साल का आखिरी मोक्षदा एकादशी व्रत कल, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा से लाभ ही लाभ
क्रिसमस के साथ मोक्षदा एकादशी व्रत का संयोग बन रहा है। वर्ष के अंतिम मोक्षदा एकादशी व्रत हिंदू धर्म में श्रेष्ठ व्रतों में एक माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनसुार मार्गशीष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
जासं, पटना: कल यानी शुक्रवार को क्रिसमस के साथ मोक्षदा एकादशी व्रत का संयोग बन रहा है। वर्ष के अंतिम मोक्षदा एकादशी व्रत हिंदू धर्म में श्रेष्ठ व्रतों में एक माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनसुार मार्गशीष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पंडित श्रीनिवास पाठक ने बताया कि एकादशी व्रत और पूजा के बारे में महाभारत कथा में भी जिक्र किया गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर और अर्जुन को एकादशी व्रत की महत्ता के बारे में अवगत कराया था।
इस दिन पूरे विधि विधान के साथ भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन व्रत रखने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। एकादशी तिथि का आरंभ 24 दिसंबर की रात 11 बजकर 17 मिनट से आरंभ होकर 25 दिसंबर की रात 1बजकर 54 मिनट तक है। उदया तिथि मान्य के अनुसार 25 दिसंबर को ही व्रत मनाया जाएगा। पंडित विनोद झा ने बताया कि इस दिन शिव योग का भी संयोग बना है। पौराणिक कथा के अनुसार मोक्षदा एकादशी के दिन ही श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था ऐसे में इस दिन को गीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है। व्रत को करने से पितरों को प्रसन्नता होती है। व्रत के दिन गरीब व असाहय लोगों को ऊनी कपड़ों के साथ खाद्य-पदार्थ का दान करने से उनका आशीष प्राप्त होता है। जो लोग व्रत या उपवास करने में समर्थ नहीं हैं ऐसे में वे भगवान श्रीकृष्ण का भजन कीर्तन कर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं। शहर के कृष्ण मंदिरों में भी शुक्रवार को भगवान कृष्ण का विशेष श्रृंगार करने के साथ पूरे विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाएगी। ऐसी मान्यता है कि व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।