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पुराने दाग-धब्बों को धोने के लिए RJD ने चेहरे के साथ-साथ चरित्र भी बदला, जानिए

लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद ने रामचंद्र पूर्वे की जगह जगदानंद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर नया संकेत दिया है। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इस बदलाव के बड़े हैं। जानिए क्या...

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 09:17 AM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 11:35 PM (IST)
पुराने दाग-धब्बों को धोने के लिए RJD ने चेहरे के साथ-साथ चरित्र भी बदला, जानिए
पुराने दाग-धब्बों को धोने के लिए RJD ने चेहरे के साथ-साथ चरित्र भी बदला, जानिए

पटना [अरविंद शर्मा]।  लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद राजद ने प्रदेश अध्यक्ष के चेहरे के साथ-साथ पार्टी का चरित्र भी बदलने की ओर कदम बढ़ा दिया है। राजपूत जाति के पूर्व सांसद जगदानंद सिंह को बिहार प्रदेश की कमान देकर लालू प्रसाद ने विधानसभा चुनाव के पहले पार्टी की रणनीति में व्यापक बदलाव का संकेत दिया है।

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पहली बार किसी सवर्ण को प्रदेश राजद का अध्यक्ष बनाया गया है। 1997 में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के गठन से अबतक पांच प्रदेश अध्यक्ष हो चुके हैं, जिनमें सबके-सब गैर सवर्ण थे। जगदानंद पहले सवर्ण हैं, जिन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। 

विधानसभा चुनाव से पहले राजद के इस कदम को पुराने दाग-धब्बे धोने और सवर्णों को साधने का प्रयास माना जा रहा है, क्योंकि राजद के गठन से अब तक करीब 22 वर्षों के दौरान पार्टी को सवर्ण विरोधी के रूप में प्रचारित किया जाता रहा है। 2005 में सत्ता से बेदखल होने के बाद इसके संघर्ष को माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण तक सीमित कर दिया गया।

राजद के नए फैसले से राजद को एक बड़ा फलक मिल सकता है, क्योंकि लालू ने जगदानंद के सहारे राजपूत जाति को अपने आधार वोट बैंक में वापस लाने की चाल चली है, जिसका बिहार की राजनीति में खासा असर है। इस समुदाय को पहले बिहार में राजद का कोर वोटर माना जाता था, किंतु अभी इस पर भाजपा-जदयू गठबंधन का प्रभाव है।

जगदानंद को राजद में सवर्ण चेहरा तो माना ही जाएगा, साथ ही इनसे ईमानदार और कर्मठ नेता की पहचान भी जुड़ी है। उनकी गिनती उन चंद नेताओं में होती है, जिन्हें लंबे अरसे तक मंत्री एवं महत्वपूर्ण ओहदों पर रहने के बावजूद बेदाग माना जाता है। 

लालू के लिए बेटे का भी नहीं किया प्रचार 

जगदानंद को लालू परिवार के प्रति बेहद वफादार माना जाता है। उन्होंने समाजवादी सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। न ही व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए सियासत में अपना सम्मान गिरने दिया।

विपरीत हालात में भी अपने कुनबे में रमे-जमे रहे। यहां तक कि 2010 के विधानसभा चुनाव में उनके पुत्र सुधाकर सिंह को जब भाजपा ने अपना प्रत्याशी बना दिया तो भी जगदानंद ने राजद प्रत्याशी के पक्ष में ही प्रचार किया। बेटे को हराकर राजनीति में नजीर प्रस्तुत की। 

राजद के अब तक के प्रदेश अध्यक्ष 

जगदानंद के पहले राजद में अबतक पांच प्रदेश अध्यक्ष बनाए जा चुके हैं। लालू ने सबसे पहले वर्ष 1997 में कमल पासवान को मौका दिया था। उसके बाद उदय नारायण चौधरी प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। फिर पीतांबर पासवान एवं अब्दुल बारी सिद्दीकी ने बिहार में राजद की कमान संभाली। रामचंद्र पूर्वे पिछले चार बार से लगातार प्रदेश अध्यक्ष बनते आ रहे थे।


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