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लेक्चरर से केंद्रीय मंत्री तक का सफर: जानिए उपेंद्र कुशवाहा की राजनीतिक महत्वाकांक्षा

एक लेक्‍चरर से केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय करने वाले उपेंद्र कुशवाहा 2020 में बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में खुद को सीएम पद का प्रत्‍याशी मानते हैं।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Sun, 17 Jun 2018 02:59 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 11:51 PM (IST)
लेक्चरर से केंद्रीय मंत्री तक का सफर: जानिए उपेंद्र कुशवाहा की राजनीतिक महत्वाकांक्षा
लेक्चरर से केंद्रीय मंत्री तक का सफर: जानिए उपेंद्र कुशवाहा की राजनीतिक महत्वाकांक्षा

पटना [रमण शुक्‍ला]। राजग के भाईचारा भोज और इफ्तार की राजनीति को लेकर हाल में बेहद चर्चित हुए केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की राजनीति में अपनी अलग हनक है। बिहार की सियासत में लव-कुश समीकरण को परवान चढ़ाने वाले और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के संस्थापक कुशवाहा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। 1985 से राजनीति में सक्रिय कुशवाहा राष्ट्रीय स्तर पर 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को सबसे बड़ा चेहरा तो 2020 में खुद को विधानसभा चुनाव में सीएम प्रत्याशी मानते हैं।

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कुशवाहा का राजनीतिक सफर

उपेंद्र कुशवाहा का जन्म 6 फरवरी 1960 को वैशाली जिले के एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ। मुजफ्फरपुर के बीआर अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में एमए किया। कुशवाहा ने जिले के समता कॉलेज में राजनीति विज्ञान के लेक्चरर के तौर पर भी काम किया।

1985 में राजनीति की दुनिया में कदम रखा। 1985 से 1988 तक वे युवा लोकदल के राज्य महासचिव रहे और 1988 से 1993 तक राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी निभाई। 1994 में समता पार्टी का महासचिव बनने के साथ ही उन्हें राज्य की राजनीति में महत्व मिलने लगा। इस पद पर वे 2002 तक रहे। सन 2000 से 2005 तक कुशवाहा बिहार विधान सभा के सदस्य रहे और विधान सभा के उप नेता और फिर नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किए गए। सामाजिक कार्यकर्ता से राजनेता बने उपेंद्र कुशवाहा शिक्षक, शिक्षाविद् और किसान भी हैं।

उपेंद्र कुशवाहा जदयू से जुलाई 2010 में राज्यसभा सदस्य चुने गए लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से खींचतान की वजह से कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और राज्यसभा सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया।

3 मार्च 2013 को उपेंद्र कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की स्थापना की। अपनी पार्टी के नाम और झंडे का अनावरण बड़े प्रभावशाली ढंग से गांधी मैदान में एक ऐतिहासिक रैली से किया।

फरवरी 2014 को रालोसपा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल हो गई। 2014 के आम चुनाव में रालोसपा ने बिहार से तीन सीटों सीतामढ़ी, काराकट और जहानाबाद पर चुनाव लड़ा। मोदी लहर पर सवार रालोसपा ने तीनों सीटों पर जीत हासिल की।

सवाल : बिहार में आप अभी सर्वाधिक चर्चित हैं। आपकी नई राजनीतिक धारा क्या है?

जवाब : हमारी कोई नई राजनीतिक धारा नहीं है, जो मौजूदा धारा है वही भविष्य की है। 1985 में जिस धारा के साथ समाज सेवा में आया था उसी धारा पर आज भी कायम हूं।

सवाल : राजद वाले भी आपका इंतजार कर रहे हैं। सच्चाई क्या है?

जवाब : कोई इंतजार करता है तो करता रहे। राजद दावा करता है तो करता रहे, रालोसपा राजद के साथ नहीं जाने वाली है। सबकी अपनी-अपनी राजनीति होती है।

सवाल : राजग के भाईचारा भोज और इफ्तार में जाने और नहीं जाने को लेकर कई तरह बातें हो रही हैं?

जवाब : देखिए सबकी अपनी-अपनी व्यस्तता रहती है। किसी के जाने और न जाने का मामला व्यक्तिगत हो सकता है। मेरे राजग के भोज में नहीं जाने का कोई राजनीतिक कारण नहीं था।

सवाल : भाजपा, जदयू के इफ्तार दावत में आप नहीं गए और आपकी दावत में भी जदयू के शीर्ष नेता नहीं आए। जदयू नेताओं के नहीं आने और आपके नहीं जाने को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही है।

जवाब : इफ्तार पार्टी को राजनीतिक नजरिए से देखने की जरूरत नहीं है। अब तो इफ्तार सभी पार्टियां कर रही है, परंपरा सी हो गई है। मैं अपने बारे में दो टूक कह रहा हूं कि इफ्तार में नहीं जाने और नहीं बुलाने का कोई राजनीतिक कारण नहीं था। किसी जाने नहीं जाने का मामला व्यक्तिगत हो सकता है।

सवाल : चुनाव में चेहरे पर राजग में अभी से खींचतान शुरू है। आपके मुताबिक लोकसभा चुनाव में बिहार और देश में किसका चेहरा रहेगा।

जवाब : लोकसभा चुनाव देश के लिए होगा और राजग का सर्वमान्य चेहरा बिहार ही नहीं देश के लिए एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहेंगे। इसमें कहीं किसी को कोई कंफ्यूजन नहीं होना चाहिए।

सवाल : लोकसभा चुनाव के लिए राजग में अभी से सीटों को लेकर कशमकश की स्थिति उत्पन्न हो गई है। जदयू 25 सीट का दावा कर रहा है। आपको क्या लगता है?

जवाब : लोकसभा चुनाव में अभी काफी वक्त है। किसको कितनी सीटें चाहिए, कौन कितनी सीट पर लड़ेगा यह समय आने पर तय हो जाएगा।

सवाल : केंद्र सरकार के चार वर्ष पूरे हो गए। बिहार की असली समस्या क्या है?

जवाब : बिल्कुल, केंद्र सरकार के चार वर्ष पूरे हो गए। इस दौरान बिहार के विकास के लिए कई काम हुए हैं। वर्षों से लंबित मांगे पूरी हुई है।

सवाल : आपकी पार्टी के नेता मांग कर रहे हैं कि आपको अभी से 2020 के लिए राजग का मुख्यमंत्री उम्मीदवार प्रोजेक्ट किया जाना चाहिए?

जवाब : हर पार्टी का कार्यकर्ता चाहता है कि उसका नेता पीएम और सीएम बने, लेकिन सीएम जनता तय करती है। 2020 के लिए पार्टी की दावेदारी तो बनती है।

सवाल : आपकी पार्टी का दावा है कि बिहार में यादवों के बाद में कुशवाहा की सर्वाधिक आबादी है। क्या सच्चाई है?

जवाब : जनगणना के कोई तथ्य परक आंकड़ा तो नहीं है, लेकिन हमारी जानकारी में कुशवाहा की आबादी करीब आठ-नौ फीसद है।

सवाल : राजग और केंद्र सरकार में मंत्री रहते हुए भी आप सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करते रहते हैं?

जवाब : यही लोकतंत्र है।


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