Bihar Assembly Election 2020 Result: इन सीटों पर वामपंथी दलों ने लगातार बढ़ा रखी है बढ़त
वामपंथी दल बिहार की राजनीति में एक बार फिर से वापसी करते दिखाई दे रहे हैं। कम्युनिस्ट पार्टियों का स्ट्राइक रेट सभी पार्टियों से बेहतर दिख रहा है। इन दलों ने ही महागठबंधन को 20 सीटों पर दिलायी है बढ़त
पटना, जेएनएन। मतगणना के रूझानों में वामपंथी दलों की बल्ले-बल्ले है। महागठबंधन में अपने कोटे की 29 सीटों पर वामपथी दलों ने उम्मीदवार खड़े किए थे, उनमें 20 सीटों पर वामपंथी दलों को लगातार बढ़त मिल रही है और यही सीटें महागठबंधन को राजग से कांटे के मुकाबले में बरकरार रखे हुए है। भाकपा माले के प्रवक्ता कुमार परवेज ने दावा किया वामपंथी दलों के सभी उम्मीदवार अपने प्रतिद्वंद्वी से बढ़त बनाए हुए हैं।
माले के लिए लौटता रहा सुनहरा दौर, जीत सकते हैं काफी सीटें
उन्होंने दावा किया कि पालीगंज में संदीप सौरभ, आरा में कयामुद्दीन अंसारी, अंगिआव में मनोज मंजिल, तरारी में सुदामा प्रसाद, डुमरांव में अजित कुमार सिंह, काराकाट में अरुण सिंह, अरवल में महानंद प्रसाद, घोसी में रामबली सिंह यादव, भोरे में जितेंद्र पासवान, जीरादेई में अमरजीत कुशवाहा, दरौली में सत्यदेव राम, दरौंदा में अमरनाथ यादव, दीघा में शशि यादव और फुलवारी में गोपाल रविदास, सिकटा में वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, औराई में आफताब आलम, बलरामपुर में महबूब आलम, कल्याणपुर में रंजीत राम, वारिसनगर में फूलबाबू सिंह मतगणना में आगे चल रहे हैं।
बखरी, तेघड़ा, बछवाड़ा और हरलाखी में भी वामपंथी उम्मीदवार आगे
भाकपा के मीडिया प्रभारी इंदूभूषण वर्मा ने दावा किया कि बखरी में सूर्यकांत पासवान, तेघड़ा में राम रतन सिंह, बछवाड़ा में अवधेश कुमार राय, हरलाखी में रामनरेश पाण्डेय, झंझारपुर में रामनारायण यादव और रूपौली में विकास चंद्र मंडल लगतार बढ़त बनाए हुए हैं। इधर, माकपा के राज्य सचिव अवधेश कुमार ने दावा किया कि विभूतिपुर (समस्तीपुर) में अजय कुमार, मांझी (सारण) में सत्येंद्र यादव, मटिहानी (बेगूसराय) में राजेंद्र प्रसाद सिंह और पिपरा (पूर्वी चम्पारण) में राजमंगल प्रसाद मतगणना में आगे चल रहे हैं।
अभी करीब 20 फीसद वोटों ही हुई है गिनती
खास बात यह है कि अभी केवल 20 से 25 फीसद वोटों की ही गिनती हुई है। यह जानकारी खुद निर्वाचन आयोग ने दी है। इस बार कोरोना के कारण के बूथों की संख्या बढ़ा दी गई थी। इसका नतीजा मतगणना में देर के रूप में सामने आ रहा है। वक्त गुजरने के साथ मतगणना के रुझानों में काफी फेरबदल की गुंजाइश अभी बनी हुई है।