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Bihar Assembly Election 2020: चुनाव जीतकर भी नहीं बन सके थे विधायक, जानिए कब और कैसे बना ये इतिहास

भारतीय संविधान के अनुसार राज्‍यों की विधानसभाएं अस्‍थायी सदन होती हैं। इनका चुनाव पांच साल के लिए किया जाता है। अगर किसी कारण से विधानसभा का कार्यकाल पूरा नहीं हो पाया तो मध्‍यावधि चुनाव कराये जाते हैं। यहां जानें क्‍या है आम चुनाव मध्‍यावधि और उप चुनाव

By Shubh NpathakEdited By: Published: Mon, 09 Nov 2020 01:44 PM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 02:15 PM (IST)
Bihar Assembly Election 2020: चुनाव जीतकर भी नहीं बन सके थे विधायक, जानिए कब और कैसे बना ये इतिहास
भारत निर्वाचन आयोग की देखरेख में 17वीं बिहार विधानसभा के लिए हो रहा चुनाव। जागरण

पटना [शुभ नारायण पाठक]। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 की प्रक्रिया अब खत्‍म हो चुकी है। मंगलवार को मतगणना और विजयी प्रत्‍याशियों को निर्वाचित होने का प्रमाणपत्र देने के साथ भारत निर्वाचन आयोग का काम खत्‍म हो गया। देर रात तक चली मतगणना के कारण कुछ उम्‍मीदवारों को आज भी प्रमाणपत्र दिए गए। इसके साथ ही चुनाव की प्रक्रिया खत्‍म हो गई। बाद का काम राज्‍यपाल की निगरानी में होगा। सबसे बड़ी पार्टी या गठबंधन राज्‍यपाल के पास सरकार बनाने के लिए दावा ठोंक सकता है। दावे की सत्‍यता जांचने के बाद राज्‍यपाल योग्‍य नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रण दे सकते हैं। इससे पहले अलग-अलग दलों और गठबंधनों को विधायक दल की बैठक कर विधायक दल का नेता चुनना होगा। विधायक दल के नेता के नेतृत्‍व में ही सरकार का गठन होता है। नवगठित सरकार विधानसभा की बैठक बुलाएगी और इसी के साथ नवनिर्वाचित विधायक सदन की सदस्‍यता की शपथ लेंगे। आपको यह जानना जरूरी है कि कोई भी उम्‍मीदवार केवल चुनाव जीतने भर से विधायक नहीं बन जाता। विधायक बनने के लिए विधानसभा में सदस्‍यता की शपथ्‍ा लेना जरूरी है। आपको यह जानकर ताज्‍जुब होगा कि एक बार ऐसा भी हुआ कि विधानसभा के लिए जीतने वाले तमाम उम्‍मीदवारों में से कोई एक भी सदस्‍यता की शपथ नहीं ले सका। ऐसा कब, कहां और कैसे हुआ, जानिए आगे

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अस्‍थायी सदन है विधानसभा, आम तौर पर पांच साल के लिए कराये जाते हैं चुनाव

बिहार विधानसभा एक अस्‍थायी सदन है, जिसके लिए आम तौर पर हर पांच साल पर चुनाव आयोजित किए जाते हैं। अगर विधानसभा का कार्यकाल किसी वजह से पूरा नहीं हो सके तो भी चुनाव आयोजित कराने पड़ते हैं। 2020 का चुनाव बिहार विधानसभा के गठन के लिए 17वां चुनाव है। स्‍वतंत्र भारत में भारतीय संविधान के उपबंधों के अधीन पहला चुनाव 1952 में हुआ था। आजाद भारत में बिहार विधानसभा के करीब 68 साल के सफर में अब तक 16 चुनाव संपन्‍न हो चुके हैं। वैसे अगर हर बार विधानसभा का कार्यकाल पूरा हुआ होता तो बिहार में अब तक केवल 14 चुनाव ही हुए रहते।

एक ऐसा चुनाव जिसके बाद नहीं हो सकी विधानसभा की एक भी बैठक

बिहार विधानसभा के इतिहास में एक चुनाव ऐसा भी है, जिसके बाद विधानसभा की एक भी बैठक नहीं हो सकी। यह चुनाव फरवरी 2005 में कराया गया था। इस चुनाव के नतीजे किसी भी दल या गठबंधन को बहुमत के पक्ष में नहीं थे। राजद सबसे बड़ा दल बनकर सामने आया। उसके पास 75 सीटें थीं, लेकिन यह सरकार बनाने के लिए पर्याप्‍त नहीं था। बीजेपी और जदयू के गठबंधन के पास 92 सीटें थीं, लेकिन सरकार बनाने की संख्‍या वे भी नहीं जुटा पाये। सरकार बनाने के लिए दोनों तरफ से कोशिशें जारी थीं। इसी बीच तत्‍कालीन राज्‍यपाल बूटा सिंह ने केंद्र में काबिज कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार से विधानसभा भंग करते हुए फिर से चुनाव कराने की अनुशंसा कर दी। केंद्र सरकार ने भी तत्‍परता दिखाते हुए तुरंत ऐसा कर दिया। कहा जाता है कि ऐसा तत्‍कालीन केंद्र सरकार में शामिल राष्‍ट्रीय जनता दल के नेता लालू यादव के दबाव में किया गया था। बाद में सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने विधानसभा भंग करने के इस फैसले को असंवैधानिक ठहराया था, हालांकि तब तक नये सिरे से चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी।

