मुलायम को मनाने के लिए बड़े नेता का अभाव खल रहा लालू को
मुलायम सिंह यादव द्वारा जदयू एवं नीतीश कुमार पर जुबानी हमला किए जाने और उनकी धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उठाने पर भी लालू प्रसाद मौन साध गए हैं। उनका मानना है कि यदि आज ऐसे बड़े नेता होते तो समान विचारधारा वाली पार्टियों के बीच समन्वय बनाने में सहजता होती।
पटना [वीरेंद्र कुमार]। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव से दिल्ली में मुलाकात करके लौटे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने चुप्पी साध ली है। मुलायम सिंह यादव द्वारा जदयू एवं नीतीश कुमार पर जुबानी हमला किए जाने और उनकी धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उठाने पर भी लालू प्रसाद मौन साध गए हैं।
मगर चुनाव के ऐन मौके पर धर्मनिरपेक्ष दलों में बिखराव होने से लालू प्रसाद को लोकनायक जयप्रकाश नारायण और कर्पूरी ठाकुर जैसे सर्वमान्य दिग्गज नेताओं की कमी खल रही है। उनका मानना है कि यदि आज ऐसे बड़े नेता होते तो समान विचारधारा वाली पार्टियों के बीच समन्वय बनाने में सहजता होती।
अपने पार्टी के दिग्गजों के बीच लालू प्रसाद के मुंह से अनायास निकल जाता है कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण, कर्पूरी ठाकुर सरीखे बड़े नेता का अभाव खटक रहा है, जो भाजपा के खिलाफ दलों के बीच समन्वय कायम कर सकें। उनके सरीखे बड़े नेता रहते तो मुलायम सिंह यादव को साथ ले आते।
लालू किसी खास नतीजे पर नहीं पहुंच रहे हैं कि आखिर मुलायम सिंह यादव किस बात को लेकर नाराज हो गए। यह भी कहते हैं कि सपा को कम टिकट मिलना कोई मामला नहीं है। मुलायम सिंह यादव ने इशारे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को साढ़े बारह साल तक भाजपा के साथ रहकर धर्मनिरपेक्ष कहलाने संबंधित जो तीखा वार किया है, उसको महज एक बहाना माना जा रहा है। सच्चाई अब भी समझ से परे है।
नाराजगी का कारण चाहे जो है, किन्तु इतना तय है कि चुनाव प्रचार के दौरान सपा को लेकर लालू को अपनी जुबान पर लगाम लगानी पड़ेगी। जुबान फिसलने का अंजाम बहुत खराब हो सकता है। लालू अब मुलायम के समधी भी हैं। इसका ख्याल सदैव करना होगा।
राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि बिहार में मुलायम सिंह यादव व उत्तर प्रदेश में लालू प्रसाद का मतदाताओं पर कोई प्रभाव नहीं है। पूर्व में लालू ने मुलायम के खिलाफ यूपी में प्रत्याशी खड़ा कर व मुलायम ने बिहार में लालू के खिलाफ धुआंधार प्रचार कर अपनी हैसियत का अंदाजा लगा लिया है। लालू को कहना पड़ा था कि मतदाता उनसे अधिक बुद्धिमान हैं। वर्तमान राजनीतिक परिवेश में सपा को सभी सीटों पर प्रत्याशी खड़ा करने का राजद के जनाधार में सेंधमारी की उम्मीद बहुत कम है। समस्या है कि लालू आखिर किस प्रकार कहेंगे कि सपा के प्रत्याशियों को भाजपा ताकत दे रही है।