बिहार में किसानों के भारत बंद का वाम दलों का समर्थन, उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा भी साथ
कृषि कानूनों की वापसी सहित सात सूत्री मांगों पर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर 8 दिसंबर को भारत बंद को वामपंथी दलों और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने समर्थन देने का निर्णय लिया है।
राज्य ब्यूरो, पटना। नये कृषि कानूनों की वापसी सहित सात सूत्री मांगों पर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर 8 दिसंबर को भारत बंद को वामपंथी दलों और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने समर्थन देने का निर्णय लिया है। इससे पहले भाकपा माले ने राज्यव्यापी चक्का जाम कार्यक्रम के तहत जगह-जगह प्रदर्शन किया।
भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल, माकपा के राज्य सचिव अवधेश कुमार, भाकपा के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय, फारवर्ड ब्लॉक के अमेरिका महतो और आरएसपी वीरेंद्र ठाकुर ने संयुक्त रूप से बताया कि केंद्र सरकार को नये कृषि कानून को रद करना होगा। नेताओं ने प्रस्तावित बिजली बिल की वापसी, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी दर पर फसल खरीद की गारंटी करने, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग सरकार से की।
इधर, कृषि कानून के विरोध में किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा गांधी मैदान स्थित पीर अली पार्क से प्रतिरोध मार्च निकाला। कार्यक्रम में माकपा के मनोज चंद्रवंशी, भाकपा के अरुण मिश्रा, फारवर्ड ब्लाक के अमेरिका महतो, किसान सभा के प्रभु राज नारायण राव, रामजीवन सिंह, रास बिहारी सिंह, तारकेश्वर ओझा और राजकुमार शाही सहित अन्य नेता शामिल हुए।
रालोसपा ने किसानों के भारत बंद का किया समर्थन
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने किसानों के बुलाए भारत बंद का समर्थन किया है। पार्टी ने दो दिन पहले ही प्रस्ताव पास कर किसानों के आंदोलन का समर्थन किया था। रालोसपा की दो दिवसीय समीक्षा बैठक में पार्टी अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने किसानों की मांगों का जायज बताया था और केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए किसान विरोधी कृषि कानूनों को तत्काल वापस लेने का प्रस्ताव पेश किया था, जिसे बैठक में पास किया गया था।
रालोसपा के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता फजल इमाम मल्लिक ने कहा कि किसानों ने अपनी मांगों के समर्थन में 8 दिसंबर को भारत बंद का एलान किया है. रालोसपा इस बंद का समर्थन करती है. पार्टी किसानों की मांगों के साथ खड़ी है और जरूरत पड़ी तो केंद्र सरकार के किसान विरोधी रवैये के खिलाफ पार्टी नेता व कार्यकर्ता सड़क पर उतरेंगे। रालोसपा ने कहा कि केंद्र सरकार तीनों कानूनों को रद्द करे ताकि देश के अन्नदाता कारपोरेट घराने के हाथों तबाह होने से बचें। मल्लिक ने बताया कि पार्टी का मानना है कि नया कृषि बिल किसान विरोधी है और इससे खेती-किसानी को खत्म कर इसे कारपोरेट घरानों के सौंपने की साजिश केंद्र सरकार रच रही है।रालोसपा इसका कड़े शब्दों में निंदा करती है। रालोसपा का मानना है कि केंद्र किसानों का दमन करने पर तुली है ताकि कारपोरेट घराने को फायदा पहुंचाया जा सके।