पहली भोजपुरी फिल्म में कुमकुम ने किया था अभिनय, रिलीज से पहले डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने देखी थी फिल्म
कुमकुम का हिंदी फिल्मों के साथ भोजपुरी फिल्मों से भी लगाव रहा। पहली भोजपुरी फिल्म गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ाईबो में 1963 में उन्होंने काम किया था।
प्रभात रंजन, पटना। मदर इंडिया, सन ऑफ इंडिया, कोहिनूर, उजाला, नया दौर, एक सपेरा एक लुटेरा आदि हिंदी फिल्मों में काम करने वाली फिल्म अभिनेत्री जैबुनिस्सा उर्फ कुमकुम का 86 वर्ष में निधन बॉलीवुड फिल्म जगत के लिए बड़ी क्षति है। 22 अप्रैल 1934 को बिहार के मुंगेर (अब शेखपुरा) में जन्मी कुमकुम का असली नाम जैबुनिस्सा था। उनके पिता हुसैनाबाद के नवाब थे।
पहचान दिलाने में गुरुदत्त की रही अहम भूमिका
कुमकुम का हिंदी फिल्मों के साथ भोजपुरी फिल्मों से भी लगाव रहा। फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम की मानें तो पहली भोजपुरी फिल्म 'गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ाईबो' में 1963 में कुमकुम ने काम किया था। कुमकुम को फिल्म जगत में पहचान दिलाने में गुरुदत्त की अहम भूमिका रही। कुमकुम ने अपने कॅरियर में सौ से भी अधिक फिल्मों में काम कर अपनी अलग पहचान बनाई। विनोद अनुपम की मानें तो पहली भोजपुरी फिल्म गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ईबो ने भोजपुरी फिल्म जगत को नई पहचान दी थी। फिल्म की शूटिंग बिहार में भी हुई थी। फिल्म का मुहूर्त विधानसभा स्थित सप्तमूॢत के पास किया गया था। फिल्म बनने के बाद रिलीज होने के पहले देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को बिहार के सदाकत आश्रम में दिखायी गई थी। उन्हीं के प्रेरणा से फिल्म का निर्माण किया गया था।
और मुस्कुराकर रह गई थीं कुमकुम
इसके बाद पहली बार पटना के वीणा सिनेमा हॉल में फिल्म दर्शकों के लिए रिलीज की गयी थी। भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के अमिताभ कहे जाने वाले कुणाल सिंह कहते हैं कि कुमकुम मृदु स्वभाव की थीं। उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती थी। कुणाल कहते हैं कि उन्होंने कुमकुम से दोबारा भोजपुरी फिल्म में काम करने का अनुरोध किया था। तब वह मुस्कुराकर रह गयी थीं।
माथे की बिंदिया थीं कुमकुम
सारंगी वादक वृद्ध उस्ताद रोशन अली, इप्टा पटना सिटी के संस्थापक समी अहमद, गायक अनिल रश्मि, संगीतकार पप्पू गुप्ता, गिटार वादक सुबोध कुमार नंदन, तबला वादक डॉ. राजकुमार नाहर, शास्त्रीय संगीतज्ञ संगीत कुमार नाहर, रंगकर्मी डॉ. ध्रुव कुमार समेत ने कुमकुम को फिल्म इंडस्ट्री में माथे की बिंदिया बताया।