चुनाव जीतकर भी जो नहीं बन सके विधायक

फरवरी 2005 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव के विजेता उम्‍मीदवारों को विधानसभा के दर्शन तक का मौका नहीं मिला। विधानसभा का औपचारिक गठन हुए बगैर ही इसे भंग कर राष्‍ट्रपति शासन लगा दिया गया। विधानसभा की न तो कोई बैठक हुई आैर ही न नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों को विधायक पद की शपथ लेने का मौका मिला। करीब छह महीने बाद दोबारा चुनाव हुए तो कई उम्‍मीदवार अपनी जीत दोहरा नहीं सके। उदाहरण के लिए सिवान सीट से फरवरी में जीतने वाले अवध बिहारी चौधरी अगले चुनाव में हार गये। फरवरी के चुनाव में जीरादेई सीट से जीतने वाले राजद के अजाजुल हक इसके बाद कभी नहीं जीत सके। ऐसा ही गरखा से चुने जाने वाले मुनेश्‍वर चौधरी के साथ हुआ। खासकर फरवरी में जीतने वाले राजद के कई उम्‍मीदवार नवंबर का चुनाव हार गये थे। इनमें से कुछ बाद के चुनाव में जीत पाये तो कई के लिए ये आखिरी चुनावी जीत साबित हुई।

जानिए आम चुनाव, मध्‍यावधि चुनाव और उप चुनाव का फर्क

चुनाव तीन तरह के होते हैं। अगर चुनाव सदन का निर्धारित कार्यकाल पूरा करने के बाद हो तो उसे आम चुनाव कहा जाता है। अगर सदन किसी वजह से अपना निर्धारित कार्यकाल नहीं पूरा कर सके तो मध्‍यावधि चुनाव कराया जाता है। अगर किसी सदन में कोई एक या कुछ सीटें किसी कारणवश रिक्‍त हो जाएं तो उन सीटों पर उप चुनाव कराया जाता है।

बिहार विधानसभा के बारे में महत्‍वपूर्ण तथ्‍य

  • बिहार विधानसभा की स्‍थापना ब्रिटिश राज के दौरान 1937 में हुई। तब चुनाव प्रक्रिया अलग थी।
  • आजाद भारत का नया संविधान लागू होने के बाद पहली बार 1952 में विधानसभा चुनाव कराये गये।
  • पहली बिहार विधासभा में 330 निर्वाचित और एक मनोनीत सदस्‍य थे।
  • 1957 में दूसरे आम चुनाव के दौरान घटकर 318 रह गईं थी बिहार विधानसभा की सीटें।
  • 1977 में बिहार विधानसभा की 325 सीटों के लिए कराया गया था चुनाव।
  • झारखंड के गठन के बाद 2000 में घटकर 243 रह गईं बिहार विधानसभा की सीटें
  • अब तक 36 बार शपथ ले चुके हैं मुख्‍यमंत्री, नीतीश कुमार के नाम है छह बार सीएम पद की शपथ लेने का रिकॉर्ड
  • 23 लोगों को मिला है मुख्‍यमंत्री बनने का मौका, महामाया सिन्‍हा थे प्रदेश के पहले गैरकांग्रेसी मुख्‍यमंत्री
  • मुख्‍यमंत्री पद पर केवल चार लोग ही पूरा कर सके हैं लगातार पांच साल का कार्यकाल। इनमें श्रीकृष्‍ण सिंह, लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और नीतीश कुमार शामिल

स्‍वतंत्र भारत में बिहार विधानसभा का अब तक का सफर

विधानसभा कब से कब तक कार्यावधि (दिवस में)
पहली 20 मई 1952 31 मार्च 1957 1776
दूसरी 20 मई 1957 15 मार्च 1962 1760
तीसरी 16 मार्च 1962 16 मार्च 1967 1826
चौथी 17 मार्च 1967  26 फरवरी 1969  712
पांचवीं 26 फरवरी 1969  28 मार्च 1972  1126
छठी 29 मार्च 1972 30 अप्रैल 1977  1858
 सातवीं 24 जून 1977 17 फरवरी 1980  968
 आठवीं  8 जून 1980  12 मार्च 1985  1738
 नौवीं  12 मार्च 1985  10 मार्च 1990  1824
 10वीं  10 मार्च 1990  28 मार्च 1995  1844
 11वीं  4 अप्रैल 1995  2 मार्च 2000  1795
 12वीं  3 मार्च 2000  6 मार्च 2005  1830
 13वीं  7 मार्च 2005  24 नवंबर 2005  263
 14वीं  24 नवंबर 2005  26 नवंबर 2010  1829
 15वीं  26 नवंबर 2010  20 नवंबर 2015  1821
 16वीं  20 नवंबर 2015  कार्यरत  

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