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पटनाः किडनी से पत्थर निकालने वाली लिथोट्रिप्सी मशीन खराब, बल्ब बुझते ही बंद हो जाएगी सर्जरी

एनएमसीएच के सर्जरी विभाग में लगभग डेढ़ साल से बंद पड़ी लेप्रोस्कोपी सर्जरी किसी तरह से जोड़ तोड़ कर चालू तो हुई लेकिन इसके बल्ब की अवधि लगभग 500 घंटा समाप्त होने के कारण बल्ब बुझते ही किसी भी समय ऑपरेशन एक बार फिर बंद हो सकता है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sat, 03 Apr 2021 01:22 PM (IST)Updated: Sat, 03 Apr 2021 01:22 PM (IST)
पटनाः किडनी से पत्थर निकालने वाली लिथोट्रिप्सी मशीन खराब, बल्ब बुझते ही बंद हो जाएगी सर्जरी
सर्जरी विभाग के ऑपरेशन थिएटर में लगी लेप्रोस्कोपी मशीन।

जागरण संवाददाता, पटना सिटी : नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सर्जरी विभाग की व्यवस्था इन दिनों चरमराई है। यहां लगभग डेढ़ साल से बंद पड़ी लेप्रोस्कोपी सर्जरी किसी तरह से जोड़ तोड़ कर चालू तो हुई लेकिन इसके बल्ब की अवधि लगभग 500 घंटा समाप्त होने के कारण बल्ब बुझते ही किसी भी समय ऑपरेशन एक बार फिर बंद हो सकता है। हद तो यह है कि किडनी से पत्थर का टुकड़ा तोड़-तोड़ कर पेशाब के रास्ते निकालने वाली लिथोट्रिप्सी मशीन भी सालभर से खराब पड़ी है। विभाग में दूर-दराज से आने वाले गरीब मरीजों का ऑपरेशन बाधित है। 

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मॉनीटर व एक अन्य पार्ट ही कराया उपलब्ध

विभागीय डॉक्टरों ने बताया कि खराब पड़ी लेप्रोस्कोपी मशीन के बदले कंपनी ने मॉनीटर व एक अन्य पार्ट उपलब्ध कराया है। मार्च में इससे दो-तीन ऑपरेशन ही हो सका है। मशीन में लगा बेहद महत्वपूर्ण बल्ब पांच सौ घंटा काम काम चुका है। यह कभी भी बंद हो सकता है। 

दो-चार ऑपरेशन ही हो पा रहा

डॉक्टरों ने बताया कि विभाग में तीन ऑपरेशन थियटर में छह टेबल लगी है। हर दिन विभिन्न यूनिट में दर्जनभर ऑपरेशन हो सकता था। मशीन ठीक नहीं रहने के कारण दो-चार ऑपरेशन ही हो पा रहा है। मरीज निजी अस्पताल की ओर पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। इनका कहना है कि चीरा लगाकर ऑपरेशन कराने से जख्म भरने में समय लगता है। अधिक समय तक अस्पताल में रहना पड़ता है। इससे खर्च भी अधिक आता है। 

लिथोट्रिप्सी मशीन भी ठीक कराने का प्रयास जारी

नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. ओके मौर्या ने बताया कि लेप्रोस्कोपी मशीन लगभग दस साल पुरानी है। दूसरी नयी मशीन बेहद आवश्यक है। इस मशीन को ठीक कराकर ऑपरेशन किया जा रहा है। लिथोट्रिप्सी मशीन भी ठीक कराने का प्रयास जारी है। इन सब के लिए बीएमएसआइसीएल से लेकर विभागीय अधिकारी को कई बार पत्र लिखा गया है। 


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