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रग्बी स्टार पर लॉकडाउन की मार: नौकरी छूटी पर दीवानगी ऐसी कि गरीब बच्चों को दे रहे मुफ्त प्रशिक्षण

रग्‍बी स्‍टार ने एक समय पूरे बिहार का नाम रोशन किया पर इस वक्‍त उनकी जिंदगी खुद अंधेरे में डूबती जा रही है। गरीबी और का सामना करते हुए वे दो वक्‍त की रोटी काे मोहताज हो गए हैं।

By Bihar News NetworkEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 10:51 PM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 10:51 PM (IST)
रग्बी स्टार पर लॉकडाउन की मार: नौकरी छूटी पर दीवानगी ऐसी कि गरीब बच्चों को दे रहे मुफ्त प्रशिक्षण
रग्बी स्टार पर लॉकडाउन की मार: नौकरी छूटी पर दीवानगी ऐसी कि गरीब बच्चों को दे रहे मुफ्त प्रशिक्षण

अरुण सिंह, पटना। बिहार को गौरवान्वित करने वाले राहुल कुमार के परिवार पर कोरोना काल में चौतरफा मार पड़ी है। रग्बी स्टार होने के बावजूद उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिल रही और टाइल्स ढोने वाले पिता की नौकरी भी लॉकडाउन के कारण छूट गई है। आखिरी उम्मीद धान की फसल थी, जिसे गंडक नदी निगल गई। आज पिता-पुत्र समेत दस लोगों का परिवार भुखमरी की हालत में है, फिर भी रग्बी के प्रति राहुल की दीवानगी कम नहीं हुई है। इस मुसीबत की घड़ी में भी अपने खेल को जारी रखते हुए वे सौ गरीब बच्चों को प्रशिक्षण देने में जुटे हुए हैं। 

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पिताजी के साथ काम करने नहीं जा सके बेंगलुरु 

 छह साल की उम्र से ही रग्बी खेलने वाले राहुल की उपलब्धियों की फेहरिस्त लंबी है। हैदराबाद में स्कूल नेशनल गेम्स में उन्‍होंने बिहार को स्वर्ण पदक दिलाया। पिछले साल जम्मू-कश्मीर में खेलो इंडिया विंटर ओलंपिक रग्बी में रजत पदक जीता। इसके अलावा सीनियर नेशनल और सेंट्रल जोन में प्रदर्शन सराहनीय रहा, लेकिन 2014 के बाद बिहार सरकार की ओर से खेल कोटे से बहाली नहीं निकलने के कारण नौकरी नहीं मिली। थकहार कर राहुल ने बेंगलुरु में पिता के साथ टाइल्स ढोने के काम को अपनाने की सोची, लेकिन लॉकडाउन के कारण वहां जा नहीं सके। अब तो पिता की नौकरी भी छूट गई और उन्हें अपने घर मुजफ्फरपुर के चढवां गांव लौटना पड़ा। पिता-पुत्र ने 10 हजार रुपये कर्ज लेकर धान की खेती शुरू की थी लेकिन गंडक नदी से आई बाढ़ में धान के बिचड़े डूब गए।

 गरीब बच्चों को दे रहे प्रशिक्षण, अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी गुडिय़ा कुमारी उनके कैंप की

 कष्ट झेलने के बाद भी अपना खेल जारी रखते हुए राहुल गांव के खेल मैदान पर सौ गरीब बच्चों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी गुडिय़ा कुमारी उनके कैंप की ही देन है। राहुल ने बताया कि मेरे सारे प्रशिक्षु आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हैंं, ऐसे में गुरु दक्षिणा के रूप में उनसे कुछ ले भी नहीं सकता। नौकरी ही आखिरी उम्मीद है। मुजफ्फरपुर और पटना में रग्बी सेंटर खुल जाए तो सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।

बिहार पुलिस में रग्बी खेल के आधार पर भी निकले बहाली सचिव

रग्बी एसोसिएशन ऑफ बिहार के सचिव, पंकज कुमार ज्योति का कहना है कि 'मैंने रग्बी सेंटर खोलने के लिए कई बार खेल विभाग को पत्र लिखा, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। मुख्यमंत्री से आग्रह है कि बिहार पुलिस में रग्बी खेल के आधार पर भी बहाली निकले, जिससे राहुल जैसे होनहार खिलाडिय़ों का भविष्य संवर सके।


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