लालू अपने तरीके से बिहार में सजा रहे तेजस्वी के लिए फील्ड, चुनाव में विपक्ष को मात देने की बन रही रणनीति
राजद सुप्रीमो लालू के राजनीतिक उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव के लिए यह चुनाव करो या मरो वाला साबित हो सकता है। इसलिए प्रत्येक कदम फूंक-फूंककर उठाया जा रहा है।
पटना, अरविंद शर्मा। राजनीति की चाल सीधी नहीं होती है। निगाहें कहीं तो निशाना कहीं और होता है। विधानसभा कोटे की खाली हुई विधान परिषद की नौ सीटों के लिए सभी दलों में प्रत्याशियों के चयन का काम अंतिम चरण में है। सभी दलों में प्रत्याशियों के जरिए सामाजिक संतुलन बनाने का प्रयास है। भाजपा, जदयू, राजद और कांग्रेस के बीच ही सीटों का बंटवारा होना है। राजद में यह काम राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव अपने तरीके से कर रहे हैं।
तेजस्वी के लिए 'करो-मरो वाली स्थिति
लालू के राजनीतिक उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव के लिए यह चुनाव करो या मरो वाला साबित हो सकता है। इसलिए प्रत्येक कदम फूंक-फूंककर उठाया जा रहा है। विधान परिषद की खाली नौ सीटों में से तीन राजद के हिस्से में आनी हैं। प्रत्याशियों का चयन इस तरह किया जा रहा है कि कोई लालू यादव के समाजवादी व्यवहार पर अंगुली नहीं उठा सके। लोकसभा चुनाव हारने के बाद से ही थोक वोटरों वाले जातीय समूहों को संतुष्ट करने की कोशिश है। राज्यसभा चुनाव में दो सीटें हिस्से में आई थीं, जिसमें एक पर पुराने विश्वसनीय प्रेमचंद गुप्ता को भेजा। दूसरी सीट पर अप्रत्याशित रूप से अमरेंद्रधारी सिंह को सांसद बनाकर लालू ने दशकों से खफा भूमिहार समाज को संतुलित करने का प्रयास किया है।
जारी रखना चाहते हैं राज्यसभा संस्करण
राज्यसभा के संस्करण को ही लालू विधान परिषद में भी जारी रखना चाहते हैं। तीन सीटों में एक अल्पसंख्यक समुदाय के फारूख शेख के लिए लगभग तय है। बाकी दो सीटों में एक राजपूत और दूसरी सीट के लिए अति पिछड़े प्रत्याशी की तलाश है, ताकि विधानसभा चुनाव के लिए वोट बैंक में इजाफा किया जा सके।
कई नामों पर चल रहा विचार
सवर्ण कोटे में राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, उनके पुत्र पुनित सिंह और बिस्कोमान के अध्यक्ष सुनील सिंह के नाम पर विचार किया जा रहा है। अति पिछड़े में आखिरी तौर पर चंद्रवंशी, नोनिया और चौपाल जाति से एक-एक दावेदार हैं। फैसला लालू को लेना है। राजद संसदीय बोर्ड ने प्रत्याशी चयन के लिए लालू को अधिकृत करके अपनी औपचारिकता पूरी कर दी है। लालू परिवार के करीबी भोला यादव पार्टी प्रमुख की सहमति लेने के लिए रांची पहुंच चुके हैं। माना जा रहा है कि सहमति मिलने के बाद 22 जून को राजद के सभी प्रत्याशी नामांकन कर सकते हैं।