने के लिए कोई कितना सफर कर सकता है? लॉकडाउन के दौरान बस-ट्रेन के पहिए भले थम गए हों पर अपनों तक पहुंचने के लिए ये बिहारी आठ-आठ दिन पैदल चले। जानें इनकी कहानी।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Mon, 30 Mar 2020 02:55 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2020 08:03 PM (IST)
Bihar Lockdown: हरियाणा से पटना तक का ये पैदल सफर, रूह कंपा देगी इनकी बेबसी की दास्‍तान
Bihar Lockdown: हरियाणा से पटना तक का ये पैदल सफर, रूह कंपा देगी इनकी बेबसी की दास्‍तान

पटना, जेएनएन। लोग ट्रेन की सुविधायुक्त बोगियों की आराम दायक सीट पर कुछ देर बैठ नहीं पाते तो कोई अपने कदमों से एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश को नाप दे रहा है। लॉकडाउन में समस्या केवल खाने की ही नहीं, अपनों तक पहुंच पाने की भी है। ये बात उन बिहारियों से पूछें जो पिछले आठ-आठ दिनों तक पैदल चलकर हरियाणा से पटना आए। ये सफर कई दिनों से जारी है। सोमवार को भी बिहार के कई जिलों में सर पर गठरी लादे बड़ी संख्या में लोग अपने घर की दहलीज तक पहुंचने की उम्मीद से पहुंच रहे हैं। इनकी यात्रा की कहानी रूह कंपा देती है।

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लगातार आ रहे लोग

सोमवार की दोपहर तक सिवान बॉर्डर पर पिछले 30 घंटे में चार हजार से अधिक लोग आ चुके हैं। रविवार को करीब दो हजार लोगों का जिले में आना हुआ था। बॉर्डर पर जमे लोगों का नाम पता नोट कराने के बाद निजी वाहनों से उनके जिले में भेजा जा रहा है। कुछ इसी तरह का हाल गोपालगंज, बिहारशरीफ, आरा, बक्सर और पटना आदि शहरों का है।

उम्मीद लगाए बैठे रहे बस में, पर नहीं डोला पहिया

पटना में तो बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। बिहार के बाहर रह रहे लोगों के लिए पटना पहुंच जाना भी किसी बड़ी मनोकामना से कम नहीं। सोमवार की दोपहर अलग-अलग स्थानों से आए लोगों को भागलपुर छोड़ने की बात कहकर पटना के मीठापुर बस अड्डे पर उतार दिया गया। इनमें बहुत से लोगों को उत्तर प्रदेश के बार्डर से लाया गया था। उम्मीद लगाए कई लोग बसों में ही बैठ रहे कि शायद गाड़ी आग बढ़ेगी, पर पहिया नहीं डोला। अब मन में कई सवाल, अभी और कितनी यात्रा? कोई साधन मिलगा या नहीं? घर पहुंचेगे या नहीं? नहीं पहुंचे तो कहां रहेंगे? बच्चों का क्या होगा? और कितने दिन बाहर?

फैक्ट्री बंद, पांच-पांच सौ रुपये दे कहा लौट जाओ

हरियाणा स्थित फैक्ट्री में काम करने वाले दर्जनभर श्रमिक रविवार को पैदल चलते हुए आठ दिनों बाद पटना पहुंचे। मुजफ्फरपुर के रहने वाले सूरज ने बताया कि लॉकडाउन के कारण फैक्ट्री बंद हो गई। फैक्ट्री मालिक ने पांच-पांच सौ रुपये देकर घर जाने की बात कही। सूरज ने बताया कि इतने पैसे नहीं थे कि वहां रहकर गुजारा किया जा सकता था।

पैदल चलते-चलते पैर में पड़ गए छाले

सूरज ने बताया कि हमारे सभी साथियों ने मिलकर घर लौटने की सोची और हमलोग लॉकडाउन की घोषणा के अगले दिन 22 मार्च को हरियाणा से पैदल चल पड़े। आठ दिनों के सफर में कई जगह परेशानी झेलनी पड़ी। कहीं पुलिस की लाठी खानी पड़ी तो कभी आसमान के नीचे रात गुजारनी पड़ी। पैदल चलते हुए पैर में छाले भी पड़ गए तब भी हमलोगों ने चलना बंद नहीं किया। पटना पहुंचने पर राहत मिली कि अब घर पहुंच जाएंगे। रास्ते में घर से स्वजन फोन कर हालचाल पूछ रहे थे। अखिलेश और राजकुमार, मुकेश ने बताया कि पटना पहुंचने पर सभी को पटना हाईस्कूल में ठहराया गया। यहां खाने के साथ साथ इलाज हुआ। बस दो घंटे सड़क किनारे आराम और फिर पैदल चलना ही एकमात्र काम था।

गोपालगंज, सीवान, छपरा और बक्सर में वही हाल

गोपालगंज, सिवान, छपरा और बक्सर में भी कमोवेश यही स्थिति है। गोपालगंज में रविवार की दोपहर तक दिल्ली, हरियाणा, पंजाब से पहुंचने वाले लोगों की संख्या पांच हजार से भी अधिक रही। लोगों को प्रशासन ने आपदा राहत केंद्रों पर पहुंचाया। जहां लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग की गई। ट्रक, पिकअप व सवारी बसों से लोग देर रात तक पहुंचते रहे। कुछ लोगों ने बगैर थर्मल स्क्रीनिंग घर जाने की इजाजत नहीं देने पर हंगामा प्रारंभ कर दिया। अधिकारी समझाते रहे। सिवान के गुठनी प्रखंड में यूपी-बिहार की सीमा को जोड़ती श्रीकलपुर चेकपोस्ट पर शनिवार की शाम से रविवार की शाम तक दो हजार लोग पहुंचे।

यूपी सरकार की बसें प्रवासी लोगों को लेकर आती रहीं। इन लोगों को बॉर्डर पर क्वारंटाइन सेंटर में जांच के बाद ठहराया। एसडीओ संजीव कुमार के साथ यूपी के मेहरौना में देवरिया के डीएम, एसपी सहित अन्य पदाधिकारियों की बैठक हुई। बैठक के बाद सभी को सिवान जिला प्रशासन द्वारा स्क्रीनिंग कर निजी बसों में बैठाकर उनके गृह जिले भिजवाया गया।


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