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Bihar Assembly Election: महागठबंधन में तनातनी के बीच सौदेबाजी में वामपंथी भी कूदे, मांग रहे 80 सीटें

Bihar Assembly Election बिहार महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों के झगड़े में वामपंथी दल भी कूद गए हैं। समझौते में उन्हें कम से कम 80 सीटें चाहिए। हालांकि राजद अभी चुप है।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 03:18 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 11:28 AM (IST)
Bihar Assembly Election: महागठबंधन में तनातनी के बीच सौदेबाजी में वामपंथी भी कूदे, मांग रहे 80 सीटें
Bihar Assembly Election: महागठबंधन में तनातनी के बीच सौदेबाजी में वामपंथी भी कूदे, मांग रहे 80 सीटें

पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Assembly Election:  बिहार महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीटों के झगड़े में वामपंथी दल भी कूद गए हैं। समझौते में उन्हें कम से कम 80 सीटें चाहिए। फिलहाल चेहरे के विवाद से दूर रहते हुए सारे वामदल सिर्फ राजग (भाजपा-जदयू-लोजपा गठबंधन) को हराने के मकसद से मैदान में इकट्ठा आने के लिए तैयार हैं। दरअसल, राजद ने विधानसभा चुनाव में हिंदुस्तानी अावाम मोर्चा (हम), राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) की तुलना में वामपंथी राजनीति को तरजीह देने का संकेत क्या दिया कि वामदलों ने संयुक्त रूप से 80 सीटों की दावेदारी कर दी है। भाकपा-माकपा और माले की ओर से बिहार में भाजपा विरोधी एकजुट गठबंधन का प्रस्ताव दिया गया है। हालांकि इस पर महागठबंधन के मुखिया राजद की अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।  

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एकजुटता के लिए कुर्बानी भी मंजूर

भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल के मुताबिक विधानसभा के पिछले चुनाव में हमारी पार्टी अकेले 99 सीटों पर लड़ी थी। तीन उम्मीदवार जीते थे। महागठबंधन में शामिल होने पर कुछ सीटों की कुर्बानी देनी पड़े, तो उसके लिए तैयार हैं, क्योंकि भाजपा विरोधी दलों की एकता आज की जरूरत है। शीर्ष नेतृत्व से लेकर नीचे की कतारों तक में यह एकता बने, ताकि निर्णायक लड़ाई लड़ी जा सके। माकपा के राज्य सचिव अवधेश कुमार भी राजग के खिलाफ विपक्षी दलों की एकजुटता पर जोर दे रहे। वे कहते हैं, जरूरी यह है कि भाजपा विरोधी सभी दल एक साथ विधानसभा चुनाव लड़ें। जीत की गारंटी हो जाएगी। विपक्षी दलों की एकता के लिए राजद-कांग्रेस को गंभीरता से सोचना चाहिए। 

वामपंथियों के लिए घटक दल राजी

महागठबंधन के तीनों दल (हम, रालोसपा और वीआइपी) वाम दलों के साथ चुनाव में जाना चाहते हैं। राजद ने भी वाम दलों को साथ रखने का पहले से ही मन बना रखा है। समाजवादी नेता शरद यादव भी इसके पक्ष में हैं। राजद के साथ भाकपा की पुरानी दोस्ती है। वामपंथी दलों के नेताओं का कहना है कि विधानसभा में सीटों का सवाल अलग है। हम उम्मीद करते हैं कि एकता में यह सवाल बाधक नहीं बनेगा। भाकपा नेता सत्य नारायण सिंह भी मानते हैं कि वामपंथी दलों की एकता भाजपानीत गठबंधन की हार के लिए जरूरी है। यह एकता सिर्फ चुनाव लडऩे तक ही नहीं होनी चाहिए। इसका प्रयोग जन विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन में भी हो। 


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