मेडिकल साइंस : लीडलेस पेसमेकर लगा लोगों को दिया जा रहा जीवनदान
मेडिकल साइंस ने इतनी विकसित कर ली है कि अब लोगों को कुछ हद तक जीवनदान दिया जा सकता है। जहां बिना अ़परेशन लोगों के हार्ट प्राव्लम को दूर किया जा सकता है वहीं, लीडलेस पेसमेकर लगाकर लोगों के जीवन बचाए जा रहे है।
पटना [जेएनएन]। मेडिकल साइंस ने काफी तरक्की कर ली है। जहां एक तरफ अब हार्ट से पीड़ित मरीजों को अब बिना ऑपरेशन के ही उनके खराब वॉल्व को बदल दिया जाएगा। वहीं, अब लीडलेस पेसमेकर लगाकर लोगों को जीवनदान दिया जा रहा है। यह अपने आप में एक मिसाल है।
राजधानी पटना में मेडिका हार्ट इंस्टीच्यूट के डॉक्टरों ने 76 वर्षीय बुजुर्ग मरीज को लीडलेस पेसमेकर लगाकर जीवनदान दिया है। सस्थान के वाइस चेयरमैन डॉ. प्रभात कुमार का कहना है कि पूर्वी भारत में पहली बार इस तरह का पेसमेकर लगाया गया है। मौके पर सस्थान के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अशोक कुमार ने कहा कि इस तरह के पेसमेकर बुजुर्ग मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि बुजुर्ग मरीजों को लीडलेस पेसमेकर लगाकर मरीज की जान बचाई सकती है। मेडिका में जिस मरीज को पेसमेकर लगाया गया है, वह पूरी तरह से स्वस्थ है।
गौर हो कि कुछ दिन पहले राजधानी पटना आए प्रसिद्ध हार्ट रोग विशेषज्ञ पद्मभूषण डॉ. अशोक सेठ ने कहा था कि अब हार्ट के मरीजों को बिना ऑपरेशन के ही उनके खराब वॉल्व को बदल दिया जाएगा। हार्ट के वॉल्व का बदलाव ट्रांसकैथेटर ऑटिक वाल्व इंप्लांटेशन (टावी) तकनीक से होगा। इस तकनीक से देश के कुछ अस्पतालों में वॉल्व बदला जा रहा है लेकिन धीरे-धीरे इसका विस्तार होता जाएगा।
क्या है तकनीक
इस तकनीक से वॉल्व बदलाव करने पर मरीज तीन दिनों के अंदर घर चला जाता है। यह प्रक्रिया एंजियोग्राफी की तरह की जाती है। मरीज की जांघ के पास छोटी छेद किया जाता है, उसी के माध्यम से एक कृत्रिम वॉल्व शरीर में प्रवेश कराया जाता है और खराब वॉल्व हटाकर फिट कर दिया जाता है। इसमें जरा भी रक्तस्राव नहीं होता है। कृत्रिम वॉल्व 15 साल तक काम करता है।
पटना में जल्द बदले जाएंगे नई तकनीक से वॉल्व
डॉ. सेठ ने कहा कि अगले तीन माह में राजधानी में नई तकनीक से वॉल्व बदले जाएंगे। इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है। नई तकनीक का नाम ट्रांस कैथेटर ऑटिक वॉल्व इंप्लांटेशन (टावी) रखा गया है। यह तकनीक वॉल्व बदलने में बेहद कारगर है।
नींद पूरी नहीं होने से हार्ट अटैक
हार्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. रजनीश कपूर का कहना है कि नींद पूरी नहीं करने के कारण अधिकांश लोग हार्ट अटैक के शिकार हो रहे हैं। शोध में पाया गया कि युवा पीढ़ी भी हार्ट अटैक के शिकार हो रही है। इसका मुख्य कारण पूरी नींद न लेना है। व्यक्ति को कम से कम सात से आठ घंटा नींद लेनी चाहिए। युवा पांच घंटे से भी कम नींद ले पा रहे हैं।
नई गाइड लाइन से सुरक्षित रहेगा हार्ट
सम्मेलन में दिल्ली से भाग लेने आए डॉ. प्रमोद कुमार ने कहा कि बीपी के मरीजों के लिए नई गाइड लाइन जारी की गई है, जो कारगर साबित हो रही है। पहले 140/90 को बीपी का सही मानक माना जाता था लेकिन नई गाइड लाइन में इसे घटा दिया गया है। अब 130/80 को सही मानक माना जा रहा है। इतना बीपी रहने पर मरीज सुरक्षित रहता है। उसे हार्ट अटैक की आशंका कम रहती है।