घर हो या बाहर, नौनिहालों की सुरक्षा का रखें ध्यान
बच्चों के गिरने, चोट लगने, दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंकाएं अधिक होती हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि बच्चों का खास ख्याल रखा जाये।
By Edited By: Published: Sun, 24 Jun 2018 12:00 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jun 2018 08:03 PM (IST)
पटना [जेएनएन]। बच्चों के गिरने, चोट लगने, दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंकाएं अधिक होती हैं। हर एक अभिभावक को इसे महसूस करता है। ऐसे में कुछ बातों को सुनिश्चित करके आप घर और बाहर बच्चों को बड़े हादसों से बचा सकते हैं।
सुरक्षा के लिए बच्चों को सिखाएं
बच्चों को आपातकाल की जानकारी दें और उससे निपटने के लिए उसकी हैंडबुक में घरवालों के नंबर जरूर लिखवा दें।
- बच्चे को अभिभावक का पूरा नाम, पता और फोन नंबर याद करा दें।
- बच्चों को सिखाएं कि वे किसी अजनबी, बेहतर होगा घरवालों के इतर किसी की भी दी हुई चीज नहीं खाएं।
- बच्चों को किसी भी ऊंचाई वाली जगह पर चढ़कर खेलने या वहा चढ़कर कुछ लाने की कोशिश करने से रोकें।
- बच्चे को किसी भरोसेमंद व्यक्ति के साथ ही बाहर खेलने भेजें।
- आग या खतरनाक चीजों से खेलने से रोकें।
- बच्चे को बताएं कि अभिभावकों को छोड़कर किसी को भी उनको छूने का अधिकार नहीं है।
- स्कूल बस स्टॉप तक बच्चों को छोड़ने और लेने खुद जाएं।
- स्कूल बस आने तक उसे सड़क से दूर रखें और पूरी तरह रुकने के बाद ही चढ़ने के लिए कहें।
- स्कूल बस से शरीर के किसी अंग को बाहर निकालने से रोकें।
- स्कूल बस के सामने से सड़क पार करनी हो तो कम से कम 10 फीट दूर ये कराएं ताकि चालक उसे देख ले।
- बच्चों के खेलते समय घर का कोई न कोई सदस्य अवश्य मौजूद रहे।
- देखें कि खेल के मैदान के आसपास का क्षेत्र सुरक्षित हो यानी वहां गलत लोग नहीं आते-जाते हों।
- साइकिल चलाते समय हेलमेट पहनाना सुनिश्चित करें।
- झूला झूलने के दौरान सावधानियां बताएं।
- जिन पड़ोसियों को अच्छे तरीके से नहीं जानते हों, वहां बच्चों को नहीं जाने दें।
- किसी पड़ोसी के साथ कार में न आएं ना जाएं।
- मुसीबत के लिए बच्चों को एक गुप्त कोड सिखाएं। जो अभिभावक व बच्चों के बीच राज रहे।
- यदि कोई अनुपयुक्त स्पर्श करे या कोई और खतरा हो तो उन्हें जोर-जोर से चिल्लाने को कहें। ऐसे में उन्हें कहीं से भी इमरजेंसी नंबर 100 डॉयल की जानकारी दें।
- किसी अजनबी से बातचीत करने और कहीं जाने से रोकें। न ही उनकी मदद लें न ही करें।
- एस्केलेटर पर चलते समय अपना ध्यान रखना सिखाएं।
सुरक्षा के लिए बच्चों को सिखाएं
बच्चों को आपातकाल की जानकारी दें और उससे निपटने के लिए उसकी हैंडबुक में घरवालों के नंबर जरूर लिखवा दें।
- बच्चे को अभिभावक का पूरा नाम, पता और फोन नंबर याद करा दें।
- बच्चों को सिखाएं कि वे किसी अजनबी, बेहतर होगा घरवालों के इतर किसी की भी दी हुई चीज नहीं खाएं।
- बच्चों को किसी भी ऊंचाई वाली जगह पर चढ़कर खेलने या वहा चढ़कर कुछ लाने की कोशिश करने से रोकें।
- बच्चे को किसी भरोसेमंद व्यक्ति के साथ ही बाहर खेलने भेजें।
- आग या खतरनाक चीजों से खेलने से रोकें।
- बच्चे को बताएं कि अभिभावकों को छोड़कर किसी को भी उनको छूने का अधिकार नहीं है।
- स्कूल बस स्टॉप तक बच्चों को छोड़ने और लेने खुद जाएं।
- स्कूल बस आने तक उसे सड़क से दूर रखें और पूरी तरह रुकने के बाद ही चढ़ने के लिए कहें।
- स्कूल बस से शरीर के किसी अंग को बाहर निकालने से रोकें।
- स्कूल बस के सामने से सड़क पार करनी हो तो कम से कम 10 फीट दूर ये कराएं ताकि चालक उसे देख ले।
- बच्चों के खेलते समय घर का कोई न कोई सदस्य अवश्य मौजूद रहे।
- देखें कि खेल के मैदान के आसपास का क्षेत्र सुरक्षित हो यानी वहां गलत लोग नहीं आते-जाते हों।
- साइकिल चलाते समय हेलमेट पहनाना सुनिश्चित करें।
- झूला झूलने के दौरान सावधानियां बताएं।
- जिन पड़ोसियों को अच्छे तरीके से नहीं जानते हों, वहां बच्चों को नहीं जाने दें।
- किसी पड़ोसी के साथ कार में न आएं ना जाएं।
- मुसीबत के लिए बच्चों को एक गुप्त कोड सिखाएं। जो अभिभावक व बच्चों के बीच राज रहे।
- यदि कोई अनुपयुक्त स्पर्श करे या कोई और खतरा हो तो उन्हें जोर-जोर से चिल्लाने को कहें। ऐसे में उन्हें कहीं से भी इमरजेंसी नंबर 100 डॉयल की जानकारी दें।
- किसी अजनबी से बातचीत करने और कहीं जाने से रोकें। न ही उनकी मदद लें न ही करें।
- एस्केलेटर पर चलते समय अपना ध्यान रखना सिखाएं।
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