बिहार के इस कुश्ती प्रशिक्षण केंद्र में सुविधाओं का अभाव, फिर भी पहलवानों ने झटके कई मेडल
भभुआ के एक प्रशिक्षण केंद्र में अभ्यासकर खिलाड़ियों ने नेशनल व स्टेट में मेडल तो बहुत जीते लेकिन यहां पहलवानों को सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है।
कैमूर, जेएनएन। कला, संस्कृति एवं युवा विभाग बिहार सरकार द्वारा संचालित एकलव्य राज्य आवासीय कुश्ती प्रशिक्षण केंद्र बिछियां को नेशनल व स्टेट में मेडल तो बहुत मिले, लेकिन यहां पहलवानों को सुविधा के नाम पर कुछ नहीं। सूबे का यह एकमात्र आवासीय कुश्ती प्रशिक्षण केंद्र है, जहां राज्य के विभिन्न जिलों के 24 पहलवान प्रशिक्षण लेते हैं। उपलब्ध संसाधनों में व्यायामशाला के पहलवान मेहनत के बदौलत इलाके का नाम रोशन कर रहे हैं। प्रशासन की अनदेखी से कई तरह की समस्या झेल रहे हैं।
फटी मैट में प्रैक्टिस करने की मजबूरी
व्यायामशाला में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे पहलवानों को फटी मैट पर प्रेक्टिस करना पड़ता है। अभ्यास स्थल का टिन शेड काफी नीचे होने के कारण गर्मी व जाड़े के मौसम में परेशानी होती है। पेयजल के लिए सबमर्सिबल व एक हैंडपंप है लेकिन बिजली चले जाने के बाद पहलवानों को पीने के पानी के लिए भी परेशान होना पड़ता है। जेनरेटर नहीं होने से लाइट चले जाने के बाद मोमबत्तियां जलाकर रहना पड़ता है। व्यायामशाला व छात्रावास में पंखे लगे हैं लेकिन भीषण गर्मी में प्रैक्टिस करने में परेशानी होती है।
पहलवानों का नहीं होता है हेल्थ चेकअप
डीएम के निर्देश के बाद भी व्यायामशाला में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे पहलवानों का स्वास्थ्य विभाग द्वारा चेकअप नहीं किया जाता है। जबकि डीएम द्वारा निर्देश दिया गया है कि समय समय पर पहलवानों का हेल्थ चेकअप होना चाहिए। अभ्यास के दौरान पहलवानों को हल्की चोट लगने पर भी अस्पताल जाना पड़ता है। मेडिकल कीट का भी प्रबंध नहीं है ।
खुले में शौच करने जाते हैं पहलवान:
व्यायामशाला में एक पुराना शौचालय है, वह भी काफी जर्जर है। जिससे पहलवानों को खुले में शौच करने की विवशता है। जबकि सरकार लोगों को इसके प्रति प्रोत्साहित करती है की खुले में शौच करने से कई बीमारिया फैलती हैं। इसके बाद भी खुले में शौच करना इन पहलवानों की विवशता है ।
पहलवानी के साथ शिक्षा व खाने-पीने का भी प्रबंध
व्यायामशाला बिछियां में कक्षा 6 से 10 तक के प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले पहलवानों को पहलवानी के प्रशिक्षण के साथ साथ पढ़ाई-लिखाई व भोजन आदि का प्रबंध किया जाता है। व्यायामशाला के पहलवान प्रशिक्षण के बाद ढाई किलोमीटर दूर शत्रुहरण प्लस टू हाई स्कूल में पढ़ने के लिए जाते हैं। व्यायामशाला का प्रबंधन शत्रुहरण प्लस टू हाई स्कूल की देखरेख में होता है।
सूबे के कई जिलों के पहलवान लेते हैं प्रशिक्षण
व्यायामशाला में सूबे के कई जिलों के पहलवान प्रशिक्षण प्राप्त कर निकलते हैं। प्रदेश के कैमूर, रोहतास, शिवहर, प. चंपारण, बेगूसराय, शेखपुरा, गोपालगंज, भोजपुर आदि जिलों के छात्र पहलवानी के गुर सीखने कैमूर आते हैं ।
पहलवानों को नहीं हैं जरूरी उपकरण
व्यायामशाला में पहलवानों को जरूरी उपकरण नहीं है। जो है उसकी हालत भी खस्ताहाल है। पहलवानों ने बताया कि डमी, मेडिसिन बॉल, वैलेंसिंग बॉल, डिप्स वार, रस्सा बीम, चीन अप वाल आदि उपकरण उपलब्ध नहीं है। जिससे पहलवानों का नियमित अभ्यास प्रभावित होता है ।
अब तक व्यायामशाला को मिले मेडल
बिछियां व्यायामशाला के पहलवानों को नेशनल व स्टेट कुश्ती में कई मेडल जीतने का मौका मिला है। 2015 में पाइका नेशनल गेम्स जो तेलंगाना में आयोजित हुआ, उसमें छह पहलवानों भाग लिया। जिसमें नीरज कुमार को 45 किलोग्राम भार में ब्रॉन्ज मेडल मिला। 2016 में मध्य प्रदेश के खंडवा में आयोजित अंडर-14 स्कूल गेम्स में आठ पहलवानों ने भाग लिया। जिसमें 45 किलोग्राम भार में नीरज कुमार ने सिल्वर मेडल जीता। 2017 में महाराष्ट्र के पुणे में आयोजित अंडर-17 नेशनल स्कूल गेम्स में सात पहलवानों ने भाग लिया। जिसमें विजय प्रकाश को ब्रॉन्ज मेडल मिला। 2018 में दिल्ली में आयोजित अंडर-14 स्कूल गेम्स में सात पहलवानों ने भाग लिया, जिसमें हीरा कुमार को ब्रॉन्ज मेडल मिला। 2018 में ही अंडर -15 नेशनल कुश्ती यूपी के मेरठ में हुई। जिसमें सात पहलवानों में 48 किलोग्राम भार में नीरज कुमार को सिल्वर मेडल मिला। साथ ही उसका चयन राष्ट्रीय कुश्ती के लिए किया गया। खेलो इंडिया 2018 में सुमन कुमार व मोती कुमार ने भाग लिया । 2014 से 2018 तक प्रदेश के सभी कुश्ती प्रतियोगिता में दबदबा कायम रहा।
स्टेट में गोल्ड मेडल आलोक कुमार को तीन बार, भुवर चेरो को तीन बार,अमरजीत को तीन बार, सुमन कुमार को पांच बार, हीरा कुमार को एक बार, मुलायम कुमार को तीन बार, नीरज कुमार को पांच बार, सत्यप्रकाश को पांच बार, मोती कुमार को तीन बार, मनराज कुमार को तीन बार, दीपक कुमार को चार बार, संदीप कुमार को तीन बार, रूपेश कुमार को दो बार, शुभम कुमार तीन बार, विशाल यादव दो बार मिला । सिल्वर मेडल अजीत कुमार को दो बार, हीरा कुमार को एक बार, निखिल कुमार को एक बार, मोती कुमार को दो बार, दीपक कुमार को एक बार मिला। ब्रोंज मेडल सुनील कुमार को दो बार, अमरजीत को दो बार, निखिल को एक बार,जितेंद्र को एक बार, सतीश कुमार दो बार, इंदल को दो बार मेडल जीतने का मौका मिला ।